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Hindi News Entertainment NewsExclusive Bollywood Actress Nimrat Kaur and Director Avinash Arun talks about Hotstar School Of Lies and Paatal Lok Akshay kumar Dasvi 2

EXCLUSIVE: 'स्कूल ऑफ लाइज' एक्ट्रेस निम्रत कौर अक्सर बोलती हैं ये झूठ, अविनाश को लगता है डर- '...आगे बुरा होगा'

निर्देशक अविनाश अरुण (Avinash Arun), एक्ट्रेस निम्रत कौर (Nimrat Kaur) के साथ में वेब सीरीज 'स्कूल ऑफ लाइज' (School Of Lies) ला रहे हैं। 2 जून को रिलीज होने वाली सीरीज में क्या खास होगा..

EXCLUSIVE: 'स्कूल ऑफ लाइज' एक्ट्रेस निम्रत कौर अक्सर बोलती हैं ये झूठ, अविनाश को लगता है डर- '...आगे बुरा होगा'
Avinash Singh Palलाइव हिन्दुस्तान,मुंबईMon, 29 May 2023 01:39 PM
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Exclusive Interview: डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर 2 जून को 'स्कूल ऑफ लाइज' (School Of Lies) रिलीज होने वाला है। इसके ट्रेलर को सोशल मीडिया पर अच्छा रिस्पॉन्स मिला है और इसके लेकर एक्साइटमेंट भी जागा है। ऐसे में इस में क्या कुछ और है खास इसके लिए हमारे साथ जुड़े इस वेब शो के निर्देशक अविनाश अरुण (Avinash Arun) और एक्ट्रेस निम्रत कौर (Nimrat Kaur)। जिन्होंने हिन्दुस्तान के सवालों के जवाब दिए।

बतौर निर्देशक 'स्कूल ऑफ लाइज' की शुरुआत कैसे हुई?
अविनाश: मैं हमेशा से ही बोर्डिंग स्कूल की लाइफ को जानने के लिए क्यूरियस रहता था। मैं बोर्डिंग से नहीं पढ़ा हूं, लेकिन कुछ दोस्त रहे, तो उनसे हमेशा बात होती थी और हमेशा उत्सुक रहता था। वहीं दूसरी ओर सिनेमैटिकली भी मुझे वो जगह काफी मजेदार लगती थी। इसके अलावा हमारे देश में मुझे बच्चों के ऊपर और बच्चों के लिए कंटेंट की काफी कमी दिखती है। ऐसे में इस वर्ल्ड को एक्सप्लोर करना चाहता था। इस बारे में रिसर्च कर रहा था तो कुछ ऐसी चीजें सामने आईं, जिससे दिल दहल गया। फिर जब और जाना तो कई किस्से मेरे सामने आए। इसके बाद राइटिंग का काम शुरू किया हमारी राइटिंग टीम ने और इसकी शुरुआत हुई। 

आपके पास कब-कैसे आया 'स्कूल ऑफ लाइज'? अविनाश अरुण से पहली मुलाकत कैसी थी?
निम्रत: मैंने पहले ही इनकी एक फिल्म किला देख रखी थी। मराठी समझ आने के बाद भी मुझे ये बहुत पसंद आई और मैंने इस फिल्म को तीन बार देखी थी। इसके बाद एक कॉमन फ्रेंड की पार्टी में हमारी मुलाकात हुई और मैंने एक्साइटिडली कहा कि अगर कभी मेरे लिए कुछ हो तो बताइएगा। मैं काम करना चाहती ही थी इनके साथ और फिर मेरे पास ये प्रोजेक्ट आया। स्टोरी सुनकर मैं ये सोचती थी कि आखिर ये क्यों ऐसा प्रोजेक्ट कर रहे हैं, क्योंकि इनका काम अलग रहा है। मुझे नंदिता का किरदार निभाने को मिला, जो वाकई काफी कॉम्प्लैक्स है। बतौर किरदार मेरे पास काफी कुछ था और मैं मुझे बहुत मजा आया।

'स्कूल ऑफ लाइज' में कौनसा सीन या शॉट सबसे चैलेंजिंग और मजेदार लगा?
अविनाश: मैं कभी भी किसी एक शॉट या सीन से नहीं देखता हूं, मैं चीज को पूरे तौर पर देखता हूं। शुरुआती वक्त में थोड़ा नर्वस था, क्योंकि एक ऐसी दुनिया को अपने से जोड़ना, जिससे मैं जुड़ा नहीं था। क्योंकि जब तक ये मुझे सच नहीं लगेगा, तब तक लोगों को अच्छा नहीं लगेगा। किसी और को पसंद या नापसंद आने से पहले जरूरी है कि मुझे अच्छा लगा या नहीं। 

