गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सूचना आयोग के आदेश को किया रद्द, RTI के इस प्रावधान का दिया हवाला
गुजरात उच्च न्यायालय ने उक्त आदेश को गैर कानूनी और आरटीआई अधिनियम-2005 के प्रावधानों का उल्लंघन करार दिया जिसमें कहा गया कि उस निजी जानकारी जिसका सार्वजनिक गतिविधि या जनहित से संबंध नहीं है।
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गुजरात उच्च न्यायालय ने मंगलवार को राज्य सूचना आयोग के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें उच्च न्यायालय प्रशासन को सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत कुछ न्यायिक अधिकारियों के स्थानांतरण, शिकायतों पर की गई कार्रवाई और बर्खास्ती के कारणों की जानकारी देने को कहा गया था> न्यायमूर्ति बिरेन वैष्णव की अदालत ने गुजरात सूचना आयोग (जीआईसी) द्वारा 23 जून 2014 को दिए आदेश को रद्द कर दिया जिसमें उच्च न्यायालय के जन सूचना अधिकारी (पीआईओ) को आदेश प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर आवेदक को जानकारी देने का निर्देश दिया गया था।
अदालत ने उक्त आदेश को गैर कानूनी और आरटीआई अधिनियम-2005 के प्रावधानों का उल्लंघन करार दिया जिसमें कहा गया कि उस निजी जानकारी जिसका सार्वजनिक गतिविधि या जनहित से संबंध नहीं है, का खुलासा करने की आवश्यकता नहीं है।
न्यायिक अधिकारी परेश गोदीगाजबर ने 17 फरवरी 2014 को दिए आवेदन में कुछ न्यायिक अधिकारियों के स्थानांतरण को लेकर उच्च न्यायालय के फैसले, उनके खिलाफ कार्रवाई और कुछ अन्य की बर्खास्तगी के कारणों की विस्तृत जानकारी मांगी थी। उन्होंने सूचना मिलने में देरी होने पर प्रथम अपीलीय प्राधिकार में अपील की थी।