Geniben Thakor A rising force in political landscape of Banaskantha Gujarat गेनीबेन ठाकोर: गुजरात के राजनीतिक परिदृश्य की नई ताकत, पूरे देश में हो रही जिनकी चर्चा, Gujarat Hindi News - Hindustan
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गेनीबेन ठाकोर: गुजरात के राजनीतिक परिदृश्य की नई ताकत, पूरे देश में हो रही जिनकी चर्चा

चुनाव में अपने प्रचार अभियान हेतु धन जुटाने के लिए ठाकोर ने अनूठी क्राउडफंडिंग शुरू की थी, जिसमें उनके अभियान के लिए मंच, भोजन और प्रचार संबंधी अन्य सभी जरूरतों का इंतजाम उनके मतदाताओं ने किया था।

Admin हिन्दुस्तान टाइम्स, मौलिक पाठक, अहमदाबादWed, 5 June 2024 08:38 PM
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गेनीबेन ठाकोर: गुजरात के राजनीतिक परिदृश्य की नई ताकत, पूरे देश में हो रही जिनकी चर्चा

गुजरात में लोकसभा चुनाव के नतीजों में भाजपा ने भले की राज्य की 26 में से 25 सीटें जीत ली हों, लेकिन एक प्रत्याशी जिसकी चर्चा राज्य से लेकर देशभर में हो रही है, वो है भाजपा का विजयी रथ रोकने वाली और कांग्रेस के लिए प्रदेश में एकमात्र सीट जीतने वाली उम्मीदवार गनीबेन ठाकोर। जिन्होंने बनासकांठा लोकसभा सीट पर जीत का परचम लहराते हुए राज्य में लगातार तीसरी बार क्लीन स्वीप करने के भाजपा के सपने को तोड़ दिया। 

राजनीतिक विशेषज्ञों ने ठाकोर के प्रदर्शन का श्रेय उनकी मजबूत जमीनी पहुंच और प्रभावशाली ठाकोर समुदाय से प्राप्त समर्थन को दिया है, जिसकी बनासकांठा में अच्छी खासी उपस्थिति है। अपने लोगों के बीच 'बनास नी बेन' के नाम से मशहूर ठाकोर गुजरात में कांग्रेस पार्टी के लिए उम्मीद की किरण बनकर आई हैं। ठाकोर ने लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान ही अपनी प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज कराई थी। अप्रैल की भीषण गर्मी में 48 साल की गेनीबेन अक्सर गुलाबी साड़ी पहने हुए एक रैली से दूसरी रैली में भाग लेती रहीं और पार्टी के लिए जमकर मेहनत करती दिखीं। 

1 जनवरी, 1975 को जन्मी गेनीबेन ठाकोर ने जैन विश्व भारती संस्थान लाडनूं (राजस्थान) से दूरस्थ शिक्षा में पढ़ाई करते हुए बीए की डिग्री प्राप्त की है। उन्होंने साल 2012 के विधानसभा चुनाव में अपना पहला चुनाव वाव क्षेत्र से लड़ा था, हालांकि उस वक्त वे सफल नहीं हो सकी थीं। इसके बाद ठाकोर ने एकबार फिर 2017 में वाव सीट से विधानसभा से चुनाव लड़ा और भाजपा के दिग्गज व बनास डेयरी के अध्यक्ष शंकर चौधरी को हराते हुए 'जाइंट किलर' का उपनाम हासिल किया। उनकी जीत का इतना असर रहा कि 2022 में हुए अगले विधानसभा चुनाव में गेनीबेन का सामना करने से बचने के लिए शंकर चौधरी ने अपनी सीट बदलकर थाराड निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा।

4 जून को भी मतगणना के दौरान जब वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं सहित अधिकांश कांग्रेसी उम्मीदवार दोपहर 1 बजे के आसपास हार चुके थे, तब अकेली गेनीबेन ठाकोर अपनी भाजपाई प्रतिद्वंद्वी रेखाबेन चौधरी को लगातार कड़ी टक्कर दे रहीं थीं। इस दौरान वे दिनभर 1500 से 3000 वोटों से लगातार आगे-पीछे होती रहीं, लेकिन जब उनके विधानसभा क्षेत्र वाव और थाराड के वोटों की गिनती हुई, तो फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने तेजी से बढ़त बनाई और आखिरकार लगभग 31,000 वोटों के अंतर से निर्णायक जीत हासिल की।

