Hindi NewsEntertainment NewsIn Bollywood Directors Are Making Science Fiction And Fantasy Based Films

बॉलीवुड में साइंस फिक्शन और फैंटसी बेस्ड फिल्में बनाने का है जमाना

भले ही हॉलीवुड फिल्ममेकर मार्टिन स्कॉर्सेसी ने अपने बयान से सुपरहीरो फिल्मों की सार्थकता पर एक बहस का माहौल बना दिया हो, पर ऐसा लग रहा है कि बॉलीवुड के फिल्म निर्माताओं को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा...

बॉलीवुड में साइंस फिक्शन और फैंटसी बेस्ड फिल्में बनाने का है जमाना
Khushboo Vishnoi vishnoi राधिका भिरानी, नई दिल्लीSat, 18 Jan 2020 07:12 PM
हमें फॉलो करें

भले ही हॉलीवुड फिल्ममेकर मार्टिन स्कॉर्सेसी ने अपने बयान से सुपरहीरो फिल्मों की सार्थकता पर एक बहस का माहौल बना दिया हो, पर ऐसा लग रहा है कि बॉलीवुड के फिल्म निर्माताओं को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा है। बहुत सारे फिल्म निर्माता साइंस फिक्शन और फंतासी जैसे विषयों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। आदित्य धर की अगली फिल्म ‘अश्वत्थामा’ में अभिनेता विक्की कौशल हैं और यह एक सुपरहीरो फिल्म है। इसी तरह राकेश रोशन की फिल्म ‘कृष 4’ की स्क्रिप्ट तैयार है। संजय गुप्ता ने ग्राफिक आधारित उपन्यास ‘रक्षक’ के अधिकार ले लिए हैं। इसी तरह अयान मुखर्जी की महत्वाकांक्षी ट्रायलॉजी ‘ब्रह्मास्त्र’ भी है। ऐसा भी सुनने में आया था कि भारतीय कॉमिक्स के चर्चित सुपरहीरो नागराज के किरदार के लिए अभिनेता रणवीर सिंह से बात चल रही है।

आखिर ऐसा क्या हुआ कि अचानक सुपरहीरो फिल्मों की तरफ तमाम फिल्म मेकर्स का रुझान हो गया? साल 2011 में रिलीज फिल्म ‘रा.वन’ की कहानी की सह-लेखिका कनिका ढिल्लन कहती हैं, ‘भारत में सुपरहीरो किरदारों को पसंद करने वाला एक बड़ा वर्ग है। ऐसे में यह लाजिमी है कि इतने सारे फिल्म मेकर्स भारतीय सुपरहीरोज पर आधारित फिल्में बना रहे हैं। बाजार इन फिल्मों के अनुकूल है, इन्हें बनाने के लिए तकनीक भी काफी विकसित हो चुकी है। दर्शक भी इस तरह की फिल्मों का बाहें फैला कर इंतजार कर रहे हैं। हमारी पौराणिक कहानियों में ऐसे किरदार भरे पड़े हैं।’

आदित्य धर को महाभारत के किरदार अश्वत्थामा पर फिल्म बनाने का ख्याल साल 2011 में आया था। इस फिल्म में आदित्य एक बार फिर एक्टर विक्की कौशल के साथ काम करने वाले हैं। वह कहते हैं, ‘हमारी कोशिश रहेगी कि बजट की सीमाओं को ध्यान में रखते हुए हम मार्वेल कॉमिक्स की फिल्मों जैसा कुछ चमत्कृत कर देने वाला काम करें।’

वह आगे कहते हैं,‘आज लोग ‘गेम ऑफ थ्रोन्स’ जैसे शो बना रहे हैं। हमारी पौराणिक कथाएं इससे कहीं बेहतर हैं। यही वजह है कि मैंने एक पैराणिक किरदार लेकर उसके इर्द-गिर्द एक संसार बनाने की बात तय की। जोर इस बात पर रहेगा कि युवा इससे जुड़ाव महसूस कर सकें।’

रक्षक के बारे में संजय गुप्ता कहते हैं, ‘इस हीरो के पास कोई सुपरपावर नहीं है। वह एक आम इनसान है। पर वह अपने प्रयासों से खुद को विलक्षण बनाता है। इस किरदार की तुलना बैटमैन से की जा सकती है। ये लोग सुपरपावर के साथ पैदा नहीं हुए पर इन्होंने तकनीक की मदद से खुद में सुपरपावर पैदा कर लिया।’ साल 2020 के अंत तक इस फिल्म का प्री-प्रोडक्शन शुरू हो जाएगा। पहली फिल्म में वीएफएक्स का ज्यादा इस्तेमाल नहीं होगा।

संजय बताते हैं, ‘यह बिलकुल कृष सिरीज जैसा होगा, जिसकी पहली फिल्म कोई मिल गया थी। उसमें वीएफक्स का ज्यादा इस्तेमाल नहीं था। बाद में वीएफएक्स का इस्तेमाल बढ़ता गया।’

फिल्म मेकर शेखर कपूर, जिन्होंने मिस्टर इंडिया जैसी चर्चित फिल्म बनाई थी, मानते हैं कि ‘सुपरहीरो’ शब्द पश्चिमी सभ्यता से आया है। यह लोगों को इतना आकर्षित इसलिए करता है, क्योंकि यह उनकी कल्पनाओं को पंख देता है।

ट्रेड एक्सपर्ट गिरीश जौहर का मानना है कि जहां एक ओर वेब माध्यम का वर्चस्व बढ़ने से सिनेमा के बिजनेस पर असर पड़ा है, वहीं दूसरी ओर दर्शकों को खींचने में आज भी ‘लार्जर दैन लाइफ’ (अतिशयोक्तिपूर्ण) सिनेमा ही कारगर होता है। हालांकि सुपरहीरो का कितना भी बोलबाला हो जाए, असल हीरो हमेशा कहानी ही रहेगी। हम सब जानते हैं कि बजट के मामले में हॉलीवुड का मुकाबला नहीं किया जा सकता। इसलिए हमें अपनी फिल्मों के भावनात्मक पक्ष को बहुत मजबूत रखना होगा।

लेटेस्ट Hindi News, Entertainment News के साथ-साथ TV News, Web Series और Movie Review पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।
ऐप पर पढ़ें