Siya Review: समाज के हालात पर सोचने को मजबूर करती है सिया, पूजा पांडे और विनीत कुमार सिंह ने दिखाई बढ़िया अदाकारी
ये ऐसी फिल्म है, जिसे आप पूरे परिवार के साथ देख सकते हैं। सिया कोई आम बॉलीवुड मसाला फिल्म नहीं है, जिसे देखकर आप सीटी मारेंगे या फिर जोर जोर से ताली, लेकिन कई मुद्दों पर सोचने के लिए जरूर मजबूर हो जाए

फिल्म: सिया
निर्देशक: मनीष मुंद्रा
प्रमुख कास्ट: पूजा पांडे और विनीत कुमार सिंह
कहां देखें: थिएटर्स
क्या है कहानी: ये फिल्म सीता सिंह(जिसे सभी सिया कहते हैं) की है। सिया (पूजा पांडे) एक गरीब परिवार की लड़की है, जो परिवार की काफी जिम्मेदारियां उठाती है। जंगल से लकड़ी लाने से लेकर छोटे भाई को पढ़ाने और कहानी सुनाने तक, सिया एक आदर्श बेटी है। सिया के पीछे गांव के विधायक से लेकर कुछ और नेतानगरी वाले लोग भी लगे हैं, जो उसका फायदा उठाना चाहते हैं। ऐसे में गांव के ही कुछ लोग सिया को अगवा करते हैं और कई दिनों तक उसके साथ रेप करते हैं, उसे भूखा- प्यासा रखते हैं और बेहद मारपीट भी करते हैं। सिया के फैमिली फ्रेंड महेंद्र (विनीत कुमार सिंह) हैं, जो वकील (नोटरी आदि का काम करने वाले) है। सिया उसके साथ हुई इस विभत्स घटना के लिए इंसाफ चाहती है और महेंद्र उसका साथ देता है। अब सिया को इंसाफ मिलता है या नहीं? आरोपियों को सजा होती है या नहीं? ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।
कैसी है एक्टिंग और निर्देशन: विनीत कुमार सिंह एक बेहतरीन अभिनेता हैं और सिया में भी उन्होंने अच्छी अदाकारी की है। हाव- भाव के साथ ही बॉडी लैंग्वेज को उन्होंने किरदार के हिसाब से बखूबी पकड़ा है। वहीं भाषा में देसीपन उनके इस किरदार को और भी मजबूत बनाता है। बात विनीत के अलावा पूजा पांडे की करें तो उन्होंने दिल जीतने वाला काम किया है। पूजा ने जिस सादगी से इस कैरेक्टस को निभाया है, वो वाकई काबिल- ए- तारीफ है। दुख- गुस्सा और छोटी छोटी खुशियां, पूजा के सिर्फ चेहरे ही नहीं बल्कि बॉडी एक्शन से ही दिखती हैं। पूजा और विनीत के अलावा बाकी किरदारों का भी काम ठीक रहा है। बात सिया के निर्देशक मनीष मुंद्रा की करें तो इससे पहले बतौर उन्होंने कामयाब, आधार, कड़वी हवा, मसान और न्यूटन जैसी फिल्मों को प्रोड्यूस किया है, जो हिंदी सिनेमा का अहम हिस्सा हैं। बतौर निर्देशनक मनीष ने काफी अच्छा काम किया है और सिया के बाद उनसे उम्मीदें बढ़ जाती हैं।
क्या कुछ है खास: फिल्म के लोकेशन्स से लेकर बेहद संजीदा और कसे हुए डायलॉग्स तक, फिल्म में वैसे तो काफी कुछ खास है लेकिन एक बात जो काफी इम्प्रेस करती है वो है फिल्म का कैमरा वर्क और सिनेमैटोग्राफी। फिल्म में ऐसे कई बेहतरीन कैमरा शॉट्स हैं, जो अपने आप में काफी कुछ बयां करते हैं। जैसे मकड़ी के जाले से सिया को दिखाना, रेप से जुड़ी बातचीत के दौरान तुलसी पर चुनरी को दिखाना, या बस में लड़के घूरने पर सिया का धीरे- धीरे सीट की आड़ में छिपते जाना। इसके साथ ही फिल्म में कलर्स का भी अच्छा इस्तेमाल किया गया है, जो सीन की गहराई को दिखाने का काम करता है। फिल्म में ऐसे कई सीन्स दिखाई गए हैं, जो कहीं न कहीं समाज का आईना के तौर पर आपको पेश किए जाते हैं, चाहें वो पैसे की ताकत दिखाना हो या फिर जातिगत भेदभाव। एक ओर जहां फिल्म का तकनीकी पक्ष मजबूत दिखता है तो दूसरी ओर कहानी में थोड़ी सी गुंजाइश रह जाती है और फिल्म देखते हुए कई सवाल आपके जेहन में आते हैं, जिनपर कहानी टिकती नहीं है।
देखें या नहीं: सिया एक ऐसी फिल्म है, जिसका बॉलीवुड को बीते लंबे वक्त से इंतजार था। फिल्म में कोई बहुत बड़ा सितारा नहीं है, तो फिल्म का बहुत तगड़ा प्रमोशन भी नहीं हुआ है और ऐसे में ये भी हो सकता है कि कई लोगों को इस फिल्म के बारे में पता भी न लगा हो। लेकिन ये ऐसी फिल्म है, जिसे आप पूरे परिवार के साथ देख सकते हैं। सिया कोई आम बॉलीवुड मसाला फिल्म नहीं है, जिसे देखकर आप सीटी मारेंगे या फिर जोर जोर से ताली, लेकिन कई मुद्दों पर सोचने के लिए जरूर मजबूर हो जाएंगे।