रणनीति: भाजपा की पाटीदारों के साथ दलितों-पिछड़ों को साधने पर जोर, पूर्व मुख्यमंत्री का करेगी उपयोग
अब तक के सबसे बड़े लक्ष्य के लिए गुजरात में सामाजिक समीकरणों को साधने में जुटी भाजपा पाटीदार वोटों का बड़ा हिस्सा अपने पक्ष में करने के साथ पिछड़ों व दलितों को साधने के सारे दांव खेल रही...
अब तक के सबसे बड़े लक्ष्य के लिए गुजरात में सामाजिक समीकरणों को साधने में जुटी भाजपा पाटीदार वोटों का बड़ा हिस्सा अपने पक्ष में करने के साथ पिछड़ों व दलितों को साधने के सारे दांव खेल रही है।
पार्टी इसके लिए पाटीदार समुदाय के बड़े नेता व पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल का भी उपयोग करेगी। टिकटों के बंटवारे में भी भाजपा ने पाटीदार समुदाय को छोड़कर बाकी समुदायों के विधायकों के बड़ी संख्या में टिकट काटकर नए चेहरों पर दांव लगाया है।
गुजरात चुनाव: ये क्या, एक ही सीट पर नामांकन के लिए आए दो कांग्रेस उम्मीदवार, जानिए क्या है मामला
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद गुजरात में भाजपा के लिए सब कुछ ठीक नहीं रहा। पार्टी को दो मुख्यमंत्री बदलने पड़े और कभी मुख्यमंत्री के प्रबल दावेदार रहे सौरभ पटेल को सरकार से बाहर होना पड़ा। इस बीच युवा हार्दिक पटेल के नेतृत्व में पाटीदार आरक्षण आंदोलन ने भाजपा की रणनीति को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है।
अब हार्दिक पटेल के कांग्रेस को समर्थन से भाजपा की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं। पटेल समुदाय भाजपा का परंपरागत समर्थक रहा है। ऐसे में इस चुनाव में पटेलों की नाराजगी का भाजपा को नुकसान हो सकता है। ऐसे में भाजपा नेतृत्व ने पाटीदार समुदाय के मौजूदा विधायकों पर ही दाव लगाया है।
हालांकि उसने अन्य उम्म्मीदवार तय करने में अंदरूनी सर्वे व आकलन को ध्यान में रखा है। पहली सूची के बाद दूसरी व तीसरी सूची में बड़ी संख्या में विधायकों के टिकट काटकर नए चेहरों पर दाव लगाए गए हैं।
पार्टी के एक प्रमुख नेता ने कहा है कि इस बार चुनावी रणनीति बदली है। इसकी दो वजह है कि पहला राज्य में नया नेतृत्व होना और दूसरी बड़ा लक्ष्य होना। भाजपा को इस बार कम से कम दो दर्जन नई सीटें जीतना है और उसके लिए सभी राजनीतिक व सामाजिक समीकरण बनाए जा रहे हैं।