अभिनेता और फिल्म निमार्ता संजय सूरी का कहना है कि उनकी आगामी फिल्म 'झलकी' खास है, क्योंकि यह बाल श्रम पर जागरूकता फैलाने को लेकर बनाई गई है। ऐसे में फिल्म के मुद्दे को ध्यान में रखते हुए सरकार को फिल्म को राष्ट्रव्यापी रिलीज पर टैक्स-फ्री कर देना चाहिए। संजय ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से कहा कि, 'मुझे लगता है कि सरकार को फिल्म का इस्तेमाल संवेदनशीलता के लिए करना चाहिए और इसे टैक्स-फ्री घोषित कर देना चाहिए। 'झलकी' जैसी फिल्म बाल श्रम के मुद्दे पर जागरूकता पैदा करने में सहायक हो सकती है। सरकार को फिल्म को अपने स्तर पर टैक्स-फ्री बनाना चाहिए, ताकि अधिक लोग इसे देख सकें। अधिकारियों द्वारा ऐसा कदम उठाया जाना चाहिए और फिल्मकारों पर, खास कर हम जैसे इंडी फिल्मकारों पर बोझ नहीं होना चाहिए।'
उन्होंने आगे कहा कि 'यह फिल्म, बच्चों के साथ-साथ माता-पिता को भी संवेदनशील बनाएगी। वहीं अभिनेता का मानना है कि स्कूलों में भी इसकी स्क्रीनिंग होनी चाहिए। एक उदाहरण का हवाला देते हुए, अभिनेता ने कहा, 'शुरू में जब मल्टीप्लेक्स का निमार्ण किया गया था, तो विकास को गति देने के लिए मल्टीप्लेक्स में रिलीज होने वाली सभी फिल्मों को पांच साल के लिए टैक्स-फ्री कर दिया गया था। मेरा बस इतना कहना है कि सीबीएफसी स्तर पर ऐसा नहीं क्यों नहीं होना चाहिए। अधिकारी इस प्रकार की फिल्मों (टैक्स-फ्री के लिए) पर विचार क्यों नहीं करते हैं जो समाज में जागरूकता पैदा कर सकें?'
'झलकी' फिल्म की कहानी एक नौ वषीर्य लड़की के चारों ओर घूमती है, जिसका नाम झलकी है। वह अपने भाई की तलाश कर रही है, जिसका अपहरण कर लिया गया है और उसका बाल तस्करों द्वारा शोषण किया जा रहा है। ब्रह्मानंद एस. सिह द्वारा निर्देशत फिल्म में तनिष्ठा चटर्जी, दिव्या दत्ता, और बोमन ईरानी भी शामिल हैं। फिल्म के ट्रेलर को इस साल की शुरुआत में कान्स फिल्म फेस्टिवल में रिलीज किया गया था। वहीं फिल्म को बोस्टन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित किया गया है।
ऐप पर पढ़ें