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Hostel Daze 4 Review: कैसा रहेगा इंजीनियरिंग कर रहे इन छह दोस्तों का आखिरी साल? पढ़ें हॉस्टल डेज 4 का रिव्यू

Hostel Daze 4 Review: टीवीएफ की वेब सीरीज 'हॉस्टल डेज' का चौथा सीजन अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हो गया है। पिछले सीजन की ही तरह इस सीजन में भी वही स्टारकास्ट नजर आएगी। पढ़ें रिव्यू

Vartika Tolani लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 27 Sep 2023 01:30 AM
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वेब सीरीज- हॉस्टल डेज 4
कलाकार- अहसास चन्ना, लव विस्पुते, शुभम गौर, निखिल विजय, आयुषी गुप्ता और उत्सव सरकार
निर्देशक - अभिनव आनंद
ओटीटी - अमेजन प्राइम वीडियो

हॉस्टल डेज 4...कॉलेज के शुरुआती दो साल कहां चले जाते हैं ये किसी को पता ही नहीं चलता। लेकिन, जैसे-जैसे कॉलेज के खत्म होने का समय नजदीक आता जाता है वैसे-वैसे परेशानियां बढ़ने लगती हैं। भविष्य की चिंता के साथ-साथ ब्रेकअप, अकेलेपन और पीयर प्रेशर जैसी समस्यों से झूझना पड़ता है। जहां कॉलेज के शुरुआती कुछ साल हम बच्चे होते हैं। हमें न भविष्य की चिंता होती है न पढ़ाई की टेंशन। वहीं आखिरी साल तक आते-आते हम बड़े बन जाते हैं। हॉस्टल डेज के चौथे सीजन में भी यही होगा। आकांशा, चिराग, नबोमिता, जाट, जतिन किशोर और अंकित भी बड़े हो जाएंगे। पढ़िए चौथे सीजन में क्या कुछ है खास।

कुछ ऐसी है चौथे सीजन की कहानी
आकांशा (अहसास चन्ना), चिराग (लव विस्पुते), नबोमिता (आयुषी गुप्ता), जाट (शुभम गौड़), जतिन किशोर उर्फ झाटू (निखिल विजय) और अंकित (उत्सव सरकार) इंजीनियरिंग के चौथे साल में पहुंच जाते हैं। इन छह दोस्तों ने इंजीनियरिंग के तीन साल तो बड़े मौज-मस्ती के साथ निकाले। लेकिन, चौथे साल में ये सारे अचानक से सीरियस हो जाते हैं। चौथे सीजन की शुरुआत में आकांशा इन्हें समझाती रहती है। प्लेसमेंट के लिए सीरियस होने के लिए कहती रहती है। लेकिन, ये लोग आकांशा की एक नहीं सुनते हैं। हालांकि, जब इनके दोस्त का प्लेसमेंट हो जाता है तब इनकी अक्ल ठिकाने आती है। भविष्य की चिंता सताने लगती है। डर लगने लगता है। तीन साल में किए गए कर्माें का फल मिलने लगता है। क्लासेस बंक कर कमरों में बैठकर बड़ी-बड़ी नौकरी मिलने के सपने टूटने लगते हैं।

निखिल विजय ने किया इमोशनल 
सुप्रिथ कुंदर, हरीश पेद्दिन्ती, और तल्हा सिद्दीकी ने कहानी पर बहुत अच्छा काम किया है। 'हॉस्टल डेज' के शुरुआती तीन सीजन जहां आपको हंसाते हैं। वहीं चौथा सीजन आपको रोने पर मजबूर कर देगा है। निर्देशक और लेखकों की टीम ने इंजीनियरिंग के आखिरी साल में यंगस्टर्स की जिंदगी में आने वाली सारे समस्यों को अलग तरीके से दिखाने की कोशिश की है। उन्हें उनकी इस कोशिश के लिए पूरे अंक दिए जाने चाहिए। उन्होंने कहीं भी कहानी को बोरिंग नहीं होने दिया। हर जगह कॉमेडी, सस्पेंस और रोमांस का बराबर तड़का लगाया है। हालांकि, इस सीजन की सबसे खास बात ये है कि सारे सबक सिखाने के बाद भी इसकी एंडिंग हैप्पी होती है।

यहां खा गई मात
सीरीज का चौथा सीजन कमाल का है। हर एपिसोड के अंत में ऐसा ट्विस्ट दिखाया जाता है कि दर्शक अगला एपिसोड देखे बिना अपनी कुर्सी से उठ नहीं पाता है। लेकिन, ये सीरीज कॉलेज लाइफ पर बनी अन्य वेब सीरीज और फिल्मों के मुकाबले थोड़ी कम इमोशनल है। दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की फिल्म 'छिछोरे' में जिस तरीके का ड्रामा दिखाया गया था वो यहां पर मिसिंग लगा।

देखें या नहीं?
यदि आप कॉलेज में है और इंजीनियरिंग कर रहे हैं तो ये सीजन आपको जरूर देखना चाहिए। टीवीएफ ने इस सीरीज को काफी रियलिस्टिक रखने की कोशिश की है। इसे देखने के बाद 'ये तो सीरीज है रियल लाइफ में थोड़ी ऐसा होता है' कहकर इग्नोर करने की बजाए जाट, झाटू और अंकित की गलतियों से सिखना चाहिए। यदि आप सोचते हैं कि आप जिंदगी में कुछ नहीं कर सकते हैं तो आपको ये सीरीज बिंज वॉच करनी चाहिए।

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