जल्द ही आसान होगा गुम, चोरी या खोए फोन को खोजना
गुम या चोरी हुए मोबाइल फोन को ढूंढ निकालना आसान होने जा रहा है। अगले महीने के अंत तक सेंट्रल मोबाइल आइडेंटिटी इक्विपमेंट रजिस्टर काम करना शुरू कर देगा। इस रजिस्टर में चोरी या गुम हुए मोबाइल...
गुम या चोरी हुए मोबाइल फोन को ढूंढ निकालना आसान होने जा रहा है। अगले महीने के अंत तक सेंट्रल मोबाइल आइडेंटिटी इक्विपमेंट रजिस्टर काम करना शुरू कर देगा। इस रजिस्टर में चोरी या गुम हुए मोबाइल हैंडसेट्स का डाटा होगा जिसके जरिए ऑपरेटर्स आसानी से ऐसे हैंडसेट्स को नेटवर्क पर ब्लॉक कर सकेंगे। मोबाइल चोरी होना या गुम होना आम बात है। कीमती मोबाइल हो तो उपभोक्ता के लिए परेशानी खड़ी हो जाती है। लेकिन सरकार की सेंट्रल मोबाइल आइडेंटिटी इक्विपमेंट रजिस्टर के जरिए ग्राहक का हैंडसेट नेटवर्क पर ब्लॉक किया जा सकेगा।
रजिस्टर से नकली हैंडसेट की आसानी से पहचान होगी और गुम या चोरी हुए मोबाइल का नेटवर्क पर एक्सेस बंद होगा। टेलीकॉम कंपनियों को उपकरणों का डाटा मिल सकेगा और ग्राहकों को क्लोन मोबाइल का पता चल सकेगा। इतना ही नहीं सुरक्षा एजेंसिया मोबाइल को ट्रैक भी कर पाएंगी।
सरकार ने रजिस्टर को बनाने की जिम्मेदारी जुलाई में बीएसएनएल को सौंपी थी। सरकारी संस्था सी-डॉट ने इसके लिए उपकरण और सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराया है। और बीएसएनएल इसके लिए इंटीग्रेशन का काम कर रहा है। इसका पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा है और दिसंबर अंत तक सरकार इसके लॉन्च कर सकती है।
फिलहाल कोई सेंट्रलाइज्ड रजिस्टर नहीं है जिसमें पुलिस अपनी रिपोर्ट भेज सके कि मोबाइल चोरी का है और इसे ब्लॉक किया जाए। लेकिन अब इस रजिस्टर में सभी मोबाइल फोन्स के आईएमईआई नंबर होंगे जिसे सभी ऑपरेटर्स देख सकेंगे और ऐसे मोबाइल नेटवर्क पर ब्लॉक कर सकेंगे। मोबाइल वापस नहीं मिलने की सबसे बड़ी वजह होती है आईएमईआई का बदल जाना। पिछले महीने ही सरकार ने निमयों में बदलाव करते हुए आईएमईआई बदलने पर जुर्माने और 3 साल की सजा का प्रावधान किया है। ऐसे में लोगों के मोबाइल फोन वापस मिलने की संभावना भी बढ़ेगी।