बर्तन बेचकर गुजारा कर रहे संगीतकार वनराज भाटिया की मदद के लिए सामने आए कबीर बेदी, लोगों से की ये अपील
अंकुर, मंडी, भूमिका, जुनून, मंथन और तमस जैसी फिल्मों को संगीत दे चुके म्यूजिक डायरेक्टर वनराज भाटिया इन दिनों तंगहाली में दिन गुजार रहे हैं। वनराज का कहना है कि उनके बैंक अकाउंट में एक रुपये भी नहीं...

अंकुर, मंडी, भूमिका, जुनून, मंथन और तमस जैसी फिल्मों को संगीत दे चुके म्यूजिक डायरेक्टर वनराज भाटिया इन दिनों तंगहाली में दिन गुजार रहे हैं। वनराज का कहना है कि उनके बैंक अकाउंट में एक रुपये भी नहीं है। आलम ये है कि वो खाने को भी तरस रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक वनराज अब पूरी तरह टूट चुके हैं और उनकी आर्थिक हालत बहुत ज्यादा बुरी है। उनका स्वास्थ्य गिर चुका है। वनराज भाटिया बिगड़ी आर्थिक हालत का देखकर अभिनेता कबीर बेदी ने सभी से राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता संगीतकार वनराज भाटिया के लिए दान देने का अनुरोध किया है। कबीर ने अपने ट्वीट अकाउंट से यह दावा किया है कि उन्होंने बीते दिन 92 वर्षीय वनराज भाटिया से मुलाकात की है।
कबीर बेदी ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि मैं कल वनराज भाटिया से मिला। वह हमेशा की तरह जिंदादिल रहने वाले राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता संगीतकार इन दिनों मुश्किल घड़ी से गुजर रहे हैं। हमें उनकी मदद करने के लिए सामने आना चाहिए। कबीर ने अपने पोस्ट में बताया है कि 92 उम्र में वनराज भाटिया ने गिरीश कर्नाड के नाटक ‘अग्नि मातु मले’ के लिए एक ऑपेरा को कम्पोज किया है।
I visited #VanrajBhatia yesterday. He is lively and spirited as ever. But, yes, ALL friends should help him at this difficult time. On his own, he has composed an opera on Girish Karnad’s play “Agni Matu Male” (The Fire and the Water). And he’s 92! https://t.co/rFAjqKsFdL
आपको बता दें कि वनराज साल 1988 में फिल्म ‘तमस’ के लिए बेस्ट म्यूजिक का नेशनल अवॉर्ड और साल 2012 में पद्मश्री अवॉर्ड से नवाजे जा चुके हैं। इतना ही नहीं भाटिया के कामों में कुंदन शाह की फिल्म ‘जाने भी दो यारो’, अपर्णा सेन की 36 चौरंगी लेन, और प्रकाश झा की हिप हिप हुर्रे जैसी फिल्में शामिल हैं। अंकुर (1974) से सरदारी बेगम (1996) तक, वह श्याम बेनेगल के पसंदीदा संगीतकार थे। दोनों ने मंथन, भूमिका, जूनून, कलयुग, मंडी, त्रिकाल और सूरज का सावन घोड़ा समेत कई फिल्मों पर एक साथ काम किया।
मुंबई मिरर की एक रिपोर्ट के मुताबिक वनराज बढ़ती उम्र और बिजी वर्कलाइफ से अलग होने के बाद बिल्कुल अकेले पड़ गए हैं। एक इंटरव्यू के दौरान वनराज ने कहा कि मेरे बैंक अकाउंट में एक रुपये भी नहीं है। मेरी याददाश्त कम हो गई है, सुनने में परेशानी होती है और घुटनों में दर्द की शिकायत रहती है। उनका सहारा सिर्फ घर में काम करने वाले डोमेस्टिक हेल्प है। वनराज का कहना है कि वो अपनी तंगहाली से इतने मजबूर हो गए हैं कि उन्हें क्रॉकरी और घर का सामान बेचना पड़ रहा है।