Children's Day 2019: बाल दिवस के मौके पर अपने बच्चों के साथ देखें ये बेहतरीन फिल्में
कहते हैं, बच्चे मन के सच्चे होते हैं। उनके बाल मन में कोई भी बात देर तक छुपकर नहीं रह सकती है। बच्चों के लिए बाल दिवस बेहद खास दिन माना जाता है। बाल दिवस यानी 14 नवंबर को पंडित जवाहर लाल नेहरू के...
कहते हैं, बच्चे मन के सच्चे होते हैं। उनके बाल मन में कोई भी बात देर तक छुपकर नहीं रह सकती है। बच्चों के लिए बाल दिवस बेहद खास दिन माना जाता है। बाल दिवस यानी 14 नवंबर को पंडित जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिन पर बाल दिवस मनाया जाता है। दरअसल जवाहरलाल नेहरु को बच्चों से बेहद लगाव था। ऐसे में उनके जन्मदिन की तारीख को बाल दिवस (Bal Divas) के तौर पर मनाया जाता है। हर पैरेंट्स इस खास दिन अपने बच्चों को स्पेशल फील कराने से पीछे नहीं रहता है। इस स्पेशल डे के मौके पर हम आपको बॉलीवुड की कुछ ऐसी फिल्मों के बारें बताएंगे जिन्हें आज आपको बच्चों के साथ जरूर देखनी चाहिए।
तारे जमीन पर
साल 2007 में आई आमिर खान की फिल्म 'तारे जमीन पर' को दर्शकों ने काफी पसंद किया। इस फिल्म में आमिर खान और दर्शील सफारी ने बेहतरीन एक्टिंग की। फिल्म में दिखाया गया कि कैसे एक बच्चे को पढ़ने-लिखने में दिक्कत होने की वजह से उसके पिता उसे परिवार से दूर बोर्डिंग स्कूल भेज देते हैं। लेकिन एक दिन वह बच्चा अपने टैलेंड की वजह से पूरे देश में अपना नाम रोशन करता है और वह टॉपर बनता है।
धनक
डायरेक्टर नागेश कूकनूर की फिल्म धनक भी एक बेहद खास फिल्म है जिसे आप अपने बच्चों के साथ देखना पसंद करेंगे। ये कहानी एक ऐसे भाई बहन की है जिनके माता-पिता नहीं है और उनका पालन पोषण चाचा चाची करते हैं। भाई को आंखों से दिखाई नहीं देता लेकिन वो अच्छा गाता है। ऐसे में जब उसकी बहन को पता चलता है कि शाहरुख खान की एक मुहीम के चलते उसके भाई की आंखे ठीक हो सकती है ऐसे में बहन भाई को लेकर शाहरुख से मिलने निकल पड़ती है। दो मासूम बच्चों पर बनी ये फिल्म आपको अंदर तक हिलाती है।
पाठशाला
साल 2010 में आई फिल्म पाठशाला में शाहिद कपूर, आयशा टाकिया और नाना पाटेकर लीड रोल में थे। फिल्म भारतीय एजुकेशन सिस्टम और इसके भविष्य पर एक कटाक्ष थी। लेकिन फिल्म में बच्चों की प्रस्तुती इनती शानदार होती है फिल्म सबसे हिट मानी गई।
रॉकफोर्ड
रॉकफोर्ड' फिल्म एक 14 साल के बच्चे पर आधारित थी, जिसे पढ़ने के लिए देश से बाहर रॉकफोर्ड ब्वॉयज हाई स्कूल भेज दिया जाता है। फिल्म में स्कूल की बारिकियों और अनुशासन पर जोर दिया गया है।
आय एम कलाम
डायरेक्टर नील माधव पंडा की फिल्म भी बच्चों के साथ पेरेंट्स के लिए बेहद जरूरी है। यह फिल्म राजस्थान के एक ऐसे गरीब बच्चे के बारे में जो अंग्रेजी की पढ़ाई करके बड़ा आदमी बनना चाहता है इसलिए वो अपना नाम देश के राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के तर्ज कलाम रखता हैं। लेकिन परिवार की मुश्किलों के आगे उससे क्या क्या करना पड़ता है ये सब कुछ इस फिल्म में दिखाया गया है। ये फिल्म नेशनल अवॉर्ड में बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट का ख़िताब जीत चुकी है।
स्टेनली का डब्बा
स्टेनली एक ऐसे बच्चे की कहानी है जो स्कूल में अपना टिफिन नहीं ला पाता. ऐसे में साथी बच्चे अपना टिफिन उससे शेयर करते है लेकिन स्कूल में पढ़ाने वाले हिन्दी के टीचर वर्माजी जिसे फिल्म के डायरेक्टर अमोल गुप्ते ने ही निभाया है वो भी लंच बॉक्स नहीं लाते। ऐसे में उनकी नजर भी बच्चों की टिफिन पर रहती है। इस कारण स्टेनली उनका सबसे बड़ा दुश्मन है जिससे वो हमेशा चिढ़ते हैं। इस फिल्म में भी एक जबरदस्त मैसेज है जिसे समझने के लिए फिल्म देखनी पड़ेगी।