Oppenheimer Review: मासी नहीं.. क्लासी है ओपेनहाइमर, मर्फी ने जीता दिल, नोलन का दिखा अलग अंदाज
Oppenheimer Hindi Review:किलियन मर्फी,रॉबर्ट डाउनी जूनियर, मैट डेमन, एमिली ब्लंट और फ्लोरेंस पुघ स्टारर फिल्म ओपेनहाइमर का निर्देशन क्रिस्टोफर नोलन ने किया है। फिल्म कैसी है, पढ़ें रिव्यू...

फिल्म: ओपेनहाइमर
निर्देशक: क्रिस्टोफर नोलन
प्रमुख कास्ट: किलियन मर्फी, रॉबर्ट डाउनी जूनियर, मैट डेमन, एमिली ब्लंट और फ्लोरेंस पुघ आदि
अवधि: 3 घंटे
कहां देखें: थिएटर्स
क्या है कहानी और किरदार: फिल्म ओपेनहाइमर की कहानी में ऐसा कुछ नहीं है, जो ट्रेलर देखकर या फिल्म के पोस्टर आदि देखकर न समझ आया हो। डायरेक्टर क्रिस्टोफर नोलन की फिल्म ओपेनहाइमर में जे. रॉबर्ट ओपेनहाइमर की कहानी को दिखाया गया है, जिन्होंने 1945 में दुनिया में पहली बार एटॉमिक बम टेस्ट किया था। फिल्म में सस्पेंस जैसा भी कुछ नहीं है क्योंकि पूरी दुनिया को पता है कि इस टेस्ट का रिजल्ट क्या हुआ था। फिल्म में एक्टर किलियन मर्फी ने ओपेनहाइमर का लीड रोल प्ले किया है। इसके अलावा एमिली ब्लंट, किटी ओपेनहाइमर के रोल में हैं। वहीं मैट डेमन ने लेस्ली ग्रोव्स और रॉबर्ट डाउनी जूनियर ने लूइस स्ट्रॉस का किरदार निभाया है।
क्या कुछ है खास और कहां खाई मात: फिल्म पूरे तीन घंटे की हैं और इसकी अच्छी बात ये है कि ये सिर्फ 1945 में दुनिया में पहली बार एटॉमिक बम टेस्ट करने का किस्सा नहीं बल्कि उसके आगे पीछे भी ओपेनहाइमर की पूरी कहानी भी दिखाती है। फिल्म किसी भी तरह से किरदारों को डेवलेप करने की ओर नहीं बढ़ती है, और जैसे जैसे कहानी में जिसकी जरूरत होती है, वो आता जाता है। फिल्म की सबसे अच्छी बात यही है कि किसी को भी विजुअली स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं दिया गया है और सभी कहानी के हिस्से हैं, जो ओपेनहाइमर के इर्द-गिर्द हैं। हालांकि ये उन लोगों के लिए परेशानी भी बन जाती है, जिन्हें अमेरिकन हिस्ट्री, नागासाकी-हिरोशिमा परमाणु बम हमला, जॉन एफ केनेडी, ओपेनहाइमर और सेकेंड वर्ल्ड वॉर की जानकारी नहीं है। फिल्म की कहानी को काफी अच्छे से लिखा और दिखाया गया है। फिल्म के विजुअल्स एक दम परफेक्ट हैं और किसी भी तरह से कम या फिर ज्यादा नहीं लगते हैं। वहीं दूसरी ओर फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक काफी अच्छा है फिल्म का एक मजबूत पहलू है। छोटे छोटे इफेक्ट्स को बारीकी से जोड़ा गया है, जो बतौर दर्शक आपके फिल्म एक्सपीरियंस को अच्छा करते हैं। फिल्म में रॉबर्ट के वक्त के सभी सीन्स ब्लैक एंड व्हाइट हैं, जो काफी खूबसूरती से दिखाते हैं कि ये कहानी के आफ्टर इफेक्ट्स हैं, और चल रही कहानी से अलग कहानी है।
कैसी है एक्टिंग और निर्देशन: फिल्म का हर एक किरदार एतिहासिक है, क्योंकि ये फिल्म असली कहानी को दिखाती है। फिल्म में किलियन मर्फी ने जे. रॉबर्ट ओपेनहाइमर का किरदार निभाया है और वाकई उनका काम काबिल-ए-तारीफ है। वहीं दूसरी ओर रॉबर्ट डाउनी जूनियर ने फिर साबित किया है कि वो सिर्फ आयरमन मैन से बढ़कर भी काफी कुछ हैं। इसके अलावा मैट डेमन, एमिली ब्लंट और फ्लोरेंस पुघ सहित अन्य कलाकारों ने भी काफी अच्छा काम किया है। हालांकि फिल्म के आखिर तक जेहन में आरडीजे और मर्फी ही रह जाते हैं। वहीं बात क्रिस्टोफर नोलन के निर्देशन की करें तो उनकी फिल्मों के लिए हर कोई बेसब्री से इंतजार करता है और यही वजह है कि ग्लोबली ओपेनहाइमर को लेकर इतना क्रेज देखने को मिल रहा है। हालांकि ओपेनहाइमर, नोलन की पुरानी फिल्मों से काफी अलग है। द डार्क नाइट राइजिज, टेनेट, इनसेप्शन, इंटरस्टेलर जैसी फिल्में बना चुके नोलन ने एक्शन या फिक्शन से दिल जीता है और इस बार वो ओपेनहाइमर की कहानी लाए हैं। अगर आपने ध्यान दिया हो तो नोलन की अधिकतर फिल्मों में डायलॉग्स कम और विजुअल्स ज्यादा होते हैं, लेकिन इस बार ओपेनहाइमर डायलॉग्स से भरी है और इसे काफी संजीदगी से लिखा है।
देखें या नहीं: कुल मिलाकर ये कहना गलत नहीं होगा कि नोलन की पुरानी फिल्मों से ये फिल्म काफी अलग है। नोलन की अधिकतर फिल्में फिक्शन या फिर हार्डकोर एक्शन रही हैं, जिन्हें किसी भी तरह का दर्शक देख और समझने की कोशिश कर सकता है, लेकिन ये रॉबर्ट ओपेनहाइमर की जिंदगी दिखाती फिल्म को समझने के लिए आपसे पास अमेरिकन हिस्ट्री की अच्छी जानकारी होनी चाहिए, वरना आपको अधिकतर फिल्म समझ ही नहीं आएगी। तो अगर आपकी वर्ल्ड हिस्ट्री, खास तौर पर करीब 1940 के अमेरिकी इतिहास में रुचि नहीं है तो सिर्फ नोलन के नाम पर ये फिल्म मत देखिए, लेकिन अगर आपको ऐसी ऐतिहासिक कहानियां पसंद हैं तो आप इस फिल्म की तारीफ करते नहीं थकेंगे। यानी ये फिल्म मास ऑडियंस के लिए नहीं बल्कि चुनिंदा क्लास के लिए है।
