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Mahabharat 23 April Evening Episode 54 Written Updates: स्वर्ग से दिव्यास्त्र लेकर वापस लौट आए हैं अर्जुन, दुर्योधन को सता रही युद्ध की चिंता

देश में लगे लॉकडाउन के दौरान दूरदर्शन पर प्रचलित धार्मिक सीरियल ‘महाभारत’ का प्रसारण जारी है। दर्शक इस सीरियल को बहुत पसंद कर रहे हैं। अब तक आपने देखा कि अर्जुन ने युद्ध की तैयारी के लिए...

Mahabharat 23 April Evening Episode 54 Written Updates: स्वर्ग से दिव्यास्त्र लेकर वापस लौट आए हैं अर्जुन, दुर्योधन को सता रही युद्ध की चिंता
Kamta Prasad लाइव हिन्दुस्तान टीम, नई दिल्लीThu, 23 April 2020 08:05 PM
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देश में लगे लॉकडाउन के दौरान दूरदर्शन पर प्रचलित धार्मिक सीरियल ‘महाभारत’ का प्रसारण जारी है। दर्शक इस सीरियल को बहुत पसंद कर रहे हैं। अब तक आपने देखा कि अर्जुन ने युद्ध की तैयारी के लिए दिव्य अस्त्र प्राप्त कर लिए हैं। इस बीच अप्सरा को अर्जुन से प्यार हो जाता है लेकिन अर्जुन इस प्यार को इंकार कर देते हैं और अप्सरा को माता कह देते हैं। अप्सरा गुस्से में आकर अर्जुन को श्राप दे देती हैं। अब आज के एपिसोड में देखिए क्या हुआ....

08.00 PM शकुनि मामा चिंता में हैं। वह कर्ण को मिलने के लिए बुलाते हैं। कर्ण पूछते हैं कि आप चिंता में क्यों हैं। शकुनि बोलते हैं कि पांडवों का वनवास समाप्त होने वाला है। उनका अज्ञातवास ही मेरा अंतिम दांव है। दुर्योधन अब मुझ पर भरोसा नहीं करता है वह मुझसे सवाल करने लगा है। उसे कहो कि वह गुप्तचर भेजे और हमारे पास सिर्फ एक साल है। अगर हम उन्हें नहीं ढूंढ पाए तो युद्ध होगा। मैं चाहता हूं कि दुर्योधन युद्ध बिना किए ही पांडवों से जीत जाए, इसलिए उसे समझाओ और पांडवों के बारे में पता करें। 

07.54 PM जब पांडव घर आते हैं तो उन्हें द्रौपदी नहीं मिलती। भीम और अर्जुन द्रौपदी को ढूंढने के लिए निकलते हैं तो उन्हें रास्ते में द्रौपदी के घड़े के टुकड़े दिखाई देते हैं। अर्जुन बाण चलाते हैं तभी रथ के आगे आग लग जाती है और राजा का काफिला रुक जाता है। अर्जुन एक-एक करके सभी सैनिकों को मार देते हैं। राजा रथ से उतरकर भागने लगता है तभी भीम उसे पकड़कर मारने लगता है। अर्जुन आकर उसे छुड़ा देते हैं। भीम राजा को उठाकर युधिष्ठिर के पास लेकर जाते हैं। युधिष्ठिर उसे दंड देने से मना कर देता है क्योंकि वह रिश्ते में पांडव भाइयों के बहनोई लगते हैं। द्रौपदी कहती हैं इसे दास बनाकर रख लीजिए। इसके सिर पर पांच चोटियां छोड़कर सभी बाल हटाने का आदेश देती हैं। भीम ऐसा ही करते हैं। इसके बाद युधिष्ठिर उसे छोड़ देते हैं। 

07.50 PM द्रौपदी पानी भरकर ला रही हैं तभी वहां पर उनके नंदोई पहुंच जाते हैं। वह द्रौपदी से बात करने लगते हैं। वह कहते हैं कि मुझसे तुम्हारी दशा देखी नहीं जाती है। इसके बाद वह द्रौपदी से दुर्व्यहार करने लगते हैं। वह द्रौपदी को छूने लगते है और द्रौपदी का हरण कर लेते हैं। 

07.40 PM दुर्योधन खुद को गदा से पिटवा रहे हैं तभी कर्ण आकर उन्हें ऐसा करने से रोक देते हैं। कर्ण उन्हें एक बुलावे में जाने के लिए कहते हैं कि लेकिन दुर्योधन मना कर देते हैं। वह बोलते हैं कि मेरा इस वक्त हिस्तनापुर में रुकना बहुत जरूरी है। 

07.35 PM अर्जुन दिव्यास्त्र लेकर वापस लौट आए हैं। वह सभी भाइयों से गले मिलते हैं। इस दौरान वह भाइयों को पासुपास्त्र अस्त्र दिखाते हैं। अर्जुन अस्त्र चलाने लगते हैं तभी ऊपर से आवाज आती है कि यह कोई खेलने वाली चीज नहीं हैं। ऐसा करोगे तो विश्व खत्म हो जाएगा। यह मानव कल्याण के लिए है। 

07.30 PM कर्ण, दुर्योधन से मिलने के लिए पहुंचते हैं। दुर्योधन काफी चिंता में हैं। वह कहते हैं कि मैं भीम के हाथों मरना नहीं चाहता। मेरे कानों में भीम की प्रतिज्ञा की आवाज सुनाई देती है। यदि युद्ध हुआ तो जीत मैं भी सकता हूं और वह भी जीत सकता है। मैं भीम से कभी हारना नहीं चाहता हूं। 

07.21PM वह विदुर से बोलते हैं कि युद्ध में मेरे अस्त्र और शस्त्र दुर्योधन के साथ होंगे। जिस दिन हस्तिनापुर का विभाजन हुआ उस दिन गंगा पुत्र भीष्म भी बंट गया था। 

07.19PM विदुर, भीष्म पितामह से मिलने के लिए पहुंचते हैं। दोनों हस्तिनापुर को लेकर बात करते हैं। पितामह पूछते हैं कि क्या इस युद्ध से बचकर निकला जा सकता है। विदुर कहते हैं कि युद्ध के लिए अर्जुन अस्त्र प्राप्त कर लिए हैं। पितामह बोलते हैं कि मैं चाहता हूं कि यह युद्ध न हो। क्योंकि अगर युद्ध हुआ तो मैं दुर्योधन के साथ लड़ना पड़ेगा। जब तक मैं जीवित हूं यह घाव नहीं भरने वाला है। 

07.15 PM सुभद्रा, अभिमन्यु को ढूंढ रही हैं। अभिमन्यु को कृष्ण गोद में उठा लेते हैं। वह कहते हैं कि अपनी सारी ममता इस पर न्यौंछावर कर दो। अभिमनु मामा कृष्ण से मां की शिकायत करते हैं। कृष्ण, सुभद्रा को बताते हैं कि युद्ध होने वाला है। यह युद्ध सत्य और असत्य के बीच होने वाला है। 

07.10 PM भगवान, अप्सरा से बोलते हैं कि तुमने अप्सरा की मर्यादा का उल्लंघन किया है। तुम अर्जुन के श्राप की सीमा कर दो। इसके बाद अप्सरा मान जाती हैं। अर्जुन, भगवान से आशीर्वाद लेकर भूलोक के लिए निकल जाते हैं। 

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