कंगाल कर रहा बिजली कनेक्शन काटने वाला ये मैसेज, ऐसे पहचाने मैसेज असली है या नकली
भारत में अब बिजली उपभोक्ता धोखेबाजों के निशाने पर आ गए हैं ताकि वे उन्हें डराकर पैसे ऐंठ सकें। दरअसल, देश में इलेक्ट्रिसिटी बिल स्कैम के कई मामले सामने आ चुके हैं। पढ़ें और सतर्क रहें
भारत में अब बिजली उपभोक्ता धोखेबाजों के निशाने पर आ गए हैं ताकि वे उन्हें डराकर पैसे ऐंठ सकें। दरअसल, देश में इलेक्ट्रिसिटी बिल स्कैम के कई मामले सामने आ चुके हैं। इस स्कैम में जालसाज यूजर्स को एसएमएस या वॉट्सऐप के जरिए मैसेज भेज रहे हैं कि उनका बिल बकाया है और अगर वे इसका भुगतान नहीं करते हैं तो उनका कनेक्शन काट दिया जाएगा। इसमें एक फोन नंबर होता है जो अनिवार्य रूप से स्कैमर को यूजर के साथ बातचीत करने की अनुमति देता है और अंततः उन्हें पैसे ट्रांसफर करने के लिए मना लेता है। पिछले कुछ दिनों में इन घोटालों के पीड़ितों में से कुछ को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है।
खासकर इन राज्यों के लोग निशाने पर
ट्विटर पर यूजर रिपोर्ट्स से पता चलता है कि पूरे भारत में बिजली बिल घोटालों में वृद्धि हुई है। स्कैमर्स गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब और ओडिशा समेत अन्य राज्यों में यूजर्स को टारगेट कर रहे हैं।
मैसेज में रहता है फर्जी नंबर भी
फर्जी मैसेज बिजली वितरण कंपनी की ओर से आने का दिखावा करता है और यूजर्स से एक विशेष फोन नंबर डायल करने के लिए कहता है, जिसके बारे में झूठा दावा किया जाता है कि वह बिजली अधिकारी का है, ताकि बिजली सप्लाई काटे जाने से बचा जा सके। इसमें एक रेंडम अमाउंट भी शामिल है जो प्राप्तकर्ता के पेडिंग बिजली बिल के रूप में दर्शाया जाता है।
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बचने के लिए धोखेबाजों ने लगाई ये तरकीब
पिछले कुछ दिनों में स्कैमर द्वारा प्रसारित किए गए कुछ संदेशों की समीक्षा की और पाया कि सभी मामलों में, मैसेज भेजे जाने के तुरंत बाद दिए गए फ़ोन नंबर अनुपलब्ध हो गए। कुछ मामलों में, पहली नजर में पकड़े जाने से बचने और एक साथ बड़ी संख्या में लोगों को निशाना बनाने के लिए स्कैमर्स को एसएमएस हेडर का उपयोग करके नकली बिजली बिल अलर्ट मैसेज भेजते देखा गया। हालांकि, हेडर आधिकारिक बिजली वितरकों से जुड़े नहीं थे। अन्य मामलों में स्कैमर्स अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए वॉट्सऐप पर डिस्पोजेबल फोन नंबरों का उपयोग करते पाए गए।
असली-नकली मैसेज में ये होता है अंतर
महाराष्ट्र साइबर सहित एजेंसियों ने उपभोक्ताओं को ऐसे किसी भी मैसेज पर ध्यान न देने की जानकारी दी है। टीपी सेंट्रल ओडिशा डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड (टीपीसीओडीएल) सहित बिजली वितरकों ने भी बताया है कि वास्तविक डिस्कनेक्शन मैसेज में उपभोक्ताओं का कॉन्ट्रैक्ट अकाउंट (CA) नंबर होता है और इसमें आधिकारिक हेल्पलाइन नंबर शामिल होना चाहिए।
हाल की मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि घोटालेबाज कुछ उपभोक्ताओं का शिकार करने में सक्षम थे और उनके लंबित बिजली बिलों को क्लीयर करने के लिए झूठे खाते में लाखों रुपये लूटे।
(कवर फोटो क्रेडिट-justenergy)