बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। उन्होंने अपनी एक्टिंग से लोगों के दिलों में खास जगह बनाई है। नवाजुद्दीन के निभाए हर किरदार को दर्शकों ने हमेशा सराहा है, लेकिन उनका बॉलीवुड तक पहुंचने का सफर इतना आसान नहीं था। उन्होंने मुंबई में गरीबी के दिन झेले हैं। हालत यह थी कि दिन में एक टाइम खाना मिलने के बाद दूसरे टाइम खाना मिलेगा या नहीं इसका कोई ठिकाना नहीं था। आज नवाजुद्दीन का जन्मदिन है। आज इस खास मौकेपर उनके संघर्ष पर नजर डालते हैं।
एक इंटरव्यू के दौरान नवाज ने बताया था कि मुंबई में करीब पांच साल तक उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ा। टीवी प्रोडक्शन हाउस के खूब चक्कर काटे। वह फोटो हर जगह देते रहा, लेकिन कोई रोल देने को तैयार ही नहीं था क्योंकि भिखारी का रोल करने के लिए भी उन्हे 6 फुट का जवान चाहिए था। और वह तो साधारण दिखने वाला व्यक्ति। रंग रूप देखकर उन्हें रोल देने से मना कर दिया जाता था।
मुंबई में संघर्ष का यह ऐसा समय था कि वह एक समय खाना खाते तो दूसरे समय के लाले पड़ जाते। उन्होंने कई बार हार मानने की सोची और सब कुछ छोड़कर वापस गांव जाने का सोचा। लेकिन फिर याद आता कि वह गांव क्या मुंह लेकर जाएंगे।
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वह कहते हैं कि अगर मैं वापस जाता तो गांव में सब मजाक उड़ाते कि बड़ा बन रहा था, हीरो बनने गया था, वापस आ गया। तो वापस गांव जाने का विचार मैंने छोड़ ही दिया था। मुझे कोई और काम आता भी नहीं था तो कुछ और कर भी नहीं सकते थे, लेकिन मैंने सोच लिया था कि अब मरना जीना मुंबई में ही होगा।