बिकिनी में हीरोइन, अपने बेटे को दिखाया नंगा... एक हिट के लिए जब मशहूर एक्टर-डायरेक्टर ने किया यह सब
फ्राइडे फ्लैशबैक में एक ऐसी फिल्म के बारे में बताते हैं जिसके डायरेक्टर को एक हिट की सख्त जरूरत थी। पिछली फिल्म के फ्लॉप होने की वजह से वह दिवालिया बनने की कगार पर आ गए थे और तब टीनएजर स्टोरी बनाई।

हिंदी सिनेमा जगत में एक दौर ऐसा आया जब अमीर खानदान के लड़के और गरीब परिवार की लड़की की प्रेम कहानियों पर धड़ाधड़ फिल्में बनने लगीं। दर्शकों ने ऐसी बहुत सी फिल्मों को बहुत पसंद किया। इसकी शुरुआत हुई 1973 में आई फिल्म 'बॉबी' से, जिसमें ऋषि कपूर और डिंपल कपाड़िया ने मुख्य भूमिका निभाई। यह फिल्म टीनएजर प्रेम कहानी पर थी। फिल्म के गानों से लेकर कपड़ों तक ने नया ट्रेंड सेट किया। पहले लोगों को लगा था यह फिल्म नहीं चल पाएगी क्योंकि फिल्म में कोई सुपरस्टार नहीं था लेकिन जब यह रिलीज हुई तो साल की सबसे कामयाब फिल्म बनी।
सदमे में थे राज कपूर
'बॉबी' का निर्देशन राज कपूर ने किया था। इससे पहले उन्होंने कई यादगार फिल्में दीं। 1970 में राज कपूर ने बड़े बजट की 'मेरा नाम जोकर' बनाई। दुर्भाग्य से यह फिल्म बुरी तरह पिट गई और राज कपूर दिवालिया होने के कगार पर आ गए। फिल्म नहीं चलने की वजह से उनके बारे में तरह-तरह की बातें होने लगीं। लोग कहने लगे कि अब उनका टाइम खत्म हो गया है। काफी दिनों तक तो राज कपूर इस सदमे से बाहर नहीं आ पाए।
फिल्म में दिए हॉट सीन
फिर इस घाटे से उबरने के लिए उन्होंने यह तय किया कि वह टीनएजर लव स्टोरी बनाएंगे। इसके साथ ही जमकर हॉट सीन देने के बारे में सोचा। उन्होंने डिंपल कपाड़िया को हीरोइन के तौर पर चुना जो बिकिनी पहनने के लिए तैयार हो गईं। डिंपल के कई सीन हैं जिसमें वह बिकिनी पहने दिखती हैं। फिल्म के पोस्टर पर भी डिंपल की लाल बिकिनी वाली तस्वीर लगाई गई जिससे लोग उस फिल्म को देखने की ओर आकर्षित हों। यही नहीं फिल्म के एक सीन में तो ऋषि कपूर को भी उन्होंने नंगा दिखाया। सीन में ऋषि कपूर बिना तौलिया के होते हैं और अरुणा ईरानी उन्हें देखते ही चिल्ला पड़ती हैं। यह सब उस समय की फिल्मों के लिहाज से बहुत बड़ी बात थी।

सारे रिकॉर्ड तोड़े
'बॉबी' जब रिलीज हुई तो इसने सफलता के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। फिल्म ने राज कपूर को घाटे से निकाला। इसके हिट होने में बहुत बड़ा योगदान गानों का भी था। 'हम तुम एक कमरे में बंद हों', 'झूठ बोले कौवा काटे', 'मैं शायर तो नहीं' सहित अन्य गाने हैं जो आज भी लोकप्रिय हैं। फिल्म का बजट करीब 25 लाख था जबकि उस दौर में 60-70 लाख में फिल्में बनती थीं। इसका कुल कलेक्शन 5.5 करोड़ का रहा था। यह उस साल की सबसे बड़ी फिल्म साबित हुई। यही नहीं 70 के दशक में 'शोले' के बाद कलेक्शन के मामले में यह दूसरी बड़ी फिल्म है।