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हिंदी न्यूज़ हरियाणाजब हरियाणा विधानसभा में शुरू हो गया 'मुशायरा', खट्टर और हुड्डा ने जमकर सुनाए शेर

जब हरियाणा विधानसभा में शुरू हो गया 'मुशायरा', खट्टर और हुड्डा ने जमकर सुनाए शेर

हरियाणा विधानसभा में गन्ने की कीमतों को लेकर बहस हुई तो मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच शायरी से वार पलटवार शुरू हो गया।

जब हरियाणा विधानसभा में शुरू हो गया 'मुशायरा', खट्टर और हुड्डा ने जमकर सुनाए शेर
Ankit Ojhaलाइव हिंदुस्तान,चंडीगढ़Sun, 29 Jan 2023 01:15 PM
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हरियाणा में विधानसभा के शीतकालीन सत्र का आखिरी दिन काफी मजेदार रहा। सदन में पक्ष और विपक्ष दोनों ने ही हल्के फुल्के अंदाज में शेर-ओ-शायरी के जरिए एक दूसरे पर तंज किया। गन्ने की कीमतों को लेकर चर्चा के वक्त जब मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने शेर सुनाया तो उसका जवाब भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी शायरी से ही दिया। वहीं सदन में बाकी विधायक वाह-वाह कर रहे थे। दोनों ही नेताओं के बीच इस तरह की बहस देखकर सदन में ठहाके लगने लगे। 

दरअसल गन्ने की SAP बढ़ाने को लेकर बहस शुरू हुई थी।  विपक्ष का कहना था कि केंद्र ने 15 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से दर बढ़ाई है लेकिन हरियाणा में इसे लागू नहीं किया गया है। हरियाणा में भी नई कीमत लागू करनी चाहिए। वहीं सीएम खट्टर ने कहा कि इस विषय को लेकर कमेटी बनाई गई है। 15 दिन के अंदर कमेटी रिपोर्ट सौंपेगी तब इस मामले में विचार किया जाएगा। 

शायरी का सिलसिला हुड्डा ने शुरू किया। उन्होंने कहा, 'चमन को सींचने में कुछ पत्तियां झड़ गई होंगी मानता हूं मैं, यही इल्जाम लग रहा है हम पर बेवफाई का। चमन को रौंद डाला जिसने अपने पैरों से, वही दावा कर रहे हैं चमन की रहनुमाई का।' इसके बाद खट्टर ने जवाब दिया और कहा, 'जिसे निभा ना सकूं, ऐसा वादा नहीं करता। मैं अपनी बात अपनी सीमा से ज्यादा नहीं करता। तमन्ना रखता हूं कि आसमान छू लेने की, लेकिन औरों को गिराने का इरादा नहीं करता।'

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एक बार फिर शेर कहा, 'ना पूछ मेरे सब्र की इत्ता कहां है, तू सितम कर तेरी हसरत जहां तक है। वफा की उम्मीद उन्हें तुमसे जिनकी आंखें बंद हैं, मैं तो दुनिया को दिखा रहा हूं तू बेवफा कहां तक है।' खट्टर ने फिर जवाब देते हुए कहा, हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है, चल पड़े जिस भी तरफ रास्ता हो जाएगा। हुड्डा ने फिर कहा, मेरे जुनून का नतीज जरूर निकलेगा। उसी का शहर वही मुद्दई, वहीं मुंसिफ। हमें यकीन था मेरा कसूर निकलेगा।