Dev Anand Birth Anniversary: बेकाबू हो गई थी देवानंद की फिल्म देखने आई भीड़; चलने लगी थीं गोलियां, मारे गए थे लोग
Dev Anand Birth Anniversary: दिवंगत अभिनेता देवानंद की फिल्म देखने के लिए सिनेमाघर में आई भीड़ बेकाबू हो गई थी। सिनेमाघर के बाहर गोलियां भी चलने लगी थीं। क्यों? आइए जानते हैं पूरा किस्सा।

बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता देवानंद, हिंदी सिनेमा के स्टाइल आइकन हैं। आज भी लोग उनके बोलने का अंदाज और झुक कर लहराते हुए चलने वाला स्टाइल कॉपी करने की कोशिश करते हैं। उन्हीं के जैसे तंग पतलून, गले में स्कार्फ और सिर पर बैगी कैप लिए उनकी नकल उतारते हैं। लेकिन, आज तक कोई भी उनके इस यूनिक स्टाइल को कॉपी नहीं कर पाया। वह कल भी एवरग्रीन थे और आज भी एवरग्रीन हैं। उन्हीं ही की तरह उनकी फिल्में भी एवरग्रीन हैं। आइए देवानंद के 100वें जन्मदिवस पर उनकी दिवानगी का एक किस्सा बताते हैं।
एक टिकट के लिए घंटों लाइन में खड़े होते थे लोग
साल 1970 की बात है। देवानंद की फिल्म 'जॉनी मेरा नाम' रिलीज हुई थी। विजय आनंद के निर्देशन में बनी इस फिल्म में देव आनंद के साथ हेमा मालिनी, प्राण और प्रेम नाथ जैसे कलाकार थे। इस फिल्म के कुछ सीन्स जमशेदपुर में शूट हुए थे। इसलिए जब यह फिल्म रिलीज हुई तब जमशेदपुर के लोग पागल हो गए। वह फिल्म देखने के लिए सिनेमाघरों के बाहर घंटों लाइन में खड़े रहते थे।
खूब रोए थे देवानंद
कभी-कभी तो भीड़ इतनी बढ़ जाती थी कि पुलिस को बुलाना पड़ता था। एक दिन भीड़ बेकाबू हो गई और धक्का-मुक्की शुरू हो गई। जब मामला बिगड़ता नजर आया तब सिनेमाघरा के मालिक ने पुलिस को फोन किया। पुलिस आई और लाठीचार्ज करने लगी। लेकिन, लाठीचार्ज के बाद भी भीड़ काबू में नहीं आई। ऐसे में पुलिस ने फायरिंग करना शुरू कर दिया और इस फायरिंग की वजह से दो मासूम बच्चों की जान चली गई। इसके बाद तो मामला और बिगड़ गया। आखिरकार पुलिस को सिनेमाघर पर ताला लगवाना पड़ा। जब देवानंद को इस बात पता चला कि उनकी फिल्म की वजह से दो मासूम बच्चों की जान चली गई तब वह बहुत रोए थे।
