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Love Aaj Kal Movie Review: उलझी प्रेम कहानी को सुलझाने में सफल रहे कार्तिक आर्यन-सारा अली खान

फिल्म-लव आज कल  निर्देशक- इम्तियाज अली कास्ट: कार्तिक आर्यन, सारा अली खान, रणदीप हुड्डा और आरुशी शर्मा  स्टार ** 2 लव आज कल मूवी रिव्यू:  बॉलीवुड के नए ‘लव...

Radha Sharma राजीव रंजन, नई दिल्लीFri, 14 Feb 2020 06:15 PM
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Love Aaj Kal Movie Review: उलझी प्रेम कहानी को सुलझाने में सफल रहे कार्तिक आर्यन-सारा अली खान

फिल्म-लव आज कल 

निर्देशक- इम्तियाज अली

कास्ट: कार्तिक आर्यन, सारा अली खान, रणदीप हुड्डा और आरुशी शर्मा 

स्टार ** 2

लव आज कल मूवी रिव्यू: 

बॉलीवुड के नए ‘लव गुरु’ इम्तियाज अली एक और प्रेम कहानी लेकर आए हैं। 2009 की अपनी फिल्म ‘लव आज कल’ का इसी नाम से नया संस्स्करण लेकर। पहले वाले में सैफ अली खान मुख्य भूमिका में थे और इस बार उनकी बेटी सारा अली खान एक मुख्य भूमिका में हैं। इम्तियाज अली की इस फिल्म की कहानी भी कमोबेश पिछली फिल्म जैसी है। बस मामूली फेरबदल है। लोकेशन इस बार भारत में ही है, जबकि पिछली फिल्म में लोकेशन लंदन और भारत दोनों थे। इसमें सैफ की जगह कार्तिक हैं। दीपिका की जगह सारा हैं, ऋषि कपूर की जगह रणदीप हुड्डा हैं और गिजेली मोंटेरो की जगह आरुषि शर्मा हैं।

जूही उर्फ जोई (सारा अली खान) करियर को लेकर महत्वाकांक्षी लड़की है। वह इवेंट मैनेजमेंट में सफल करियर बनाना चाहती है। उसके जीवन का फलसफा करियर और मौज-मस्ती है, इसीलिए रिश्ते में कमिटमेंट से दूर भागती है। वह दिल्ली में रोज रघु (रणदीप हुड्डा) के कैफै में जाती है और वहीं बैठ कर जॉब के लिए ऑनलाइन अप्लाई करती रहती है। वीर (कार्तिक आर्यन) को वह अच्छी लगती है। उसकी वजह से वह भी रघु के कैफे में जाने लगता है। धीरे-धीरे दोनों के बीच आकर्षण हो जाता है। वीर संजीदा है, जबकि जोई के लिए करियर ज्यादा महत्वपूर्ण है। दोनों के बीच अंतत: सच्चा वाला प्यार हो जाता है। रघु को इन दोनों से बहुत लगाव है। उसे लगता है कि जवानी में वह भी वीर के जैसा ही था। वह जूही को अपनी प्रेम कहानी सुनाता है।

रघु उदयपुर में रहता है। वह अपने स्कूल में पढ़ने वाली लीना (आरुषि शर्मा) से प्यार करता है। दोनों के रिश्तों में समाज मुश्किलें खड़ी करता है। लीना के मां-बाप उसे दिल्ली भेज देते हैं, ताकि रघु से उसका पीछा छूटे। रघु भी अपनी मेडिकल की पढ़ाई छोड़ लीना के लिए दिल्ली आ जाता है। इधर, वीर और जोई की प्रेम कहानी भी एक अलग मोड़ पर आ जाती है... दोनों प्रेम कहानियां साथ-साथ चलती हैं। एक फ्लैशबैक में और एक वर्ततान में। एक 1990 की और दूसरी 2020 की।

अभिनय: कार्तिक दोहरी भूमिका में हैं, लेकिन उनका अभिनय उनकी पिछली फिल्मों के मुकाबले कमतर है। युवा रघु की भूमिका में उनकी बॉडी लैंग्वेज अजीबोगरीब लगती है। किरदार भी ठीक से नहीं गढ़ा गया है। हां, वीर के रूप में वे थोड़े ठीक लगे हैं। सारा अली खान भी प्रभावित नहीं कर पातीं। कई बार लगता है कि वह अभिनय करने का बहुत ज्यादा प्रयास कर रही हैं, इसलिए ‘ओवरएक्टिंग’का शिकार हो जाती हैं। रणदीप हुड्डा अच्छे अभिनेता हैं, लेकिन पटकथा की कमजोरी की वजह से वह अपना श्रेष्ठ नहीं दे पाए हैं। आरुषि शर्मा की यह पहली फिल्म है, इस लिहाज से उनका काम ठीक है। सिमोन सिंह का काम भी ठीक है, लेकिन उनके किरदार में ड्रामा ज्यादा है। बाकी कलाकारों के लिए इस फिल्म में करने को कुछ खास नहीं है।

निर्देशन और संगीत: इस फिल्म की पटकथा बहुत उलझी हुई है। इसमें प्रेम की फिलॉसफी को बेवजह इतना खींचा गया है कि वह दर्शकों के दिलों में एहसास पैदा नहीं कर पाती। ऐसा लगता है कि पटकथा प्रेम कहानी दिखाने के लिए नहीं, बल्कि प्रेम का दर्शन पढ़ाने के लिए लिखी गई है। पहले आधे घंटे में यह फिल्म ठीक लगती है, लेकिन उसके बाद भटक जाती है। किसी भी प्रेम कहानी की सफलता तभी है, जब वह दर्शकों मन को छुए, उनके दिमाग को उलझाए नहीं। पर यह फिल्म दिमाग को उलझाती है, लिहाजा अकसर बोझिल लगने लगती है। यह फिल्म बस किसी किसी दृश्य में कुछ प्रभावित करती है, बाकी हिस्सों में ऐसा दर्शन ठेलती है कि समझ में ही नहीं आता कि बतौर लेखक और निर्देशक इम्तियाज अली दर्शकों को क्या दिखाना और समझाना चाहते हैं!

जाहिर है, इस फिल्म की तुलना 2009 के ‘लव आज कल’ से होगी। और जब तुलना करेंगे, तो पाएंगे कि 2020 की ‘लव आज कल’ पिछली फिल्म के मुकाबले काफी कमजोर है। हर पहलू से। पटकथा के मामले में, प्रस्तुतीकरण के मामले में, अभिनय के मामले में, संगीत के मामले में। फिल्म का क्लाईमैक्स भी कमजोर है। ऐसा लगता है कि ‘लव गुरु’ का तमगा इम्तियाज पर भारी पड़ने लगा है। हर हाल में लव स्टोरी, वह भी बिल्कुल अलग तरह की, बनाने की जिद में वह दबाव में आ गए प्रतीत होते हैं, जिसका असर उनके कहानी कहने की कला पर पड़ने लगा है। शायद यही वजह है कि ‘हाईवे’ के बाद वह एक भी याद रखने लायक फिल्म नहीं दे पाए हैं। फिल्म का संगीत भी याद रखने लायक नहीं है। हां, सिनमेटेग्राफी अच्छी है और हिमालय के कुछ दृश्य मनोहारी लगते हैं।

कुल मिलाकर यह फिल्म उम्मीदों पर खरी नहीं उतरती, निराश करती है। यह औसत से भी कमतर फिल्म है।

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