गुजरात में कोरोना मरीज करीब सवा लाख हो चुके हैं। एक तरफ जहां रोज नए मरीजों का रिकॉर्ड टूट रहा है, वहीं निजी लैब में कोरोना टेस्ट को लेकर पैसे का खेल चल रहा है। पैसा दो और मनमानी रिपोर्ट ले लो। न जांच कराने वाले का पता, न सैंपल कलेक्शन का झंझट। यहां तक कि उत्तर प्रदेश में बैठे लोगों की भी सूरत में निगेटिव रिपोर्ट तैयार हो जा रही है।
चूंकि दूसरे राज्यों से आने वाले प्रवासी मजदूरों का पहले कोरोना टेस्ट किया जाता है। ऐसे में पॉजिटिव रिपोर्ट आने पर उन्हें कोरेंटाइन कर दिया जाता है। इससे बचने के लिए प्रवासी मजदूरों के एजेंट पहले से ही पैसे देकर लैब से उनका निगेटिव रिपोर्ट तैयार रखते हैं।
इन एजेंटो का कहना है कि बिना सैंपल और जांच के 1500 से दो हजार रुपए में निगेटिव रिपोर्ट मिल जाती है। यहां तक कि लैब वाले प्रति मजदूर एजेंट को तीन सौ से पांच सौ तक कमीशन भी देते हैं।