Hindi NewsEntertainment NewsJohn Abraham Says He Can Do Action In His Sleep

नींद में भी कर सकता हूं एक्शन: जॉन अब्राहम

अभिनेता जॉन अब्राहम ने वैसे तो विविध किस्म की फिल्मों में काम किया है, पर उनकी पहचान मुख्य रूप से ‘रफ एंड टफ’ किरदारों की वजह से है। उनकी सबसे लोकप्रिय फिल्मों में शामिल हैं- धूम (2004),...

नींद में भी कर सकता हूं एक्शन: जॉन अब्राहम
Khushboo Vishnoi vishnoi निषाद नीलम्बरन, नई दिल्लीThu, 1 Jan 1970 05:30 AM
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अभिनेता जॉन अब्राहम ने वैसे तो विविध किस्म की फिल्मों में काम किया है, पर उनकी पहचान मुख्य रूप से ‘रफ एंड टफ’ किरदारों की वजह से है। उनकी सबसे लोकप्रिय फिल्मों में शामिल हैं- धूम (2004), फोर्स (2011), परमाणु: द स्टोरी ऑफ पोखरण (2018), सत्यमेव जयते (2018), रोमियो अकबर वॉल्टर और बाटला हाउस (दोनों साल 2019)। इन सभी फिल्मों की बदौलत जॉन ने फिल्म इंडस्ट्री में एक खास जगह बना ली है। मॉडलिंग से एक्टिंग की दुनिया में आने वाले जॉन की पिछली रिलीज फिल्म अनीस बज्मी की ‘पागलपंती’ थी। जॉन ने एक बातचीत के दौरान बताया कि एक्टर्स का सामाजिक रूप से जिम्मेदार होना क्यों जरूरी है और क्यों किसी फिल्म की गुणवत्ता का आकलन बॉक्स ऑफिस पर उसके प्रदर्शन के हिसाब से करना वाजिब है।

आप गंभीर किरदार भी निभा रहे हैं और हल्के-फुल्के भी। इनके बीच सामंजस्य कैसे बैठाते हैं?
यह आसान नहीं होता। हाल-फिलहाल की बात करूं तो मैंने फिल्म ‘पागलपंती’ की शूटिंग फिल्म ‘बाटला हाउस’ के ठीक बाद की थी। मुझे याद है, जब ‘पागलपंती’ की शूटिंग शुरू ही हुई थी, तो मैं अनीस के पास गया और उससे बोला कि मुझे थोड़ा वक्त चाहिए। मुझे   मानसिक रूप से तैयार होने में दो से तीन दिन लगे। लोगों को एक्शन के जरिये प्रभावित करना आसान होता है, यह मैं नींद में भी कर सकता हूं। पर किसी को हंसाने में सिर्फ कॉमिक टाइमिंग ही काम आती है। मैं खुशकिस्मत हूं कि मुझे इसके बारे में सीखने का मौका अपने करियर के शुरुआती दौर में ही मिल गया था।

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क्या काम के बाद भी आप अपने किरदारों को अपने साथ रखते हैं?
अगर मैं कोई शिद्दत भरा किरदार निभा रहा हूं, तो मैं उस किरदार को घर ले जाना पसंद करता हूं। जैसे फिल्म ‘बाटला हाउस’ के किरदार एसीपी संजीव कुमार के साथ मैं लंबे समय तक रहा। ऐसे में कई बार तो अपनी खुद की पहचान खोने का डर लगता है। यह वाकई डरावना होता है।

आपको बॉलीवुड में 18 साल हो चुके हैं। अब तक का सफर कैसा लगा?
यह सफर काफी दिलचस्प रहा है। सबसे अच्छी बात यह रही कि मेरे मन में कभी असुरक्षा का भाव नहीं आया। अब फिल्मों की भाषा बदल चुकी है। दर्शक बदल चुके हैं। मैं खुशकिस्मत हूं कि आज के दर्शक मेरी फिल्मों को स्वीकार रहे हैं।

क्या फिल्म की रिलीज से पहले अब भी आपको घबराहट होती है?
बिल्कुल नहीं। जब मैं किसी फिल्म के पहले या दूसरे दृश्य की शूटिंग कर रहा होता हूं, तभी मुझे अंदाजा हो जाता है कि बॉक्स ऑफिस पर उस फिल्म का प्रदर्शन कैसा रहेगा। वह कितना पैसा कमाएगी। कई बार तो मुझे यह भी अंदाजा हो जाता है कि वह पचास करोड़ क्लब में शामिल हो पाएगी या नहीं। कभी इसका जवाब हां होता है तो कभी न। अगर न भी हुआ, तो भी मैं बिना किसी चिंता के उसमें काम करना जारी रखता हूं।

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