पंचकूला में राजभवन की ओर बढ़ा किसानों का हुजूम, शहर छावनी में तब्दील, अनिल विज ने किसान नेताओं पर कसा तंज
कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन के 7 महीने पूरे होने आज देशभर में संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा खेती बचाओ-लोकतंत्र बचाओ दिवस (Kheti Bachao, Loktantra Bachao Diwas) मनाया जा रहा...
कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन के 7 महीने पूरे होने आज देशभर में संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा खेती बचाओ-लोकतंत्र बचाओ दिवस (Kheti Bachao, Loktantra Bachao Diwas) मनाया जा रहा है। इसी क्रम में कृषि कानूनों के खिलाफ के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए भारी संख्या में किसान आज पंचकूला में राजभवन की तरफ मार्च कर रहे हैं। किसान राज्यपाल से मिलकर उन्हें अपनी मांगों का ज्ञापन देंगे। स्थिति को देखते हुए सड़कों पर भारी पुलिस फोर्स तैनात है। पूरे पंचकूला शहर को छावनी में तब्दील कर दिया गया है।
वहीं, हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज किसानों के आज के इस कार्यक्रम को लेकर तंज कसा है। विज ने कहा कि किसान 8 महीने से सरहदों पर बैठे हैं। अब वे निराश हो गए हैं, इसलिए उनके आंदोलन को जिंदा रखने के लिए उनके नेता रोज एक नया कार्यक्रम बनाते हैं। आज राजभवन में ज्ञापन देने की बात कही है। ऐसा होता रहता है।
पंचकूला के डीसीपी मोहित हांडा ने कहा कि हमारे पास किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त पुलिस बल है। हम शांति से स्थिति से निपटने की कोशिश करेंगे। हमें उम्मीद है कि आज के सभी कार्यक्रम बिना किसी (उल्लंघन) कानून-व्यवस्था की स्थिति के आयोजित किए जाएंगे।
#WATCH हरियाणा: कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के 7 महीने पूरे होने पर पंचकूला में किसान राजभवन की तरफ मार्च कर रहे हैं। आज देशभर में किसान राज्यपाल और उपराज्यपाल को ज्ञापन सौपेंगे। #Farmlaws pic.twitter.com/fTgpzWBaPH
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 26, 2021
गौरतलब है कि केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शनकारी किसान पिछले साल 26 नवंबर से दिल्ली और हरियाणा की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। वे इन तीनों कानूनों को रद्द करने और फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने के लिए एक नया कानून लाने की मांग कर रहे हैं। इन विवादास्पद कानूनों पर बने गतिरोध को लेकर हुई किसानों और सरकार के बीच कई दौर की वार्ता बेनतीजा रही थी।
कृषि कानूनों को रद्द कराने पर अड़े किसान इस मुद्दे पर सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके हैं। किसानों ने सरकार से जल्द उनकी मांगें मानने की अपील की है। वहीं सरकार की तरफ से यह साफ कर दिया गया है कि कानून वापस नहीं होगा, लेकिन संशोधन संभव है।
They (farmers) are sitting at the borders for 8 months now. They're disappointed. So, to keep their agitation alive, their leaders make a new program everyday. Today, they've spoken about submitting a memorandum at Raj Bhawan. This keeps happening: Haryana Home Minister Anil Vij pic.twitter.com/fCGQb3rYAJ
— ANI (@ANI) June 26, 2021
किसान पिछले साल बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों - द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020, द फार्मर्स ( एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) एक्ट, 2020 का विरोध कर रहे हैं। केन्द्र सरकार सितंबर में पारित किए तीन नए कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे।