Gujarat Election: रिवाबा जडेजा की सियासी एंट्री कितनी दमदार, जामनगर उत्तर सीट पर क्या बन रहे समीकरण
रवींद्र जडेजा और रिवाबा की एंट्री कितना रंग जमा रही है। रिवाबा के जेहन में क्षेत्र के विकास को लेकर क्या विचार हैं? रवींद्र जडेजा को क्रिकेट चुनना चाहिए या सियासत? पहलुओं की पड़ताल करती रिपोर्ट...
इन दिनों गुजरात की चर्चित विधानसभा सीटों में शुमार जामनगर उत्तर चर्चा के केंद्र में है। वजह यह कि भाजपा ने इस सीट से अपने दिग्गज विधायक धर्मेंद्र सिंह जडेजा का टिकट काटकर क्रिकेटर रवींद्र जडेजा की पत्नी रिवाबा जडेजा को चुनाव मैदान में उतारा है। भाजपा यहां से जीत दर्ज करती है या नहीं, यह तो आठ दिसंबर को आने वाले चुनाव नतीजें बताएंगे लेकिन दोनों सेलिब्रिटी के बयान और चुनावी प्रचार सुर्खियां बटोर रहे हैं। क्रिकेटर रवींद्र जडेजा और उनकी पत्नी रिवाबा जडेजा की सियासी एंट्री कितना रंग जमा रही है। इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाली रिवाबा के जेहन में इस क्षेत्र के विकास को लेकर क्या विचार हैं? रवींद्र जडेजा को क्रिकेट चुनना चाहिए या सियासत? प्रस्तुत है तमाम पहलुओं की पड़ताल करती रिपोर्ट...
रिवाबा की उम्मीदवारी से हैरान थे दिग्गज
जामनगर उत्तर विधानसभा सीट से रिवाबा की उम्मीदवारी पर मुहर ने दिग्गज नेताओं को आश्चर्यचकित कर दिया था। जामनगर उत्तर विधानसभा क्षेत्र गुजरात की हॉट सीटों में शुमार है। पिछले विधानसभा चुनावों में धर्मेंद्र सिंह जडेजा ने 40 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से अपने प्रतिद्वंद्वी को हराया था। यही नहीं साल 2012 के विधानसभा चुनावों में भी उन्होंने 9 हजार से ज्यादा मतों से जीत दर्ज की थी। दरअसल, गुजरात हाईकोर्ट ने 9 नवंबर को धर्मेंद्र सिंह जडेजा एवं अन्य के खिलाफ 2007 की हिंसा के मामले को वापस लेने की याचिका को खारिज कर दिया था।
इसलिए भाजपा को बदलना पड़ा उम्मीदवार
गुजरात हाईकोर्ट ने सख्त लहजे में कहा था कि ऐसा लगता है कि राज्य सरकार आरोपियों को बचाने की कोशिश कर रही है। हाईकोर्ट के इस रुख से भाजपा बैकफुट पर थी। नतीजतन उसे अपने दिग्गज नेता धर्मेंद्र सिंह जडेजा की दावेदारी को नजरंदाज करना पड़ा था। अब चूंकि इस बार भाजपा से रिवाबा और उनके पति रवींद्र जडेजा आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं जबकि कांग्रेस ने यहां से जीवणभाई कारुभाई कुभरवडिया को मैदान में उतारा है। इन चुनावों में भाजपा के इस प्रयोग का भी टेस्ट होना बाकी है।
पत्नी के लिए जमकर सियासी बैटिंग कर रहे रविंद्र जडेजा
इसी बार क्रिकेटर रवींद्र जडेजा की पत्नी रिवाबा जडेजा के सियासी किस्मत का भी फैसला होना है। यही कारण है कि भारतीय क्रिकेट के तेजतर्रार ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा जो हाल ही में समाप्त हुए टी-20 अंतर्राष्ट्रीय वर्ल्ड कप में जगह बनाने से चूक गए थे, मौजूदा वक्त में अपनी पत्नी के लिए सियासी बल्लेबाजी करते नजर आ रहे हैं। जामनगर के लोगों ने क्रिकेटर रवींद्र जडेजा की एक दुर्लभ झलक तब देखी, जब उन्होंने शहर में एक रोड शो में भाग लिया और शहर में प्रशंसकों और समर्थकों का अभिवादन किया।
कांटे की लड़ाई
रिवाबा जडेजा का मुकाबला कांग्रेस के दिग्गज नेता बिपेंद्रसिंह जडेजा से है, जो राजकोट के मूल निवासी है। बिपेंद्रसिंह जडेजा (Bipendrasinh Jadeja) के प्रचार अभियान का प्रबंधन रवींद्र जडेजा की बहन और कांग्रेस महिला विंग की प्रमुख नैनाबा जडेजा कर रही हैं। वहीं आम आदमी पार्टी (आप) ने करसन करमूर को मैदान में उतारा है जिन्होंने पिछले साल भाजपा छोड़ दी थी। भाजपा के सामने भितरघात और एंटी इनकंबेंसी की चुनौती भी है। यही वजह है कि इस सीट पर लड़ाई कांटे की हो चली है।
सियासत में इसलिए रखा कदम
रिवाबा जडेजा ने 2019 में भाजपा का दामन थामा था। मैकेनिकल इंजीनियरिंग स्नातक रिवाबा कहती हैं कि मैं स्कूली जीवन के शुरुआती दिनों से ही समाज के लिए काम करना चाहती थी। यही कारण है कि मैंने इंजीनियरिंग की और सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। मैंने रक्षा सेवा में भी जाने की कोशिश की। मेरे दिमाग में हमेशा से था कि मुझे अपने क्षेत्र के लिए कुछ करना है। रवींद्र जडेजा से शादी के बाद ऐसा लगा कि मेरा जीवन बदल गया है लेकिन उन्होंने मुझे समझा और मुझे यकीन दिलाया कि मुझे अपने सपने नहीं छोड़ने चाहिए।
जामनगर को 'स्मार्ट सिटी' बनाना चाहती हैं रीवाबा
चुनाव प्रचार के दौरान रीवाबा अपनी साथी महिलाओं के साथ घर-घर जाकर लोगों से मिल रही हैं। रीवाबा कहती हैं कि उन्होंने पीएम मोदी की 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' और 'वहली डिकरी' जैसी पहल को बढ़ावा देकर महिला सशक्तिकरण के लिए जामनगर जिले के 200 से अधिक गांवों का दौरा किया है। यह पूछे जाने पर कि यदि वह विधायक बनती हैं तो उनकी नंबर वन प्राथमिकता क्या होगी? रीवाबा कहती हैं कि वह चाहती हैं कि जामनगर एक नगर निगम से 'स्मार्ट सिटी' के रूप में विकसित हो।
कोच बोले- रवींद्र जडेजा को सियासत में जाने से रोकूंगा
करीब 6.5 लाख की आबादी वाले शहर में एक क्रिकेट अकादमी भी है। इसमें लगभग 400 छात्रों को मुफ्त में प्रशिक्षण देने वाले रवींद्र जडेजा के बचपन के कोच महेंद्रसिंह चौहान कहते हैं कि इसकी क्षमता लगभग 100-120 छात्रों को प्रशिक्षित करने की है। यह पूछे जाने पर कि रीवाबा के राजनीति में एंट्री के बारे में वह क्या सोचते हैं? चौहान ने कहा- क्रिकेट और राजनीति दोनों में बहुत अंतर है। अगर रवींद्र कहते कि वह राजनीति में जा रहे हैं तो मैं उन्हें रोकता, लेकिन उनकी पत्नी लोगों की सेवा करना चाहती हैं, इसलिए वह राजनीति में कदम रख रही हैं। उन्हें मेरा पूरा समर्थन और आशीर्वाद है।
भाजपा के लिए जामनगर क्यों महत्वपूर्ण
गुजरात के पश्चिमी तट पर स्थित जामनगर, सूबे का पांचवां सबसे बड़ा शहर है। यह राजकोट के बाद सौराष्ट्र क्षेत्र का दूसरा सबसे बड़ा शहर भी है। अपने पीतल के पुर्जों के उद्योग के लिए यह जिला पांच उम्मीदवारों को गुजरात विधान सभा में भेजता है। जामनगर शहर में प्रसिद्ध लखोटा झील है, जिसके तट पर बाला हनुमान मंदिर में 1 अगस्त, 1964 से 'श्री राम, जय राम, जय जय राम' की 'राम धुन' चौबीसों घंटे बजती है। इस भक्ति ने मंदिर को गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान दिलाया है। जामनगर नगर निगम की वेबसाइट के अनुसार यहां शाम का समय घूमने के लिए मनमोहक होता है।