Hindi Newsहरियाणा न्यूज़CM Saini own seat is also in trouble hopes are only from PM Modi rebels in Haryana have increased BJP worries

सैनी की अपनी सीट भी फंसी, अब PM मोदी से ही उम्मीद; हरियाणा में बागियों ने बढ़ाई भाजपा की चिंता

  • कांग्रेस से आए नेताओं को पार्टी ने काफी तवज्जो दी है। कांग्रेस से आई किरण चौधरी को राज्यसभा में लाया गया और उनकी बेटी श्रुति चौधरी को विधानसभा टिकट भी गया। मूल रूप से कांग्रेसी रहे लेकिन काफी समय पहले भाजपा में आ चुके केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत की बेटी आरती भी टिकट हासिल करने में सफल रही।

Himanshu Jha हिन्दुस्तानFri, 13 Sep 2024 02:46 AM
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हरियाणा में भाजपा ने सत्ता विरोधी माहौल की काट के लिए चार मंत्रियों समेत 15 विधायकों के टिकट तो काटे हैं, लेकिन उसे बगावत और विरोध से भी जूझना पड़ रहा है। दूसरे दलों से आए नेताओं और उनके परिवारवाद को बढ़ावा देने से भी पार्टी में नाराजगी है। ऐसे में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और उसके चुनाव रणनीतिकारों के सामने लगातार तीसरी बार सत्ता हासिल करने की बेहद कठिन चुनौती है। सीएम सैनी अभी तब बगावत को ठंडा करने में सफल नहीं हो पाए हैं। अब भाजपा की उम्मीदें पीएम मोदी से टिकी हुई हैं।

आगामी चार विधानसभा चुनावों में भाजपा के लिए सबसे कठिन लड़ाई हरियाणा में ही मानी जा रही है। टिकट तय करने के लिए भी भाजपा नेतृत्व को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी है। केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के बाद भी बड़े नेताओं के बीच कई दौर की बैठकों के बाद ही टिकट तय हो सके। इनमें भी प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली व वरिष्ठ नेता रामविलास शर्मा टिकट नहीं पा सके हैं। राज्य सरकार में मंत्री सीमा त्रिखा व बनवारी लाल की भी छुट्टी कर दी गई। मंत्री रंजीत चौटाला ने तो टिकट न मिलने पर पार्टी ही छोड़ दी।

दूसरे दलों से आए नेताओं को तवज्जो मिलने से नाराजगी
दूसरे दलों खासकर कांग्रेस से आए नेताओं को पार्टी ने काफी तवज्जो दी है। कांग्रेस से आई किरण चौधरी को राज्यसभा में लाया गया और उनकी बेटी श्रुति चौधरी को विधानसभा टिकट भी गया। मूल रूप से कांग्रेसी रहे लेकिन काफी समय पहले भाजपा में आ चुके केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत की बेटी आरती भी टिकट हासिल करने में सफल रही।

कांग्रेस से आए रमेश कौशिक के बेटे देवेंद्र कौशिक और कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई को भी टिकट मिल गया। ऐसे में भाजपा के भीतर नाराजगी बढ़ी है और बगावत से लेकर विरोध तक सामने आए हैं। कई सीटों पर टिकट न मिलने पर पार्टी कार्यकर्ताओं ने पर्चे भरे हैं। हालांकि, पार्टी की कोशिश नाम वापसी तक कुछ को मनाकर उनको बिठाने की है।

सैनी की सीट भी फंसी
बगावत और नाराजगी की वजह से मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की दिक्कतें बढ़ी हैं। उनकी अपनी सीट भी आसान नहीं है और दूसरे उम्मीदवारों को जिताने का दबाब भी उन पर है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि कई प्रमुख नेताओं के टिकट इसलिए भी कटे हैं, क्योंकि वह पूर्व मुख्यमंत्री तथा मौजूदा केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर के विरोधी खेमे के माने जाते थे। साथ ही उनके ऐसे समर्थक भी टिकट पा गए हैं, जिनका भारी विरोध था।

प्रधानमंत्री मोदी के प्रचार पर दारोमदार
भाजपा के चुनाव अभियान का काफी दारोमदार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रचार पर टिका है। मोदी 15 सितंबर को कुरुक्षेत्र से प्रचार शुरू कर रहे हैं। पार्टी के सभी बड़े नेता राज्य में प्रचार करेंगे। कठिन हालात में भी भाजपा को कांग्रेस के भीतर के घमासान से कुछ लाभ मिलने की संभावना है।

वोटों का बंटवारा होने से लाभ मिलने की उम्मीद
राज्य में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में तालमेल नहीं हुआ है। दोनों अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं। इनेलो और बसपा का गठबंधन भी चुनाव मैदान में है। जजपा आजाद समाज पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। अगर सामाजिक समीकरणों में भाजपा विरोधी वोटों का बंटवारा होता है तो उसके लिए कुछ सकारात्मक स्थिति बन सकती है।

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