Mission Majnu Review: कमजोर कहानी ने सिद्धार्थ मल्होत्रा की डुबोई नैया, ‘शेरशाह’ जैसा दम नहीं
सिद्धार्थ मल्होत्रा की फिल्म मिशन मजनू नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो गई है। फिल्म में वह भारतीय जासूस बने हैं जो पाकिस्तान जाता है। देशभक्ति से प्रेरित इस फिल्म को देखने का है प्लान तो यहां जानिए रिव्यू।

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फिल्म: मिशन मजनू
कलाकार: सिद्धार्थ मल्होत्रा, रश्मिका मंदाना, शारिब हाशमी, कुमुद मिश्रा, परमीत सेठी
निर्देशक: शांतनु बागची
ओटीटी प्लेटफॉर्म: नेटफ्लिक्स
गणतंत्र दिवस से पहले निर्देशक शांतनु बागची की फिल्म ‘मिशन मजनू' नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो गई। फिल्म में सिद्धार्थ मल्होत्रा मुख्य रोल में हैं। वह भारतीय जासूस के रूप में पाकिस्तान जाते हैं जहां वह एक लड़की से शादी कर लेते हैं। सिद्धार्त कुर्ता पैजामा, आंखों में काजल और गले में ताबीज पहने दिखे। उनके इस लुक को लेकर सोशल मीडिया पर चर्चा रही। यूजर्स का कहना था कि बॉलीवुड अभी भी स्टीरियोटाइप से उबर नहीं पाया। ट्रेलर रिलीज के बाद इसकी तुलना फिल्म ‘राजी‘ से की गई। ‘राजी‘ ने बॉक्स ऑफिस पर सफलता के झंडे गाड़ दिए थे। क्या ‘मिशन मजनू‘ उन उम्मीदों पर खरी उतरती है आगे जानते हैं।
क्या है कहानी
फिल्म की कहानी 70 के दशक पर आधारित है। भारतीय जासूस अमनदीप अजीतपाल सिंह पाकिस्तान में तारिक (सिद्धार्थ मल्होत्रा) बनकर पहुंचता है। पंजाब के अमनदीप को देशद्रोही का बेटा कहा जाता है लेकिन अब वह अपनी मां के नाम से यह दाग हटाना चाहता है। वह पाकिस्तान में मिशन मजनू पर जाता है। उसका लक्ष्य परमाणु हथियार कार्यक्रम का खुलासा करना है। इस मिशन में उसका साथ दो अन्य भारतीय जासूस शारिब हाशमी और कुमुद मिश्रा देते हैं। बॉलीवुड फिल्म है तो जाहिर है लव एंगल भी होना है। तारिक को नेत्रहीन नसरीन (रश्मिका मंदाना) मिलती है जिससे वह शादी कर लेता है। नसरीन को उसके इस मिशन के बारे में कुछ भी पता नहीं होता। इधर भारत में सरकार बदल जाती है जो कि पाकिस्तान के साथ संबंधों को बदलना चाहती है। इन सबके बावजूद रॉ प्रमुख (परमीत सेठी) मिशन मजनू जारी रखता है। क्लाइमेक्स तक आते-आते कन्फ्यूजन भी दिखता है, कहानी ढीली सी पड़ती है। फिर भी कई मौके आते हैं जब रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
कैसी है एक्टिंग
सिद्धार्थ ने एक बार फिर से एक्टिंग में दम दिखाया है। इससे पहले ‘शेरशाह‘ के लिए उनकी जमकर सराहना हुई। हालांकि ‘मिशन मजनू‘ में वह कहानी से मार खा जाते हैं। कमजोर कहानी की वजह से उनका किरदार उस तरह उभरकर सामने नहीं आ पाता। रश्मिका जब भी दिखती हैं स्क्रीन पर फ्रेशनेस सी आ जाती है लेकिन फिल्म में उनके हिस्से करने के लिए बहुत कुछ था नहीं। कुमुद मिश्रा जरूर प्रशंसा बटोर ले जाते हैं।
क्यों देखें
वीकेंड पर वक्त बिताने के लिए ‘मिशन मजनू‘ देख सकते हैं। साथ ही ध्यान रखें कि ‘शेरशाह‘ जैसी उम्मीद रखना बेकार होगा।