भावनगर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और राजनीतिक विशेषज्ञ विद्युत जोशी ने गेनीबेन की जीत को लेकर कहा, 'गेनीबेन एक जमीनी शख्सियत हैं, जिन्होंने लगातार लोगों के लिए काम किया है और अपने मतदाताओं से सीधा संपर्क बनाए रखा है। उनकी स्वच्छ और पारंपरिक छवि ने मतदाताओं को बहुत अच्छे से प्रभावित किया है।'

आगे जोशी ने कहा, 'प्रधानमंत्री मोदी का प्रभाव शहरीकरण और औद्योगिकीकरण वाले क्षेत्रों में ज्यादा है, लेकिन बनासकांठा में इन कारकों का अभाव है। इसके अलावा सत्ता विरोधी भावना भी मौजूद थी, लेकिन कांग्रेस इसका फायदा प्रदेश में कहीं और नहीं उठा पाई। वर्ना बेहतर बूथ प्रबंधन के साथ वो राज्य में कम से कम पांच सीटें जीत सकती थी।' 

गेनीबेन द्वारा विधायक रहते हुए जनता के लिए किए गए कामों की बात करें तो उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र में उन्होंने क्षेत्र में पानी की कमी से जुड़े मुद्दे को सफलतापूर्वक उठाया है, जिससे सत्तारूढ़ भाजपा सरकार को चेक डैम बनाने और कासरा से दानितवाड़ा तक 77 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाने का काम शुरू करने के लिए मजबूर होना पड़ा। यह पाइपलाइन नर्मदा मुख्य नहर से 300 क्यूसेक मीटर पानी लाएगी और चार तालुकाओं के 73 गांवों में 156 झीलों को प्रभावी ढंग से भर देगी। जिससे लंबे समय तक जलसंकट नहीं होगा।

ठाकोर विधानसभा में भी हर तरह के मुद्दों को उठाने में बहुत मुखर रहती हैं। वे कांग्रेस के उन 16 विधायकों में शामिल हैं जिन्हें पिछले साल गुजरात विधानसभा ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के सांसद के तौर पर निलंबन के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए निलंबित किया था। फरवरी 2024 में, उन्हें और 10 अन्य कांग्रेस विधायकों को राज्य में फर्जी सरकारी दफ्तरों पर चर्चा करने के लिए फिर से निलंबन का सामना करना पड़ा था। यह निलंबन एक दिन तक चला, जिसमें विधानसभा की दो बैठकें शामिल थीं।

ठाकोर शराब पर अपने दृढ़ रुख और शराबबंदी को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने विवाह अधिनियम में संशोधन की भी वकालत की है, जिसमें विवाह पंजीकरण के लिए माता-पिता के हस्ताक्षर अनिवार्य करने और यह सुनिश्चित करने का प्रस्ताव है कि शादी युवक-युवती के तालुका में ही हो।

बनासकांठा सीट पर भी ठाकोर की चुनौती आसान नहीं थी। उनका मुकाबला भाजपा उम्मीदवार रेखा चौधरी से था, जो इंजीनियरिंग प्रोफेसर हैं और पहली बार चुनाव लड़ रही थीं। उनके दादा गलबाभाई चौधरी ने बनास डेयरी की स्थापना की थी, जो रोजाना 4.5 लाख किसानों से दूध खरीदती है। यह एक परिवर्तनकारी पहल रही है, जिसने जिले भर में कई लोगों के लिए आजीविका के अवसरों को काफी हद तक बढ़ाया है।

बनासकांठा सीट पर भाजपा का अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील, विकास कार्यों, अयोध्या राम मंदिर और मजबूत राष्ट्रवाद पर केंद्रित था। जिसके जवाब में ठाकोर ने बेरोजगारी, परीक्षा पेपर लीक, कृषि संकट और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों को उठाया और अपनी पार्टी को संविधान के रक्षक के रूप में पेश किया।

2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के परबतभाई पटेल ने कांग्रेस के पार्थी भटोल को 3.68 लाख वोटों से हराकर बनासकांठा सीट जीती थी। 2014 के चुनाव में भी पार्टी ने यह सीट जीती थी। बनासकांठा सीट को 2012 के उपचुनावों के बाद से भाजपा का गढ़ माना जाता रहा है। लेकिन अब ऐसा नहीं रहेगा क्योंकि ठाकोर ने इस मान्यता को बदल दिया है।

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