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कांग्रेस ने नहीं छोड़ी बेहतर नतीजों की उम्मीद, एक्जिट पोल से सहमत नहीं

कांग्रेस को गुजरात में बेहतर नतीजों की उम्मीद है। एक्जिट पोल के अनुमान से पार्टी नेता सहमत नहीं दिख रहे हैं। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि गुजरात के नतीजे चौंकाने वाले हो सकते हैं इसलिए 18...

कांग्रेस ने नहीं छोड़ी बेहतर नतीजों की उम्मीद, एक्जिट पोल से सहमत नहीं
नई दिल्ली। विशेष संवाददाताFri, 15 Dec 2017 03:57 PM
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कांग्रेस को गुजरात में बेहतर नतीजों की उम्मीद है। एक्जिट पोल के अनुमान से पार्टी नेता सहमत नहीं दिख रहे हैं। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि गुजरात के नतीजे चौंकाने वाले हो सकते हैं इसलिए 18 तारीख तक इंतजार करना चाहिए। एक्जिट पोल के अनुमान पर टिप्पणी से पार्टी नेता बच रहे हैं। इनसे इतर पार्टी का मानना है कि गुजरात में प्रचार अभियान के दौरान जमीनी तौर पर जिस तरह का असंतोष भाजपा सरकार के खिलाफ देखने को मिला है, उससे पार्टी को निश्चित रूप से जीत का भरोसा है। पार्टी संचार विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला का कहना है कि गुजरात में कांग्रेस की जीत होना तय है।
 
सिब्बल-अय्यर के अलावा सब कुछ सधा
पार्टी सूत्रों का कहना है कि हिमाचल प्रदेश को लेकर पार्टी पहले से बहुत आश्वस्त नहीं रही है। लेकिन गुजरात की हवा का रुख बदला हुआ था। पार्टी ने इसे भुनाने के लिए पूरा जोर भी लगाया। कपिल सिब्बल द्वारा सुप्रीम कोर्ट में राममंदिर के मुद्दे पर सुनवाई टालने का अनुरोध और पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर की प्रधानमंत्री मोदी को लेकर अभद्र टिप्पणी ने आखिरी दौर में भाजपा को जरूर मौका दिया। लेकिन ज्यादातर समय पार्टी ने भाजपा को मुद्दों पर घेरने का प्रयास किया।
 
सधा प्रचार अभियान
 कांग्रेस की रणनीति पर नजर रखने वालों का मानना है कि पार्टी ने रणनीतिक रूप से गुजरात पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किया। पार्टी के शीर्ष नेता राहुल गांधी ने गुजरात में धुंआधार प्रचार किया। पार्टी की रणनीति पूरे चुनाव के दौरान बहुत सधी हुई रही। राहुल गांधी ने अपने अभियान को ध्रुवीकरण के प्रयासों से बचाने का प्रयास करते हुए मुद्दों पर केंद्रित रखा। राहुल के प्रचार में नरम हिंदुत्व का तेवर भी दिखा। जमीनी प्रचार और सोशल मीडिया अभियान में कांग्रेस लगातार भाजपा को कड़ी टक्कर देती हुई नजर आई। हालांकि बूथ प्रबंधन पार्टी की कमजोर कड़ी नजर आया। कई जगहों पर भाजपा के मुकाबले पार्टी का संगठन कमजोर था। बावजूद इसके पाटीदार नेता हार्दिक पटेल, पिछड़े वर्ग के युवा नेता अल्पेश ठाकोर और दलित नेता जिग्नेश मेवाणी के सहारे पार्टी ने अलग-अलग हिस्सों में जबरदस्त माहौल बनाया। पार्टी के रणनीतिकार मानते हैं कि इन सभी समीकरणों का फायदा पार्टी को मिलेगा।

जीत मिली तो राहुल निखरेंगे
 कांग्रेस चुनाव जीतती है तो निश्चित रूप से इसका फायदा राहुल गांधी को मिलेगा। राहुल गांधी पार्टी के अध्यक्ष बन चुके हैं। उनकी ताजपोशी के बाद गुजरात के नतीजे बेहतर हुए तो उनकी छवि ज्यादा निखरेगी। उनकी पार्टी पर पकड़ भी मजबूत होगी। पहले से नतीजे बेहतर होने पर भी कांग्रेस इसे भुनाने का प्रयास करेगी। लेकिन भाजपा ने अपनी ताकत बरकरार रखी और गुजरात और हिमाचल दोनों जगहों पर बुरी हार हुई तो कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर राहुल गांधी की चुनौतियां बढ़ जाएंगी।

हिमाचल वीरभद्र के खाते में
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के हारने पर पार्टी किसी नए युवा नेता को आगे लाने का प्रयास करेगी। वीरभद्र सिंह का यह आखिरी चुनाव माना जा रहा था। कांग्रेस नेतृत्व ने प्रदेश की पूरी रणनीति उनके ही भरोसे छोड़ दी थी। इसलिए हार का ठीकरा भी वीरभद्र सिंह के सिर फूटेगा और अगर कोई चमत्कार हुआ और उन्हें असंभव मानी जा रही जीत मिली तो उनका कद पार्टी में बहुत बढ़ जाएगा।

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