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गुरदास मान का किसान आंदोलन में हुआ विरोध, मंच पर नहीं मिली जगह, जानें- क्या है वजह

पंजाबी संगीत के बड़े सितारे गुरदास मान ने भी किसानों के आंदोलन का समर्थन किया है। इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट के जरिए भी गुरदास मान ने किसानों का हौसला बढ़ाया है। इस पोस्ट में वह एक किसान नेता से गले...

गुरदास मान का किसान आंदोलन में हुआ विरोध, मंच पर नहीं मिली जगह, जानें- क्या है वजह
Surya Prakash हिन्दुस्तान , नई दिल्लीTue, 8 Dec 2020 12:43 PM
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पंजाबी संगीत के बड़े सितारे गुरदास मान ने भी किसानों के आंदोलन का समर्थन किया है। इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट के जरिए भी गुरदास मान ने किसानों का हौसला बढ़ाया है। इस पोस्ट में वह एक किसान नेता से गले मिलते दिख रहे हैं। यही नहीं उन्होंने अपनी इस तस्वीर के साथ कैप्शन में लिखा है, 'कहने को तो बहुत कुछ है। पर मैं सिर्फ इतनी बात कहूंगा। मैं हमेशा आपके साथ हूं और हमेशा आपके साथ रहूंगा। किसान जिंदाबाद है और हमेशा जिंदाबाद रहेगा।' कुछ दिन पहले भी गुरदास मान ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो जारी कर किसान आंदोलन का समर्थन किया था। 

किसान आंदोलनकारियों को लेकर उन्होंने कहा था कि ऐसा लगता है कि जैसे भगत सिंह और उधम सिंह जैसे आंदोलनकारियों की आत्मा आप लोगों में आ गई है। बीते कई दशकों से गुरदास मान पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री के बड़े स्टार रहे हैं। उनसे पहले दिलजीत दोसांझ, Ammy Virk समेत कई और स्टार भी किसानों के मूवमेंट का समर्थन कर चुके हैं। 

यही नहीं दिलजीत दोसांझ ने किसान आंदोलन के लिए 1 करोड़ रुपये की रकम भी दान की है। हालांकि सिंघु बॉर्डर पर डटे किसानों का जब वह समर्थन करने पहुंचे तो कुछ युवाओं ने उन्हें मंच से संबोधित नहीं करने दिया।

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कुछ लोगों का कहना था कि उन्होंने किसान आंदोलन का समर्थन करने में देरी कर दी है। हालांकि इसकी एक बड़ी वजह उनके ऊपर पंजाबी भाषा के अपमान का आरोप लगना है। दरअसल बीते साल सितंबर में पटियाला की पंजाबी यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम हुआ था, जिसमें उर्दू कवि सरदार पंछी और हिंदी लेखक हुकम चंद राजपाल ने कथित तौर पर पंजाबी भाषा को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं। इस पर उन्होंने बाद में माफी भी मांग ली थी। उस दौरान गुरदास मान पंजाब में थे और इस घटना को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा था कि देश में एक हिंदुस्तानी भाषा होनी चाहिए।  

इसके आगे उन्होंने कहा था, 'बेकार के लोग इस तरह के विवाद पैदा करते हैं। ऐसे लोग सोशल मीडिया पर आलोचना करते रहते हैं, लेकिन वास्तव में यदि वे मातृभाषा को प्रमोट करना चाहते हैं तो फिर उन्हें समर्पण के साथ काम करना चाहिए।' उन्होंने कहा कि लोग हिंदी को लेकर बहस कर रहे हैं। मेरा कहना है कि एक हिंदुस्तानी भाषा होनी चाहिए, जिसमें पंजाबी और उर्दू के शब्दों को भी शामिल किया जाए।

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