Airtel के IPL विज्ञापन के नीचे स्पष्टीकरण बड़े शब्दों में हो: अदालत
दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज कहा कि Airtel के आईपीएल की 'लाइव व नि:शुल्क पहुंच संबंधी विज्ञापन के अंत में दायित्व से दूरी संबंधी उद्घोषणा (डिस्क्लेमर) बड़े शब्दों में होनी चाहिए। न्यायाधीश योगेश...
दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज कहा कि Airtel के आईपीएल की 'लाइव व नि:शुल्क पहुंच संबंधी विज्ञापन के अंत में दायित्व से दूरी संबंधी उद्घोषणा (डिस्क्लेमर) बड़े शब्दों में होनी चाहिए। न्यायाधीश योगेश खन्ना ने रिलायंस जियो की याचिका पर सुनवाई करते यह टिप्पणी की। जियो ने एयरटेल के उक्त विज्ञापन को 'भ्रमित करने वाला बताते हुए चुनौती दी है।
दोनों पक्षों के वकीलों को सुनने के बाद अदालत ने कहा कि 'तकनीकी रूप से यह (विज्ञापन) ठीक है लेकिन डिस्क्लेमर के शब्दों का आकार बड़ा होना चाहिए। अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा कि वह उचित आदेश जारी करेगी। इससे पहले भी अदालत ने कहा था कि सम्बद्ध विज्ञापन में उद्घोषणा उतने मोटे शब्दों में नहीं है जैसा एयरटेल ने आश्वासन दिया था।
उल्लेखनीय है कि एयरटेल के इस विज्ञापन को लेकर दोनों कंपनियों में कानूनी लड़ाई चल रही है। एयरटेल ने अपने विज्ञापन में दावा किया है कि 'उसके ग्राहक उसके एप एयटेलटीवी के जरिए आईपीएल के लाइव मैच नि:शुल्क देख सकते हैं। जियो ने इस विज्ञापन को 'भ्रामक बताते हुए चनौती दी। इसके अनुसार एयरटेल को अपने विज्ञापन में यह स्पष्ट व मोटे शब्दों में बताना चाहिए कि उन्हें आईपीएल के मैच दिखा रहे एप हॉटस्टार को कोई ग्राहकी शुल्क नहीं देना होगा। लेकिन एयरटेल से डेटा तो उसे खरीदना ही पड़ेगा, जो निशुल्क नहीं है।
अदालत ने शुरुआती सुनवाई के बाद एयरटेल से कहा कि उसकी उद्घोषणा बड़े शब्दों में होनी चाहिए। जियो ने बाद में अवमानना याचिका दायर की कि एयरटेल अदालत के 13 अप्रैल के आदेश का पालन नहीं कर रही। अदालत में आज की सुनवाई के दौरान एयरटेल की ओर से वरिष्ठ वकील पी चिदंबरम ने कहा कि कंपनी के विज्ञापन देश की विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) द्वारा तय नियमों का पूरी तरह से अनुपालन करते हैं।
वहीं जियो के वकील अभिषेक मनु सिंघवी तथा डी कृष्णन ने कहा कि एएससीआई के मानकों के अनुसार अरग कोई विज्ञापन, उसके डिस्केमर के विपरीत है तो उसका प्रचार प्रसार नहीं किया जा सकता।