Mahabharat 2 May Noon Episode 71 Written Updates: पांडवों ने भीष्म पितामह से लिया आशीर्वाद, तय किए गए युद्ध के नियम
देश में लगे लॉकडाउन के दौरान दूरदर्शन पर प्रचलित धार्मिक सीरियल 'महाभारत' का प्रसारण हो रहा है। दर्शक इस सीरियल को बहुत पसंद कर रहे हैं। अब तक आपने देखा कि भीष्म पितामह काफी चिंतित हैं। वह...
देश में लगे लॉकडाउन के दौरान दूरदर्शन पर प्रचलित धार्मिक सीरियल 'महाभारत' का प्रसारण हो रहा है। दर्शक इस सीरियल को बहुत पसंद कर रहे हैं। अब तक आपने देखा कि भीष्म पितामह काफी चिंतित हैं। वह कहते हैं कि मुझे नींद नहीं आ रही है। हस्तिनापुर में जो भी कुछ चल रहा है वह सही नहीं। जब भी आंख लगती है तो पांडवों का बाल-बचपन सामने आकर खड़ा हो जाता है। भीष्म, पुराने समय और पाडवों के बचपन को याद कर खुश भी होते हैं और दुखी भी। अब देखिए जानिए क्या हुआ...
01.00 PM कर्ण कहते हैं कि मेरे भाग्य में सिर्फ युद्ध देखना रह गया है। कृष्ण कहते हैं कि यदि युद्ध केवल देखना है कि अपने पांडव भाइयों के शिविर में बैठकर देखिए। इस पर कर्ण कहते हैं कि लोग कहेंगे कि मैं वीरगति के डर मैं उस तरफ पर चला गया। मैं दुर्योधन को धोखा नहीं दे सकता हूं। जब मेरे पास कोई नहीं था तो सिर्फ दुर्योधन ही मेरी तरफ मित्रता का हाथ बढ़ाया था। मैं अपमान का यह घाव सहन नहीं कर सकता हूं। मैं वहां किसी भी हालत में नहीं जाऊंगा। कृष्ण कहते हैं कि ऐसा क्यों। कर्ण ने कहा कि इसका एक और भी कारण है कि मैं द्रौपदी का सामना नहीं कर सकता हूं। मैंने उसका अपमान किया है। वासुदेव मैं अपने इस अपराध के लिए खुद को कभी माफ नहीं कर पाऊंगा।
12.58 PM युधिष्ठिर, अर्जुन से बात करते हैं। अर्जुन से पूछते हैं कि व्यूह कौन तोडे़गा। अर्जुन कहते हैं हम यह युद्ध अपने बाहुबल के दम पर जीतना चाहते हैं। कर्ण चिंता में हैं। तभी वहां कृष्ण पहुंचते हैं और बोलते हैं कि आज आखिरी रात है कल से युद्ध होना है तो मैंने सोचा अपने प्रिय लोगों से मिल लेता हूं। वह कर्ण से पूछते हैं कि मुझे समझ नहीं आया कि महारथी कर्ण युध्द क्यों नहीं कर रहे हैं। इस पर कर्ण कहते हैं कि अर्जुन का भाग्य साथ दे रहा है। इसलिए ऐसा हुआ है।
12.50 PM भीष्म पितामह ने कौरवों और पांडवों से कहा कि हम लोगों के बीच दुर्भाग्य से रणभूमि के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है। इसलिए युद्ध के नियम तय कर लीजिए। कृष्ण ने कहा कि आप जो नियम बनाएंगे वहीं पांडव मानेंगे। भीष्म ने कहा यह भार मुझ पर मत डालिए। कृष्ण बोलते हैं कि इस युध्द का नियम आपको ही बनाना होगा। इस दौरान भीष्म युद्ध के कई तरह के नियम बताते हैं।
12.40PM पितामह से मिलने के लिए कृष्ण पांडवों के साथ पहुंचते हैं। इस दौरान सभी भाई भीष्म पितामह से एक-एक करके आशीर्वाद लेते हैं। वह अर्जुन से गले मिलकर रोने लगते हैं। तभी वहां पर शिखंडी पहुंचते हैं। भीष्म उन्हें बैठने के लिए कहते हैं। इसके बाद अर्जुन गुरुद्रोण से आशीर्वाद लेते हैं।
12.37 PM आगे विदुर कुंती से कहते हैं कि आप न सोचिए आपकी पूजा किसके लिए मृत्यु बनने वाली है। कुंती कहती हैं फिर भी मैं दुर्योधन को पराजय का श्राप नहीं दे सकती। ऐसे विदुर कहते हैं हिस्तनापुर को आशीर्वाद दीजिए।
12.35 PM गांधारी शिव की अराधना कर रही हैं। वह कहती हैं कि वह माता क्या करें जो अपने पुत्रों के लिए विजयी का वरदान भी नहीं मांग सकती है। वह रो रोकर शिव भगवान से मदद मांग रही हैं। दूसरी तरफ कुंती चिंता में हैं। विदुर उनसे मिलने के लिए पहुंचते हैं। विदुर, कुंती से कहते हैं कि धर्म युद्ध में यह नहीं देखा जाता है कि कौन किसका पुत्र है। पांडवों के लिए विजय मांगिए। इसलिए कि वह धर्म के मार्ग पर चल रहे हैं। उनके लिए विजय न चाहना तो पाप है।
12.25 PM अर्जुन दुर्गा माता को बुलाने के लिए ध्यान लगा रहे हैं। दुर्गा माता प्रकट हो जाती हैं। वह पूछती हैं कि तुम मुझे क्यों पुकार रहे हो। अर्जुन बोलते हैं हमें विजयश्री का वरदान दीजिए। दुर्गा ने कहा कि तुम्हें इसकी आवश्यकता नहीं है क्योंकि जहां धर्म होगा वहां पर श्रीकृष्ण होंगे और जहां पर वह होंगे वह विजयी होना स्वाभाविक है।
12.20 PM अर्जुन को अपना अपमान याद आ रहा है जब दुर्योधन ने उनके सभी भाइयों का मुकुट उतरवाकर अपने पैरों में रखवा लिया था। तभी वहां पर कृष्ण पहुंचते हैं। वह पूछते हैं किन विचारों में खोए हुए हो। अर्जुन बोलते हैं कि मैं युद्ध की प्रतीक्षा कर रहा हूं। मैं अपनी क्रोध की अग्नि को भड़का रहा हूं। कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि दुर्गा माता को सहायता के लिए पुकारो।
12.10 PM कुरुक्षेत्र में कौरवों और पांडवों की सेना पड़ाव डाल चुकी है। युधिष्ठिर, द्रौपदी के साथ शादी के समय को याद कर रहे हैं।