राव नरेंद्र सिंह की ताजपोशी में नहीं रहे कैप्टन अजय यादव और कुमारी सैलजा, बीरेंद्र सिंह सुनाकर गए
संक्षेप: प्रदेश अध्यक्ष की ताजपोशी में जो लोग नहीं पहुंचे, उनकी चर्चा ज्यादा रही। इन लोगों में कांग्रेस के सीनियर नेता कैप्टन अजय सिंह यादव और कुमारी सैलजा शामिल हैं। कैप्टन अजय यादव ने तो ट्विटर पर एक पोस्ट लिखकर राव नरेंद्र सिंह को अध्यक्ष बनाए जाने पर खुला ऐतराज जाहिर किया था।

हरियाणा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राव नरेंद्र सिंह की सोमवार को ताजपोशी हो गई है। उन्होंने प्रदेश कार्यालय जाकर पदभार संभाल लिया। इस मौके पर नेता विपक्ष भूपिंदर सिंह हुड्डा, पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह, कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला और रोहतक के सांसद दीपेंदर हुड्डा मौजूद थे। इसके अलावा राज्य के प्रभारी बीके हरिप्रसाद भी मौके पर पहुंचे, लेकिन जो लोग नहीं पहुंचे, उनकी चर्चा ज्यादा रही। इन लोगों में कांग्रेस के सीनियर नेता कैप्टन अजय सिंह यादव और कुमारी सैलजा शामिल हैं। कैप्टन अजय यादव ने तो ट्विटर पर एक पोस्ट लिखकर राव नरेंद्र सिंह को अध्यक्ष बनाए जाने पर खुला ऐतराज जाहिर किया था।
उन्होंने कैश फॉर लैंड यूज केस में राव नरेंद्र सिंह के खिलाफ दर्ज एफआईआर का हवाला दिया था। उनका कहना था कि राहुल गांधी चाहते थे कि साफ छवि का कोई नेता हरियाणा में अध्यक्ष बने। लेकिन ऐसा नहीं हुआ है और इससे जमीनी कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा है। उनका यह ट्वीट और फिर ताजपोशी से दूरी बनाना बता रहा है कि वह निर्णय से खुश नहीं हैं। वहीं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा को लेकर बताया जा रहा है कि वह बीते कुछ दिनों से विदेश में हैं। यही नहीं कार्यक्रम में मौजूद बीरेंद्र सिंह ने भी इशारों में ही नसीहत भी दी।
उन्होंने कहा कि नए अध्यक्ष की यह जिम्मेदारी रहेगी कि वह जमीनी स्तर पर संगठन खड़ा करें और खासतौर पर ब्लॉक लेवल पर ऐसा किया जाए। बीरेंद्र सिंह ने कहा कि यदि कांग्रेस में एकता रही तो हुड्डा 7 महीने में ही सीएम बन जाएंगे। इसके लिए 4 साल की जरूरत नहीं है। यदि कांग्रेस ने जमीन पर जनता को संदेश दिया तो फिर भाजपा को हरियाणा छोड़कर जाना होगा। हरिप्रसाद की ओर संकेत करते हुए बीरेंद्र सिंह ने कहा कि आपने राव नरेंद्र सिंह को अध्यक्ष बनाया है और हुड्डा को नेता विपक्ष बना दिया है। अब जमीन पर संगठन भी खड़ा करें। आपके पास 37 विधायक हैं और यह काम दो घंटे में हो सकता है।
इसके आगे नसीहत देते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं रहे कि पसंदीदा को लोगों को चुन लिया जाए। उन्होंने कहा कि यदि मेरे जैसे किसी वरिष्ठ नेता को अध्यक्ष बना दिया जाता तो बहुत लोग खिलाफ हो जाते। उन्होंने कहा कि अनुशासन तो उन लोगों में भी होना चाहिए, जो दूसरों को अनुशासन में रहने की सलाह देते हैं। वरिष्ठ नेताओं को छूट नहीं देनी चाहिए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि जूनियर नेताओं को ही सजा मिले। ऐसा कुछ हुआ तो मैं विरोध में खड़ा रहूंगा। वहीं हुड्डा ने स्वीकार किया कि जमीनी स्तर पर संगठन कमजोर होने के चलते हमें चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।

लेखक के बारे में
Surya Prakashलेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।




