Hindi Newsगुजरात न्यूज़13 year old girl plotted to kill her mother in mobile addiction

कोविड के बाद मोबाइल वाली महामारी! 13 साल की बच्ची कर देना चाहती थी मां का कत्ल

मोबाइल की लत बच्चों पर कितना बुरा असर डाल रही है इसकी एक और डराने वाली मिसाल अहमदाबाद में सामने आई है। यहां मोबाइल छीनने की वजह से गुस्से में आकर 13 साल की बच्ची अपनी मां की हत्या की साजिश रचने लगी।

Sudhir Jha लाइव हिन्दुस्तान, अहमदाबादMon, 19 June 2023 03:03 PM
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मोबाइल की लत बच्चों पर कितना बुरा असर डाल रही है इसकी एक और डराने वाली मिसाल अहमदाबाद में सामने आई है। यहां मोबाइल छीनने की वजह से गुस्से में आकर 13 साल की बच्ची अपनी मां की हत्या की साजिश रचने लगी। कभी चीनी के डिब्बे में फीटनाशक पाउडर डाल देती तो कभी बाथरूम के फर्श पर फिनाइल गिरा देती थी। 45 वर्षीय महिला ने जब करीब से निगाह रखनी शुरू की तो यह जानकर हैरान रह गई कि उसकी बेटी ऐसा कर रही है। मजबूरन महिला ने मदद के लिए हेल्पलाइन का नंबर डायल किया। पता चला कि नाबालिग लड़की अपनी मां की हत्या करना चाहती थी जिसने उसका मोबाइल छीन लिया था। 

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अभयम 181 हेल्पलाइन के एक काउंसलर ने बताया कि बच्ची चाहती थी कि उसके पैरेंट्स कीटनाशक खाकर मर जाएं या बाथरूम में फिसलने से सिर में ऐसी चोट आए कि उनकी जान चली जाए। पता चला कि उसकी मां ने कुछ दिन पहले उससे मोबाइल छीन लिया था और वापस देने से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा, 'पैरेंट्स ने हमें बताया कि लड़की पूरी रात फोन पर टाइम बिताती थी। ऑनलाइन दोस्तों के साथ चैटिंग और सोशल मीडिया पर रील्स या पोस्ट देखती रहती थी। इससे उसकी पढ़ाई और सोशल लाइफ पर बहुत बुरा असर पड़ा था।'

माता-पिता यह जानकर भौचक्के रह गए क्योंकि उन्होंने ऐसी प्रतिक्रिया की कल्पना नहीं की थी। काउंसल ने बताया कि माता-पिता उसके लिए किसी बात की कमी नहीं रखते थे। क्योंकि वह उनकी शादी के 13 साल बाद पैदा हुई थी। अभयम हेल्पलाइन की कोऑर्डिनेटर फाल्गुनी पटेल ने कहा, '2020 या कोरोना महामारी से पहले हमें दिन में मुश्किल से 3-4 कॉल्स ही मिलते थे। लेकिन पिछले कुछ सालों में तीन गुना की वृद्धि हुई है और हर दिन 12-15 केस आ रहे हैं, सालाना करीब 5400 कॉल्स।' उन्होंने कहा कि 20 फीसदी केस बच्चों और नाबालिगों से जुड़े होते हैं। 

विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना महामारी के बाद ऐसे मामले में तेजी आई जब बच्चों को पढ़ाई के लिए फोन मिला। महामारी से पहले उनकी फोन तक पहुंच कम थी और पैरेंट्स के डर से सोशल मीडिया से दूर रहते थे। काउंसलर ने रिपोर्ट में बताया कि नाबालिग ऑनलाइन गेम्स और सोशल मीडिया पर अधिक वक्त बिता रहे हैं। मनोचिकित्सक डॉ. हंसल भाचेच ने कहा कि आंकड़े जमीनी हकीकत को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा, 'फोन या सोशल मीडिया से दूर कर दिए जाने पर दूसरों को नुकसान पहुंचाना एक चरम प्रतिक्रिया है। हमें अक्सर ऐसे मामले मिलते हैं जहां किशोर खुद को नुकसान पहुंचाने की प्रवृत्ति दिखाते हैं।'

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