सीएम खट्टर के आश्वासन के बाद भी हरियाणा के किसान गेहूं की खरीद को लेकर परेशान
हरियाणा में अगले कुछ दिनों में गेहूं की कटाई शुरू होने वाली है और प्रदेश के चिंतित किसान चाहते हैं कि कोरोना वायरस के प्रसार पर रोक के लिए देशव्यापी लॉकडाउन के बीच उनकी उपज की खरीद से पहले राज्य...
हरियाणा में अगले कुछ दिनों में गेहूं की कटाई शुरू होने वाली है और प्रदेश के चिंतित किसान चाहते हैं कि कोरोना वायरस के प्रसार पर रोक के लिए देशव्यापी लॉकडाउन के बीच उनकी उपज की खरीद से पहले राज्य सरकार इसके भंडारण में मदद करे।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने गुरुवार को किसानों को आश्वासन दिया कि उनके अनाज के एक-एक दाने की खरीद की जाएगी, हालांकि इसमें कुछ देरी होगी। लेकिन किसान इसके बाद भी आशंकित हैं।
हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन के नेता गुरनाम सिंह ने कहा कि गेहूं की कटाई पांच अप्रैल से शुरू होगी, जबकि सरसों की कटाई शुरू हो चुकी है। हमारे पास इन फसलों के भंडारण की कोई व्यवस्था नहीं है। सरकार को बोरियों और तिरपाल की व्यवस्था करनी चाहिए। सामान्य दिनों में किसान अपनी उपज खेतों से सीधे मंडियों में ले जाते हैं।
टीवी के जरिये राज्य के लोगों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री खट्टर ने कहा कि किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि सरकार ने उनके हर एक अनाज को खरीदने के लिए तंत्र तैयार किया है, हालांकि इस प्रक्रिया में कुछ देरी हो सकती है।
21 दिनों के राष्ट्रव्यापी बंद के साथ मुख्यमंत्री ने कहा कि जैसा हम जानत हैं कि 14 अप्रैल तक खरीद संभव नहीं है, हमने खरीद की तारीखों में बदलाव किया है। 15 अप्रैल से सरसों की खरीद की जाएगी, जबकि गेहूं की खरीद 20 अप्रैल से की जाएगी। अगर उस समय तक स्थिति सामान्य हो गई तो हम उन तारीखों पर अपनी खरीद शुरू कर देंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि सरसों और गेहूं की पकी फसलें खेतों में नहीं छोड़ी जा सकतीं और ऐसे में किसानों को सलाह दी गई है कि वे अपने घरों में जितना संभव हो सके उपज का भंडारण करें। हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड जैसी राज्य एजेंसियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे उपज के भंडारण में किसानों की सहायता करें।
हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने गुरुवार को मुख्यमंत्री खट्टर को एक पत्र लिखकर उपज की खरीद में देरी के मद्देनजर किसानों को होने वाली समस्याओं की ओर उनका ध्यान आकृष्ट किया। शैलजा ने कहा कि राज्य सरकार को किसानों के लिए चौबीस घंटे काम करने वाला हेल्पलाइन नंबर स्थापित करना चाहिए जहां उनकी सभी चिंताओं को दूर किया जा सके। उन्होंने फसलों पर लिए गए ऋण को माफ करने की मांग करते हुए यह भी कहा कि किसानों द्वारा उपयोग किए जाने वाले किसान क्रेडिट कार्ड की सीमा को बढ़ाया जाना चाहिए।