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Adipurush Analysis: आखिर किस वजह से फीकी पड़ी प्रभास- कृति सेनन की आदिपुरुष? समझें कहां चूके निर्देशक ओम राउत

Adipurush Analysis:प्रभास (Prabhas), कृति सेनन (Kriti sanon), सनी सिंह (Sunny Singh), देवदत्त नागे (Devdatta Nage) और सैफ अली खान (Saif Ali Khan) स्टारर फिल्म आदिपुरुष (Adipurush) कहां चूक गई?

Adipurush Analysis: आखिर किस वजह से फीकी पड़ी प्रभास- कृति सेनन की आदिपुरुष? समझें कहां चूके निर्देशक ओम राउत
Avinash Singh Palलाइव हिन्दुस्तान,मुंबईFri, 16 Jun 2023 05:26 PM
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प्रभास (Prabhas), कृति सेनन (Kriti sanon), सनी सिंह (Sunny Singh), देवदत्त नागे (Devdatta Nage) और सैफ अली खान (Saif Ali Khan) स्टारर फिल्म आदिपुरुष (Adipurush) रिलीज हो गई है। फिल्म को सोशल मीडिया पर अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिल रहा है। ओम राउत निर्देशित ये फिल्म दर्शकों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी है। हिन्दुस्तान पहले ही आपको फिल्म आदिपुरुष का रिव्यू दे चुका है, जिसके बाद आपको इस रिपोर्ट में वो कुछ खास और मोटी वजहें बताते हैं, जिस वजह से फिल्म दर्शकों के दिलों में खास जगह नहीं बना पाई।

घटिया डायलॉग्स: 'तेरी जली न..?', 'तेल तेरे बाप का, आग तेरे बाप की...', 'ये तो फिसड्डी है', ऐसे ही ढेर सारे डायलॉग्स आदिपुरुष में हैं, जिनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है। फिल्म में ढेर सारे ऐसे घटिया डायलॉग्स हैं, जिन्हें सुनकर ऐसा लगता है जैसे आज का कोई टीनएज लड़का/लड़की बात कर रहे हैं। फिल्म के डायलॉग्स सुनकर यकीन ही नहीं होता है कि हम रामायण का अंश देख रहे हैं। डायलॉग्स में राघव को अधिकतर किसी मोटिवेशनल स्पीकर जैसे डायलॉग्स दिए हैं, तो वहीं कृति के डायलाग्स किसी 'जेन जी' लड़की की तरह लगते हैं। 

आदिपुरुष को मिले खराब रिव्यू के बाद क्या आप देखेंगे यह फिल्म?

वीएफएक्स: फिल्म का बजट करीब 500 करोड़ रुपये बताया जा रहा है, लेकिन इसके वीएफएक्स देखकर ऐसा लगता नहीं है। अधिकतर फिल्मों में  पात्र या सीन के आसपास वीएफएक्स बुना जाता है, जिससे उस सीन में जान डाली जा सके। लेकिन आदिपुरुष को देखकर ऐसा लगता है कि वीएफएक्स बनाने के बाद उस में किरदार डाल दिए गए हैं। रावण की कद काठी बड़ी हो गई लेकिन उसकी चाल अजीब सी लगती है। वहीं प्रभास भी रियल नहीं दिखते हैं और उन पर भी वीएफएक्स का असर दिखता है।

सीन्स/कहानी: फिल्म की कहानी बहुत तेजी से आगे बढ़ती है और ऐसे में जब तक आप किसी सीन से जुड़ते हैं, तब तक वो आगे बढ़ जाता है। किसी भी सीन में ठहराव नहीं देखने को मिलता है। सीता हरण हो या फिर राघव और हनुमान की मुलाकात, सब कुछ बहुत तेजी से आगे बढ़ता है। इस फिल्म में मुख्यत: सीता हरण से रावण वध तक दिखाया गया है, लेकिन उस में भी आखिरी लड़ाई पर अधिक फोकस किया गया है। ऐसे में कई शुरुआती सीन्स अधूरे से लगते हैं। 

एक्टिंग/कास्टिंग, लुक्स और डायरेक्शन: फिल्म इन तीन मुद्दों पर भी फीकी साबित होती है। सबसे पहले बात करें एक्टिंग की तो प्रभास और कृति, राघव- जानकी के किरदार में देखते देखते अच्छे लगने लगे हैं। लेकिन कृति कई सीन्स में बतौर एक्टर सपाट नजर आती हैं। वहीं शेष बने सनी सिंह किसी भी रूप में अपने किरदार के साथ इंसाफ करते नहीं दिखते हैं। रावण के लुक से लेकर उसके बेटे और भाइयों के लुक्स को देख तक ऐसा लगता है, जैसे 2023 का कोई फैंटेसी टीवी शो हो। फिल्म किसी भी तरह से भावनाओं को छूती नहीं दिखती है। फिल्म तकनीकि तौर पर वीक साबित होती है। ये सब कुल मिलाकर इस फिल्म के लिए निर्देशक ओम राउत की कमी दिखाते हैं।

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