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माइक्रो लोन के नाम पर यूजर्स की प्राइवेसी और डाटा में लगा रहे सेंध, गुजरात पुलिस ने बैन किए 419 चाइनीज ऐप

गुजरात पुलिस ने 419 चाइनीज लोनिंग ऐप पर प्रतिबंध लगाया है। साइबर पुलिस को इस बाबत अबतक 932 से अधिक शिकायतें मिल चुकी है। इन सभी मोबाइल ऐप्स को एंड्रॉयड मार्केट से हटा दिया गया है।

माइक्रो लोन के नाम पर यूजर्स की प्राइवेसी और डाटा में लगा रहे सेंध, गुजरात पुलिस ने बैन किए 419 चाइनीज ऐप
Abhishek Mishraलाइव हिन्दुस्तान,अहमदाबादFri, 24 Mar 2023 10:26 AM
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कोरोना महामारी के दौरान माइक्रो लोनिंग ऐप की संख्या में भारी इजाफा हुआ था। इनमें से ज्यादातर ऐप चाइनीज हैं और अब ये ऐप्स लोगों की प्राइवेसी और डाटा मेंन सेंध लगा रहे हैं। माइक्रो लोन देने के नाम पर पहले मोबाइल के सभी ऍप्लिकेशन्स और डाटा का एक्सेस लेने के बाद अब उस डाटा को मिसयूज किया जा रहा है। गुजरात साइबर पुलिस ने इसके खिलाफ सख्त कदम उठाया है। माइक्रो लोनिंग ऐप के खिलाफ अबतक दर्ज 932 शिकायतों के आधार पर 419 चाइनीज ऐप को बैन कर दिया है। इन ऐप्स को एंड्रॉयड मार्केट से हटा दिया गया है।  पुलिस ने 885 ऐसे मोबाइल एप्लीकेशन की पहचान की थी। शेष अन्य चाइनीज एप्लीकेशन पर जल्द ही एक्शन लिया जा सकता है। 

पुलिस ने बताया कि साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर मार्च 2022 से लेकर अबतक 932 शिकायतें दर्ज की गई हैं। चाइनीज और नेपाली ऐप्स के जरिए लोगों के डाटा में सेंध लगाई जा रही है। ऐसे में त्वरित एक्शन लेते  हुए 419 ऐप्स को बैन कर हटा दिया गया है। पुलिस ने बताया कि इन ऐप्स को हांगकांग और चीन के काई अन्य शहरों के सर्वर पर होस्ट किया जा रहा था। 

गुजरात सीआईडी अपराध विभाग के साइबर क्राइम विंग के एक इंस्पेक्टर मनीष भंखरिया ने बताया कि साइबर ठग लोगों को संदेश भेजते हैं कि अगर वे माइक्रोलोन का लाभ उठाना चाहते हैं तो मोबाइल ऐप डाउनलोड करें। मोबाइल यूजर्स को ऋण स्वीकृति प्राप्त करने के लिए ऐप को अपने संपर्कों, इमेजे, वीडियो और अन्य सभी डिजिटल सामग्री तक पहुंच प्रदान करने के लिए सहमति देनी होती है। फिर भी हर किसी को कर्ज नहीं मिलता है। साइबर ठग मोबाइल यूजर के फोटो और मैसेज के जरिए स्कैन करते हैं। एक बार जब वे आश्वस्त हो जाते हैं कि व्यक्तिगत डेटा का उपयोग पैसे निकालने के लिए किया जा सकता है, तो वे ऋण के आवदेन को आगे बढ़ाते हैं। 

पुलिस अधिकारी ने बताया कि आमतौर पर लोन का अमाउंट 15,000 रुपये से शुरू होता है और 15 से 20% ब्याज पर दिया जाता है। जब लक्ष्य समय पर राशि लौटाता है, तो ठग 20,000 रुपये का ऋण देते हैं और फिर इसे बढ़ाकर 30,000 रुपये कर देते हैं। अब जबरन वसूली शुरू हो गई है। जिसके बाद ऐप के होस्ट तस्वीरों या वीडियो को मॉर्फ करते हैं और उन्हें यूजर के कॉन्टैक्ट सूची में लोगों को भेजते हैं ताकि उन्हें भुगतान करने के लिए मजबूर किया जा सके।

ऐप के  जरिए साइबर जालसाज यूजर्स के दोस्तों और परिवार को ब्लैकमेल, जबरन वसूली और दुर्व्यवहार में फंसाते हैं। पुलिस अधिकारी ने बताया “हर बार जब भी हम Google को Play Store से चीनी ऐप हटाने के लिए कहते, वे किसी अन्य नाम के तहत फिर से दिखाई देते हैं। उदाहरण के लिए, यदि GoRupee नामक ऐप को हटा दिया गया है, तो यह GoRupiya के रूप में वापस आ जाएगा।

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