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अब करना होगा 12 घंटे तक काम, गुजरात में इस बिल ने दिया नौकरीपेशा को झटका

अब करना होगा 12 घंटे तक काम, गुजरात में इस बिल ने दिया नौकरीपेशा को झटका

संक्षेप: उद्योग मंत्री बलवंतसिंह राजपूत ने यह विधेयक पेश करते हुए कहा कि इस कानून का उद्देश्य अधिक आर्थिक गतिविधियां और रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए निवेश और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि यह संशोधन श्रमिकों के शोषण के बराबर है। 

Wed, 10 Sep 2025 06:26 PMUtkarsh Gaharwar अहमदाबाद, पीटीआई
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गुजरात में अब शिफ्ट की टाइमिंग बदल जाएगी। नौकरीपेशा लोगों को अब 9 घंटे की जगह 12 घंटे काम करना होगा। गुजरात की भूपेंद्र पटेल सरकार ने आज कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बारी विरोध के बावजूद कारखाना (गुजरात संशोधन) विधेयक, 2025 को पास करा लिया है। इसे बीजेपी विधायकों का पूरा समर्थन था। यह बिल कारखाना अधिनियम 1948 में संशोधन करता है। महिलाओं को पर्याप्त सुरक्षा उपायों के साथ शाम 7 बजे से सुबह 6 बजे के बीच रात की पाली में काम करने की अनुमति भी इस बिल के अंदर मिलती है। इस विधेयक ने जुलाई में जारी एक अध्यादेश की जगह ली है, इसे बहुमत से ध्वनि मत के माध्यम से पारित किया गया है, क्योंकि विपक्षी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने कारखाने के श्रमिकों के लिए संशोधित काम के घंटों का विरोध किया था।

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उद्योग मंत्री बलवंतसिंह राजपूत ने यह विधेयक पेश करते हुए कहा कि इस कानून का उद्देश्य अधिक आर्थिक गतिविधियां और रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए निवेश और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना है। काम के घंटे बढ़ने और श्रमिकों के शोषण से संबंधित चिंताओं को दूर करने के लिए, राजपूत ने स्पष्ट किया कि एक सप्ताह में कुल काम के घंटे 48 घंटे से कम रहेंगे। राजपूत ने कहा, "यह विधेयक राज्य सरकार को एक सप्ताह में अधिकतम 48 घंटों के अधीन, किसी भी दिन आराम के अंतराल सहित, काम के घंटों की संख्या को मौजूदा नौ घंटे से बढ़ाकर बारह घंटे करने की अनुमति देता है। इससे अधिक आर्थिक गतिविधियां और रोजगार के अवसर पैदा होंगे।"

उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि अगर मजदूर चार दिन में 12 घंटे काम करके 48 घंटे का काम पूरा करते हैं तो उन्हें बाकी तीन दिनों के लिए सवेतन अवकाश (पेड लीव) मिलेगा। कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवानी ने आरोप लगाया कि यह संशोधन श्रमिकों के शोषण के बराबर है, जो श्रमिकों के वित्तीय सशक्तिकरण के सरकार के दावे के खिलाफ है। उन्होंने कहा, "वैसे भी वे पहले से ही दिन में 11 से 12 घंटे काम कर रहे हैं, क्योंकि नौ घंटे की काम की पाली के नियम का पालन नहीं किया जाता है। अगर आप इसे 12 घंटे तक बढ़ाते हैं, तो मजदूरों को 13 से 14 घंटे तक काम करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।" मेवानी ने दावा किया कि काम के घंटों में बढ़ोतरी से श्रमिकों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा क्योंकि लंबे समय तक काम करने के कारण उन्हें पर्याप्त नींद से वंचित रहना पड़ेगा।

उन्होंने कहा, आप गरीब और कुपोषित मजदूरों को 12 घंटे काम करने के लिए मजबूर करके राज्य को प्रगति नहीं करा सकते हैं।" विधेयक में दावा किया गया है कि कारखाने मालिकों को काम के घंटे बढ़ाने के लिए श्रमिकों की सहमति लेनी होगी। क्या एक गरीब मजदूर इस मांग को ठुकरा सकता है? 12 घंटे काम करने से इनकार करने पर मालिक उसे तुरंत नौकरी से निकाल देगा। आर्थिक प्रगति हासिल करने के लिए कई विकल्प हैं, और यह निश्चित रूप से सही तरीका नहीं है।

आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक गोपाल इटालिया ने दावा किया कि यह विधेयक श्रमिकों के फायदे के लिए नहीं, बल्कि कारखाने मालिकों के लाभ के लिए लाया गया है। "पहले अध्यादेश लाने की क्या जल्दी थी? क्या श्रमिकों या यूनियनों ने आपके पास आकर काम के घंटे बढ़ाने की मांग की थी? बिना नौकरी सुरक्षा के इस सहमति के नियम का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि अगर मजदूर 12 घंटे काम करने से इनकार करते हैं तो उन्हें निकाल दिया जाएगा। एक ठोस आश्वासन होना चाहिए कि कोई भी अपनी नौकरी नहीं खोएगा," इटालिया ने कहा।

आम आदमी पार्टी (आप) से निलंबित बोटाद विधायक उमेश मकवाना ने भी इस विधेयक का विरोध किया और इसकी प्रति फाड़ दी। मंत्री राजपूत ने सदन को बताया कि जुलाई में अध्यादेश जारी होने के बाद उन्होंने प्रमुख व्यापार और मजदूर यूनियनों की आशंकाओं को दूर कर दिया था। उन्होंने कहा, "मैंने मजदूर संघ के नेताओं से कहा कि उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि इस संशोधन के प्रावधान अस्थायी हैं। अगर हमें पता चलता है कि कारखाने मालिक नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं और मजदूरों के साथ अन्याय हो रहा है, तो यह विधेयक हमें संशोधन वापस लेने का अधिकार देता है।" हालांकि, कांग्रेस और आप के विरोध के बावजूद, यह विधेयक अंततः ध्वनि मत से बहुमत के साथ पारित हो गया। बाद में, विधानसभा ने मौजूदा कानूनों में मामूली बदलावों के साथ, गुजरात चिकित्सा व्यवसायी (संशोधन) विधेयक और गुजरात क्लिनिकल प्रतिष्ठान (पंजीकरण और विनियमन) (दूसरा संशोधन) विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया।

Utkarsh Gaharwar

लेखक के बारे में

Utkarsh Gaharwar
एमिटी और बेनेट विश्वविद्यालय से पत्रकारिता के गुर सीखने के बाद अमर उजाला से करियर की शुरुआत हुई। अमर उजाला में बतौर एंकर सेवाएं देने के बाद 3 साल नवभारत टाइम्स ऑनलाइन में डिजिटल कंटेंट प्रोड्यूसर के पद पर काम किया। वर्तमान में लाइव हिंदुस्तान में डिजिटल कंटेंट प्रोड्यूसर के पद पर कार्यरत हूं। एंकरिंग और लेखन के अलावा मिमिक्री और थोड़ा बहुत गायन भी कर लेता हूं। और पढ़ें

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