इस सवाल पर निम्रत कहती हैं, 'एक सीन है, लेकिन उसके बारे में ज्यादा बता नहीं पाऊंगी।' वहीं आगे अविनाश कहते हैं, 'मुझे लगता है कि इस सीन को देखने के बाद ही समझा जा सकता है तो अभी ये बताएंगी भी तो भी वो समझ नहीं आएगा।' इस पर निम्रत आगे कहती हैं, 'मैं ये जरूर कहूंगी कि जब भी ऐसा लगे तो खुद को डायरेक्टर के हाथों छोड़ दो, ये सबसे जरूरी है। क्योंकि वही जहाज का कप्तान है और मैं 200 % अविनाश पर भरोसा कर पाई।

बतौर सिनेमेटोग्राफर और डायरेक्टर, काम करने में क्या अतंर महसूस करते हैं?
अविनाश: मैं इन सभी मिस लीड्स को नहीं मानता हूं, मुझे अगर साउंड करने का मौका मिले या फिर एक्ट करने का मिले, मैं वो सब करूंगा। मुझे लगता है कि किंग सिर्फ एक है, और वो है स्क्रिप्ट। हर कोई स्क्रिप्ट को ही पूजता है। मुझे लगता है कि जब मैं एक्टर्स को समझाता हूं तो मुझे लगता है कि मैं ही उनकी जगह प्लेस हो रहा हूं। कुछ लोग कहते हैं कि सिनेमेटोग्राफर सिर्फ कैमरे पर ही फोकस करते हैं, लेकिन मुझे लगता है कि ऐसा नहीं है। दोनों काम साथ करने में मुझे आसानी होती है, मुझे किसी और को समझाने में वक्त नहीं खर्च करना पड़ता है। मुझे पता है कि मेरे लिए क्या चल रहा है। कैमरा मेरे लिए सबसे जरूरी है, क्योंकि वही सब रिकॉर्ड करता है। कैमरा मेरे पास है तो मैं रिलेक्स हूं, अगर सिर्फ मॉनिटर है मेरे पास तो मैं नवर्स हो जाता हूं। 

कोई ऐसा झूठ जो आप अक्सर बोलते हैं?
निम्रत: सच कहूं तो मेरा एक झूठ होता है, जो मैं अक्सर बोलती हूं कि मैं ठीक हूं, लेकिन कई बार मैं नहीं होती हैं। मुझे लगता है कि हमें इसकी आदत हो गई है। हमारे घर वाले पूछते हैं कि कैसे हो, और हम तुरंत ही कह देते हैं ठीक हैं। हकीकत में शायद हम ये कहना ही नहीं चाहते कि- नहीं मैं ठीक नहीं हूं। ये मेरे साथ दिक्कत है, क्योंकि मुझे बचपन से ही ऐसा सिखाया गया है कि सब ठीक है। मैं इस प्रेशर को कम करना चाहूंगी और मुझे लगता है कि ये सभी को है। हम ठीक नहीं होते हैं, लेकिन अक्सर कहना पड़ता है।

अविनाश: मुझे लगता है कि मेरे साथ भी यही है लेकिन मेरा दूसरे तरीके से है। मुझे लगता है कि मैं, मेरे साथ ठीक नहीं हूं। मुझे लगता है कि कुछ तो दिक्कत है, और मुझे इसको ठीक करना है। लेकिन मुझे ये फील करना होगा कि नहीं ये ठीक है। मैं लंबे वक्त तक इस तरह से जिया हूं कि सब ठीक है, यानी आगे कुछ बुरा होने वाला है। मुझे इस तरह के पैनिक मोड्स में जाना या फिर एंगजाइटी फील करना बंद कर देना चाहिए।

आगे आने वाले प्रोजेक्ट्स के बारे में कुछ बताएं?
निम्रत: अभी तो स्कूल ऑफ लाइज आ रहा है। फिर 'हैप्पी टीचर्स डे' है और 'सेक्शन 84' है।

अविनाश: स्कूल ऑफ लाइज के बाद पाताल लोक 2 का शूट खत्म किया है, बाकी आता जाएगा।