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गुजरात चुनाव PROFILE 1 :तीसरा विकल्प खड़ा करने की कोशिश में शंकर सिंह वाघेला

कांग्रेस और भाजपा दोनों में रह चुके शंकर सिंह वाघेला इस बार चुनावों में अकेले ताल ठोकने के लिए कमर कसे हुए हैं। ‘बापू’ के नाम से मशहूर 77 वर्षीय वाघेला की कोशिश राज्य में तीसरा विकल्प...

गुजरात चुनाव PROFILE 1 :तीसरा विकल्प खड़ा करने की कोशिश में शंकर सिंह वाघेला
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीMon, 27 Nov 2017 02:25 PM
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कांग्रेस और भाजपा दोनों में रह चुके शंकर सिंह वाघेला इस बार चुनावों में अकेले ताल ठोकने के लिए कमर कसे हुए हैं। ‘बापू’ के नाम से मशहूर 77 वर्षीय वाघेला की कोशिश राज्य में तीसरा विकल्प तैयार करने की है। हालांकि यह समय ही बताएगा कि उनकी यह कोशिश कितना रंग लाएगी।

मगर एक बात तय है कि गुजरात की राजनीति में उन्हें हल्के में लेना किसी भी पार्टी को भारी पड़ सकता है। गुजरात की राजनीति में उनके पास 40 से ज्यादा वर्ष का अनुभव है और उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजनीतिक गुरु भी माना जाता है। 

कांग्रेस-भाजपा दोनों के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके:
शंकर सिंह वाघेला गुजरात के संभवत: एकमात्र ऐसे नेता हैं जो कांग्रेस और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। राज्य के सियासी गलियारे उनके रूठने को लेकर भी चर्चा रहती है। 1995 में मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज होकर उन्होंने 55 विधायकों के साथ बगावत कर दी और एक साल बाद कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस के साथ भी उनके रूठने-मनाने का दौर चलता रहा और इसी साल उन्होंने अपने जन्मदिन के मौके पर घोषणा कर दी कि उन्हें कांग्रेस पार्टी ने निकाल दिया है। 

दिल्ली चुनावों का उदाहरण:
‘जन विकल्प मोर्चे’ के साथ सभी 182 सीटों पर ताल ठोकने जा रहे वाघेला का जादू हालांकि पहले जैसा नहीं रहा है। बावजूद इसके उन्हें अपनी ताकत पर पूरा यकीन है। उनका मानना है कि उनकी पार्टी मैदान में सिर्फ किसी एक पार्टी के वोट काटने के लिए नहीं है बल्कि वह जनता को एक तीसरा विकल्प दे रहे हैं। इसके लिए वह दिल्ली में आम आदमी पार्टी की जीत का उदाहरण देते हैं, जो भाजपा और कांग्रेस की मौजूदगी के बावजूद शानदार जीत दर्ज करने में सफल रही थी। 

चुनौतियां:
अकेले दम पर पार्टी को जिताने की जिम्मेदारी
बढ़ती उम्र के साथ कम होती लोकप्रियता 

शक्ति:
नरेंद्र मोदी के बाद गुजरात में दूसरे सबसे शक्तिशाली नेता माने जाते हैं।
18000 गांवों में कम से कम 10 लोगों को जानने वाले इकलौते नेता के रूप में जाने जाते हैं।

ताकत:
नरेंद्र मोदी के बाद गुजरात में दूसरे सबसे शक्तिशाली नेता माने जाते हैं 
18,000 गांवों में कम से कम 10 लोगों को जानने वाले इकलौते नेता के रूप में पहचान 
182 सीटों पर ‘जन विकल्प मोर्चे’ के नेतृत्व में अपने उम्मीदवार खड़े किए 
40 से ज्यादा साल का राजनीतिक अनुभव है वाघेला को गुजरात में 

शंकर सिंह वाघेला: सफरनामा 
1977: जनसंघ से जुड़ने के बाद जनता पार्टी की टिकट पर लोकसभा सदस्य बने 
1980: गुजरात भाजपा के महासचिव और बाद में प्रदेश अध्यक्ष बने
1995: वाघेला ने 55 विधायकों के साथ विद्रोह किया और केशुभाई पटेल को मुख्यमंत्री पद से हटाया 
1996: लोकसभा चुनाव हारने के बाद भाजपा से अलग हुए और अपनी राष्ट्रीय जनता पार्टी बनाई। कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई। एक साल तक मुख्यमंत्री भी रहे। 
1998: वाघेला की पार्टी को सिर्फ चार सीट ही मिली और बाद में उनकी पार्टी में कांग्रेस में विलय होगा। 
2004: यूपीए सरकार में केंद्रीय कपड़ा मंत्री बने 
2012: गुजरात चुनाव में कांग्रेस के दिग्गजों की हार के बावजूद कपडवंज सीट से जीते। 
2017: कांग्रेस से अलग होने की घोषणा की और अपनी खुद की पार्टी बनाई। 

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