
शाहरुख-दीपिका और भरतपुर FIR,राजस्थान हाईकोर्ट का आदेश लाया नया मोड़;ऐसे होगा फ़ैसला
संक्षेप: राजस्थान हाईकोर्ट ने गुरुवार को बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान और अभिनेत्री दीपिका पादुकोण को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर पर रोक को बरकरार रखा।
राजस्थान हाईकोर्ट ने गुरुवार को बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान और अभिनेत्री दीपिका पादुकोण को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर पर रोक को बरकरार रखा। मामला भरतपुर का है, जहां दोनों पर हुंडई मोटर्स की एक डिफेक्टिव कार का विज्ञापन करने का आरोप लगाया गया था।
यह पूरा विवाद एक कार खरीदार और कंपनी के बीच तकनीकी खामियों के चलते उपजा, लेकिन इसमें शाहरुख और दीपिका का नाम जुड़ने से मामला सुर्खियों में आ गया। अब कोर्ट ने इसे मीडिएशन के लिए भेजकर दोनों पक्षों को समझौते का मौका दिया है।
भरतपुर के वकील कीर्ति सिंह ने जून 2022 में करीब 24 लाख रुपये खर्च कर हुंडई की कार खरीदी थी। उनका आरोप है कि यह गाड़ी ओवरटेक के वक्त पिकअप नहीं लेती, सिर्फ आरपीएम बढ़ जाता है और ओडोमीटर पर ‘मालफंक्शन’ का साइन आ जाता है।
सिंह का कहना है कि 6-7 महीने गाड़ी चलाने के बाद इसमें लगातार टेक्निकल फॉल्ट आने लगे। तेज रफ्तार पर कार आवाज करने लगी, वाइब्रेट होने लगी और इंजन मैनेजमेंट सिस्टम खराबी दिखाने लगा। कई बार तो हादसा होते-होते बचा।
शिकायत लेकर जब वे शोरूम पहुंचे तो जवाब मिला कि “यह मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट है और इसे सही नहीं किया जा सकता।” इसके बाद सिंह ने मजिस्ट्रेट कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट के आदेश पर भरतपुर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की, जिसमें कंपनी के अधिकारियों के साथ शाहरुख खान और दीपिका का भी नाम शामिल हुआ क्योंकि वे हुंडई के ब्रांड एंबेसडर हैं।
एफआईआर दर्ज होते ही शाहरुख खान, दीपिका पादुकोण, कंपनी के एमडी अनसो किम और एक अन्य अधिकारी ने हाईकोर्ट का रुख किया। उनकी ओर से दायर याचिका में कहा गया कि –
• हमारे खिलाफ कोई प्रत्यक्ष या स्पष्ट आरोप नहीं है।
• शिकायतकर्ता ने खुद गाड़ी तीन साल तक चलाई है और 67 हजार किलोमीटर से ज्यादा दौड़ाई है।
• अगर कोई दिक्कत थी तो उपभोक्ता कोर्ट में जाने का रास्ता खुला था, न कि एफआईआर दर्ज करवाने का।
इस तर्क के आधार पर हाईकोर्ट ने पहले 10 सितंबर को एफआईआर पर अंतरिम रोक लगाई थी, जिसे अब बरकरार रखा गया है।
जस्टिस सुदेश बंसल की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि दोनों पक्षों को इस मामले को कानूनी लड़ाई में घसीटने से पहले मीडिएशन (मध्यस्थता) के जरिए समाधान तलाशना चाहिए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई से पहले दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता की बैठक हो जानी चाहिए।
इस फैसले से न सिर्फ शाहरुख और दीपिका को राहत मिली है, बल्कि मामले को लंबी कानूनी प्रक्रिया से बाहर निकलने का भी रास्ता मिल सकता है।
आम तौर पर किसी गाड़ी की तकनीकी खराबी को लेकर कंपनी या डीलर पर कार्रवाई होती है। लेकिन इस केस में कार खरीदार ने ब्रांड एंबेसडरों यानी शाहरुख और दीपिका को भी आरोपी बना दिया। यही वजह है कि मामला चर्चाओं में है।
कानूनी विशेषज्ञ मानते हैं कि किसी भी प्रोडक्ट की तकनीकी खामी के लिए ब्रांड एंबेसडरों को सीधे जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। हालांकि, विज्ञापन की जिम्मेदारी और भ्रामक प्रचार को लेकर उनके खिलाफ केस दर्ज होने के उदाहरण पहले भी रहे हैं।
फिलहाल, हाईकोर्ट के इस आदेश ने शाहरुख खान और दीपिका पादुकोण को बड़ी राहत दी है।





