Hindi Newsएंटरटेनमेंट न्यूज़Mahabharat 19 April Noon Episode 45 Written Live Updates: Shakuni Duryodhan Against Pandavas Know What happened Next

Mahabharat 19 April Noon Episode 45 Written Live Updates: शुरू हुआ चौसर खेलना, युधिष्ठर को हराने के लिए उत्सुक हैं दुर्योधन

देश में लगे लॉकडाउन के दौरान दूरदर्शन पर प्रचलित धार्मिक सीरियल ‘महाभारत’ का प्रसारण जारी है। दर्शक इस सीरियल को काफी पसंद कर रहे हैं। अभी तक आपने देखा कि शकुनि मामा सभा में पहुंचते हैं।...

Khushboo Vishnoi vishnoi लाइव हिन्दुस्तान टीम, नई दिल्लीSun, 19 April 2020 01:02 PM
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देश में लगे लॉकडाउन के दौरान दूरदर्शन पर प्रचलित धार्मिक सीरियल ‘महाभारत’ का प्रसारण जारी है। दर्शक इस सीरियल को काफी पसंद कर रहे हैं। अभी तक आपने देखा कि शकुनि मामा सभा में पहुंचते हैं। और दुर्योधन को पांडवों के खिलाफ भड़काते हैं। वह कहते हैं कि अपमान का बदला बुद्धि से लिया जाता है। दुर्योधन मैं तुम्हें वचन देता हूं कि अब की बार जुए में मैंने युधिष्ठिर को कंगाल न कर दिया तो मैं वनवास ले लूंगा। शकुनि, दुर्योधन से कहते हैं कि मेरी इंद्रप्रस्थ वाली हार से तुम्हारी जीत का रास्ता निकलने वाला है। इसपर दुर्योधन पूछते हैं कि अगर पांडवों ने जुआ खेलने से मना कर दिया तो? इसपर मामा कहते हैं कि कोई भी ऐसा क्षत्रिय नहीं है जो जुए के आमंत्रण को अस्वीकार कर दे। 

आमंत्रण तुम्हारे पिता की ओर से जाएगा। पांडव यहां से इंद्रप्रस्थ लेकर गए थे और यही देकर जाएंगे। शकुनि, धृतराष्ट्र के पास जाते हैं और कहते हैं कि पांडवों को बुलाया जाए और उनके साथ चौसर खेला जाए। लेकिन, धृतराष्ट्र इस बात से बेखबर होते हैं कि असल में शकुनि मामा पांडवों के लिए एक बड़ा षड्यंत्र रच रहे हैं। अब जानिए आज के एपिसोड में आगे क्या हुआ...

12:56- धृतराष्ट्र, दुर्योधन और युधिष्ठर को आमने-सामने बुलाते हैं और चौसर खेलने की प्रक्रिया को शुरू करने के लिए कहते हैं। वहीं, शकुनि मामा मन ही मन आगबबुला हो रहे होते हैं। और युधिष्ठर को दुर्योधन से हारते देखने के लिए उत्सुक हो रहे हैं। 

12:54- धृतराष्ट्र खुद को नेत्रहीन कहते हैं। ऐसे में अर्जुन कहते हैं कि जेष्ठ पिताश्री आपकी 105 आंखें हैं ऐसे में आप सारी चीजें हम लोगों की आंखों से देखें। खुद को नेत्रहीन न कहें। धृतराष्ट्र, अर्जुन को आशीर्वाद देते हैं। वहीं, युधिष्ठर की सभा में जय-जयकार हो रही है। धृतराष्ट्र, युधिष्ठर को अपने पास बिठाते हैं। 

12:48- सभी लोग चौसर खेलने के लिए सभा में पधार रहे हैं। धृतराष्ट्र और गांधारी वहां पहले से ही मौजूद होते हैं। वहीं, युधिष्ठर दोनों से आशीर्वाद लेते हैं। धृतराष्ट्र, द्रौपदी के बारे में पूछते हैं तो गांधारी कहती हैं कि वह तीन दिन बाद आएंगी आशीर्वाद लेने।  

12:46- युधिष्ठर, हस्तिनापुर पांडवों के साथ पहुंचते हैं। दुर्योधन, मीठी-मीठी बातें करते हैं और युधिष्ठर का स्वागत करते हैं। 

12:44- गांधारी दुखी होती हैं और कहती हैं कि दुर्योधन मेरा जेष्ठ पुत्र हैं और वह राजभवन से ऊपर नहीं हो सकता। भीष्म पितामह अगर आप कहें तो मैं उसे श्राप दे दूं। वहीं, भीष्म पितामह उन्हें रोकते हुए कहते हैं कि दुर्योधन को गांधारी तुम आशीर्वाद दो कि उन्हें समझ आए।  

12:42- भीष्म, गांधारी से मिलने पहुंचते हैं। उन्हें वह अपनी परेशानी के बारे में बताते हैं। वह गांधारी से हस्तिनापुर को बचाने के लिए कहते हैं। वह कहते हैं कि दुर्योधन से कहो कि चौसर खेलने के अपने निमंत्रण को लौटा ले। गांधारी कहती हैं कि मैंने बहुत रोकने की कोशिश की। लेकिन मेरी अब इस राजभवन में कोई नहीं सुनता है। मैं तो खुद डरी-सहमी बैठी हूं। भगवान से बस अब प्रार्थना कर सकती हूं कि हस्तिनापुर में सब कुछ ठीक हो जाए। गांधारी कहती हैं कि पितामह आप कुछ करें। 

