'पद्मावत' के जौहर सीन पर दीपिका ने तोड़ी चुप्पी, बोलीं- कोई भी इसे...
कुछ ने इसे जौहर का महिमामंडन करार देते हुए खारिज कर दिया। इस बारे में फिल्म की एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण का कहना है कि आलोचकों को बगैर सोचे-समझे फिल्म के सिर्फ एक सीन को पकड़कर नहीं बैठ जाना...
जौहर पर दीपिका ने तोड़ी चुप्पी
फिल्म 'पद्मावत' के क्लाइमैक्स में विजुअल ग्रॉफिक्स के जरिए दिखाए गए भव्य जौहर सीन को कुछ लोगों ने पसंद किया, तो कुछ ने इसे जौहर का महिमामंडन करार देते हुए खारिज कर दिया। इस बारे में फिल्म की एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण का कहना है कि आलोचकों को बगैर सोचे-समझे फिल्म के सिर्फ एक सीन को पकड़कर नहीं बैठ जाना चाहिए, क्योंकि आज के दौर में कोई भी समझदार व्यक्ति जौहर का समर्थन नहीं करेगा।
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सच को स्वीकार करना चाहिए...
दीपिका कहती हैं, “मैं विभिन्न विचारों को लेकर बेहद खुली हुई हूं और मैं किसी चीज पर सहमति या असहमति के विकल्प को खुले तौर पर चुनती हूं। लेकिन इस फिल्म में बिना सोचे-समझे एक सीन पर विवाद करना जरूरी नहीं है। किसी भी चीज को समझने के लिए उसे पूरी तरह से समझा जाना चाहिए। इसे समझने के लिए पूरी फिल्म देखना जरूरी है और साथ ही इस तथ्य को स्वीकार कर कि उस समय भारत में इस तरह की प्रथाएं मौजूद थीं और इनका पालन किया जाता है, इसका सम्मान किया जाना चाहिए।
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दीपिका ने मुंबई से फोन पर बताया, “जाहिर सी बात है कि इस समय कोई भी समझदार, बुद्धिमान शख्स जौहर का सपोर्ट नहीं करता है। आपको इसे उस समय के हिसाब से देखना चाहिए, जब यह होता था। अगर मजाकिया अंदाज में कहूं तो मुझे लगता है कि कुछ लोगों ने फिल्म की शुरुआत में दिए गए डिसक्लेमर पर ध्यान नहीं दिया होगा।”
बता दें कि फिल्म 'पद्मावत' के इस सीन में 13वीं शताब्दी की रानी पद्मावती (दीपिका) लाल रंग का जोड़ा पहने हजारों महिलाओं के साथ आग में कूदकर आत्म-बलिदान दे देती हैं। कुछ लोग इस दृश्य की जौहर या सतीप्रथा के महिमामंडन करने को लेकर आचोलना कर रहे हैं।
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स्वरा को यूं दिया जवाब
'पद्मावत' के निमार्ताओं ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के निदेर्शों पर फिल्म की शुरुआत में एक विवरण दिया था, जिसमें कहा गया था यह फिल्म 16वीं सदी के कवि मलिक मोहम्मद जायसी के प्रसिद्ध महाकाव्य 'पद्मावत' पर बेस्ड है। यह फिल्म किसी भी तरह से सती प्रथा का समर्थन या महिमामंडन नहीं करती है।
कुछ दिनों पहले ही स्वरा भास्कर ने एक खुला पत्र लिखकर कहा था कि इस फिल्म को देखकर उन्हें महसूस हुआ कि वह, यानी नारी एक 'योनि मात्र' है। फिल्म के क्लाइमैक्स में दिखाए गए जौहर के दृश्य पर भी उन्होंने आपत्ति जताई थी। इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर उन्हें काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था।
इस बारे में पूछे जाने पर दीपिका ने कहा, “स्वरा ने जो कहा है, उससे मैं सहमत या असहमत हो सकती हूं, लेकिन उनके अपने विचार हैं और मैं तथ्य पर आधारित उनके विचार का सम्मान करती हूं। हालांकि, मुझे लगता है कि इसके आगे कुछ कहना जरूरी नहीं था।”
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सक्सेस को लेकर कहा ये
फिल्म की सफलता पर दीपिका ने कहा, “बहुत ईमानदारी से कहूं तो यह बहुत शानदार है। मुझे लगता है कि मैं अब भी उन सभी चीजों से जूझ रही हूं जो हमारे साथ पिछले कुछ दिनों में हुईं... और मुझे लगता है कि इस दौरान कुछ अजीबोगरीब क्षणों के साथ ही ऐसे क्षण भी आए, जिनमें मैंने खुद को सौभाग्यशाली महसूस किया।”
दीपिका को उम्मीद है कि इस फिल्म को राजस्थान के लोग भी जरूर देख पाएंगे। उन्होंने कहा, “मेरे प्रशंसकों की खातिर, हां, मैं उम्मीद करती हूं कि ऐसा हो। मैं चाहती हूं कि मेरे प्रशंसकों के लिए यह फिल्म अधिक से अधिक जगहों पर रिलीज हो जाए, क्योंकि यह एक ऐसी कहानी है, जिसे बताया जाना चाहिए।” दीपिका के अनुसार, यह फिल्म स्त्रीत्व का उत्सव मनाती है।
वह कहती हैं, “मुझे लगता है कि यह कई तरीकों से नारीत्व का जश्न मनाती है। मैंने इस किरदार को निभाने के दौरान यह समझा है कि 13वीं शताब्दी के होने के बावजूद यह किरदार ऐसे समय में, जब महिलाएं अपनी आवाज उठा रही हैं और समानता के लिए लड़ रही हैं, कई तरह से प्रासंगिक है।” उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि यह फिल्म उनके (महिलाओं) की बहादुरी, साहस, शक्ति, गरिमा और बुद्धिमानी को लेकर बेहद प्रासंगिक है।”