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नवाजुद्दीन सिद्दीकी को 'शूल' के लिए नहीं मिली थी फीस, निकाला रिकवरी का ये शानदार तरीका

Nawazuddin Siddiqui Movie: नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने हाल ही में बताया कि उन्हें 'शूल' फिल्म में वेटर का रोल प्ले करने के लिए 2500/- देने का वादा किया गया था जो कि बाद में उन्हें दिए भी नहीं गए।

नवाजुद्दीन सिद्दीकी को 'शूल' के लिए नहीं मिली थी फीस, निकाला रिकवरी का ये शानदार तरीका
Puneet Parashar टीम लाइव हिंदुस्तान, नई दिल्लीTue, 26 April 2022 09:33 AM
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नवाजुद्दीन सिद्दीकी को बॉलीवुड में फेम मिलने से पहले उन्होंने कई छोटे-मोटे रोल किए जिनमें से कई के लिए तो शायद उन्हें क्रेडिट भी नहीं दिया गया था। ऐसी ही कुछ फिल्मों में से एक थी ईश्वर निवास के निर्देशन में बनी फिल्म 'शूल'। राम गोपाल वर्मा के प्रोडक्शन में बनी ये फिल्म साल 1999 में रिलीज हुई थी और इसमें नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने एक वेटर का किरदार निभाया था जो शायद ही किसी को याद होगा। फिल्म में रवीना टंडन और मनोज बाजपेयी ने लीड रोल प्ले किए थे।

ढाई हजार रुपये के लिए 7 महीने तक कटवाए चक्कर
नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने हाल ही में बताया कि उन्हें 'शूल' फिल्म में वेटर का रोल प्ले करने के लिए 2500/- देने का वादा किया गया था जो कि बाद में उन्हें दिए भी नहीं गए। नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने बताया कि 2500/- के लिए लगातार 6-7 महीने तक प्रोडक्शन ऑफिस के चक्कर काटने के बाद भी जब उन्हें उनके पैसे नहीं दिए गए तो उन्होंने इस पैसे को रिकवर करने का एक शातिर तरीका सोचा।

मनोज बाजपेयी की फिल्म में किया था वेटर का रोल
बॉलीवुड बबल के साथ इंटरव्यू में नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने बताया, 'मैंने कई फिल्मों में छोटे-छोटे रोल किए थे। इनमें से बहुत से रोल्स के बारे में तो मैं लोगों को बताता भी नहीं हूं, लेकिन मैं उनमें हूं। मुझे जिंदगी चलाने के लिए पैसे की जरूरत थी। मैंने शूल फिल्म में वेटर का रोल प्ले किया था जो रवीना टंडन और मनोज बाजपेयी से ऑर्डर लेता है। मुझे कहा गया था कि इस रोल के लिए मुझे 2500/- दिए जाएंगे, लेकिन वो पैसे मुझे कभी नहीं दिए गए।'

नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने इस तरह निकाला अपना पैसा
नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने बताया, 'ऐसा कई बार हुआ था लेकिन ये वाला केस मुझे याद है। 6-7 महीने तक मैंने ऑफिस के चक्कर काटे, ढाई हजार रुपये के लिए। वो नहीं मिले, लेकिन खाना मिल जाता था। मैंने क्या किया बाद में, चालाकी क्या की, मैं खाने के टाइम में पहुंचता था उनके ऑफिस, वो मेरी हालत को देखते और बोलते खाना खाएगा? मैंने कहा- हां। वो कहते- पैसे तो नहीं मिलेंगे पर खाना खा ले आजा तू। मैंने कहा- चल ठीक है। तो मैं ऐसे एक डेढ़ महीने तक खाना खाया, तो मेरे पैसे जो हैं ना बराबर हो गए।

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