12:37- भीष्म, इंद्र पर भड़कते हैं और कहते हैं कि तुम इंद्रप्रस्थ दूत बनकर क्यों गए। क्या तुम भूल चुके हो कि युधिष्ठर की रक्षा करना तुम्हारा कर्तव्य है। शकुनि अपनी हर चाल में सफल हो रहा है। पुत्र विदुर इंद्र तुमने अपनी इस बात से मुझे पहली बार निराश किया है। भीष्म, इंद्र को कहते हैं कि मैं जानता हूं कि हारेगा मेरा हस्तिनापुर...

12:32- शकुनि मामा ने चौसर की पूरी तैयारी कर रखी है। वह अपने पासों की पूजा करते हैं और उनसे जिताने के लिए प्रार्थना करते हैं। वह अपने पासों को सेना बताते हैं। कहते हैं कि एक बार शकुनि को जिता दो। इतने में दुर्योधन आते हैं और पूछते हैं कि वह क्या कर रहे हैं। शकुनि कहते हैं कि मैं बस अपनी सेना को तैयार कर रहा था। शकुनि, दुर्योधन को विदुर नीति के अन्याय के बारे में याद दिलाते हैं। और भड़काते हैं। साथ ही शकुनि कहते हैं कि इन पासों को संभालकर रखो यह तुम्हारी जीत के पासे हैं। जीतने के बाद इन्हें मुझे वापस कर देना। शकुनि को छल ही छल का देवता कहते हैं। 

12:22- इंद्र देव युधिष्ठर के पास पहुंच चुके हैं। युधिष्ठर के साथ द्रौपदी भी मौजूद हैं। इसके साथ ही इंद्र देव कहते हैं कि महाराज ने उन्हें चौसर का निमंत्रण देने के लिए भेजा है और आप सभी कुशमंगल हैं यह पूछने के लिए भेजा है। द्रौपदी, इस बात को सुनकर थोड़ी परेशान हो जाती हैं। युधिष्ठर मान जाते हैं और कहते हैं कि वह जरूर आएंगे। साथ ही द्रौपदी भी हमारे साथ हस्तिनापुर आएंगी। वह भी महाराज के दर्शन कर लेंगी। मैं दुर्योधन संग चौसर खेलने के लिए तैयार हूं। 

12:16- इसके बाद इंद्र, भीष्म पितामह के पास जाते हैं। वह दुर्योधन और पांडवों के बीच चौसर खेलने की बात बताते हैं। वह बताते हैं कि धृतराष्ट्र महाराज ने उन्हें काम सौंपा है कि वह इंद्रप्रस्थ एक दूत बनकर जाएं और सभी को चौसर खेलने के लिए आमंत्रण देकर आएं। इंद्र यह सब बताते हुए काफी दुखी हो रहे हैं। भीष्म कहते हैं कि क्या यह शकुनि की एक और चाल है। वहीं, इंद्र कहते हैं कि मैं अब इंद्रप्रस्थ जा रहा हूं।

12:14- इंद्र, धृतराष्ट्र से मिलने आते हैं। वह उनसे उनकी चिंता के बारे में पूछते हैं। धृतराष्ट्र बताते हैं कि दुर्योधन, युधिष्ठर के साथ चौसर खेलना चाहते हैं। वहीं, इंद्र कहते हैं कि यह ठीक नहीं। मैं इसके साथ नहीं हूं। कई बार हारने और जीतने वाला यह भूल जाता है कि खेल को कब समाप्त होना चाहिए। भाइयों के बीच चौसर को बिछने ही नहीं देना चाहिए। इसलिए मैं इसे महाराज सही नहीं समझता। धृतराष्ट्र कहते हैं कि इंद्र तुम मेरे दूत बनकर युधिष्ठर के पास इंद्रप्रस्थ जाओ और सभी को चौसर खेलने के लिए आमंत्रण देकर आओ।

12:06- द्रौपदी, युधिष्ठर के पास आती हैं और कहती हैं कि हस्तिनापुर वालों के वापस चले जाने का इतना ही दुख है तो चलें उनसे मिल आते हैं। वहीं, युधिष्ठर, पांचाली से कहते हैं कि दुर्योधन हमारे लिए मेहमान समान थे तुम्हारी उनपर हंसी बहुत भारी पड़ने वाली है। इतने में द्रौपदी कहती हैं कि मुझे अपनी गलती का अहसास है। युधिष्ठर कहते हैं कि केवल अहसास से नहीं बल्कि इसका आपको प्रश्चित करना पड़ेगा। 

12:05- द्रौपदी को इसका पता ही नहीं था कि उसकी एक हंसी भारतवंश, मर्यादा और वर्तमान को कितनी महंगी पड़ने वाली है। लेकिन अब तो वह हंस चुकी हैं। द्रौपदी अब अपनी हंसी वापस नहीं ले सकती हैं और उसी हंसी ने युधिष्ठर को परेशान किया हुआ है- समय कहते हैं।

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