Cirkus Review: फीकी साबित हुई रणवीर की सर्कस, संजय मिश्रा-सिद्धार्थ जाधव और वृजेश हिरजी ने बांधा समां
सर्कस, रोहित शेट्टी टाइप्स टिपिकल मसाला फिल्म नहीं है, हालांकि ये प्योर फैमिली फिल्म है। रोहित ने फिल्म में वो सबकुछ किया है, जो किसी भी फिल्म को एंटरटेनिंग बनाता है, लेकिन स्क्रिप्ट कमजोर है।
फिल्म: सर्कस
निर्देशक: रोहित शेट्टी
प्रमुख कास्ट: रणवीर सिंह, पूजा हेगड़े, जैकलीन फर्नांडिस, वरुण शर्मा, संजय मिश्रा, सिद्धार्थ जाधव और मुर्ली शर्मा आदि
कहां देखें: थिएटर्स
क्या है कहानी: रोहित शेट्टी निर्देशित फिल्म सर्कस की कहानी विलियम शेक्सपियर के नाटक 'द कॉमेडी ऑफ एरर्स' पर आधारित है। फिल्म की कहानी को आसान शब्दों में कहें तो चार जुड़वा बच्चों, यानी दो रॉय (रणवीर सिंह) और दो जॉय (वरुण शर्मा) की कहानी है, जिन्हें कोई बचपन में ही अनाथालय छोड़ जाता है। अनाथालय के मालिक व डॉक्टर अपनी एक थ्योरी के लिए दोनों जुड़वा बच्चों को अलग अलग कर देते हैं। जिन्हें अलग अलग परिवार गोद लेता है। यानी पहले जहां दो रणवीर सिंह और दो वरुण शर्मा भाई थे, तो अलग करने के बाद रणवीर- वरुण और रणवीर-वरुण भाई बन जाते हैं, जिन्हें अपने दूसरे भाई का पता ही नहीं होता है। एक रॉय-जॉय ऊटी में रहते हैं, तो दूसरे रॉय-जॉय बैंगलोर में। एक रॉय के पास ताकत होती है कि उसे बिजली का झटका नहीं लगता है, लेकिन जब पहला रॉय बिजली का तार पकड़ता है तो दूसरे को करेंट लगता है। एक रॉय की शादी हो चुकी है, जिसका नाम माला (पूजा हेगड़े) है, वहीं दूसरा रॉय, बिंदू (जैकलीन फर्नांडिस) से शादी करना चाहता है। क्या होता है, जब बिंदू और माला को कंफ्यूजन होता है..., क्या होता है जब दोनों रॉय और जॉय एक दूसरे के सामने आते हैं..., और कैसे इस सर्कस में संजय मिश्रा, मुकेश तिवारी, वृजेश हिरजी, सिद्धार्थ जाधव, विजय पाटकर, सुलभा आर्या, अनिल चरणजीत, अश्विनी कलेसकर, मुर्ली शर्मा आदि कॉमेडी का तड़का लगाते हैं..., ये सब देखने के लिए आपको सर्कस देखनी होगी।
क्या कुछ है खास और कहां खाई मात: रोहित शेट्टी की ये फिल्म अभी तक की उनकी सबसे कलरफुल फिल्म है। रोहित को कलर्स पसंद हैं और ये फिल्म काफी ब्राइट है, जिसे देखने में आपको विजुअली जरूर मजा आता है। फिल्म के कुछ चुनिंदा डायलॉग्स और सीन्स छोड़ दिए जाएं तो फिल्म बहुत लंबी और बोरिंग सी लगती है। कई बार फिल्म देखते हुए ऐसा भी महसूस होता है कि सभी अच्छे पंच तो ट्रेलर में ही दिखा दिए गए थे। फिल्म की सबसे कमजोर बात इसकी स्क्रिप्ट है, जिसे न सिर्फ बहुत ज्यादा खींचा गया है बल्कि साथ ही कई सीन्स भी जबरदस्ती के जोड़े से दिखते हैं। फिल्म के चुनिंदा डायलॉग्स के अलावा बाकी डायलॉग राइटिंग भी फीकी साबित होती है। सिर्फ स्क्रिप्टिंग ही नहीं फिल्म का म्यूजिक और बैकग्राउंड म्यूजिक भी हलका है, जो किसी भी तरह आपको बांधे नहीं रखता है। कई बार फिल्म देखकर ऐसा लगता है कि रोहित, अपनी गोलमाल और सिंघम सीरीज से बाहर नहीं आ पा रहे हैं। बता दें कि काफी हद तक सर्कस में स्लैपस्टिक कॉमेडी का इस्तेमाल हुआ है, जो कुछ वक्त तक तो अच्छा लगता है, लेकिन पूरी फिल्म में वही देखते रहना बोरिंग भी हो जाता है।
कैसी है एक्टिंग और निर्देशन: रणवीर सिंह फिल्म में डबल रोल में हैं और बतौर एक्टर इम्प्रेस करने में फेल नजर आते हैं। वहीं पूजा हेगड़े अपने किरदार की मासूमियत और क्यूटनेस में फिट दिखती हैं, लेकिन जैकलीन फर्नांडिस पूरी फिल्म में ओवरएक्टिंग करती दिखी हैं। कई नॉर्मल सीन्स में तो जैकलीन खड़ी भी ऐसे हैं, जैसे रैंप वॉक चल रहा है। वरुण शर्मा फिल्म में क्यूट नजर आए हैं और उनकी मेहनत उनके किरदार के लिए साफ दिखती हैं। रोहित शेट्टी की फिल्मों में उनके सपोर्टिंग कास्ट लगभग फिक्स ही होती है और ऐसे में एक बार फिर वही चेहरे इस फिल्म में भी नजर आ रहे हैं। ये कहना बिलकुल भी गलत नहीं होगा कि सर्कस को आप सिर्फ और सिर्फ इसकी सपोर्टिंग कास्ट के लिए देख सकते हैं। संजय मिश्रा, वृजेश हिरजी, जॉनी लीवरऔर सिद्धार्थ जाधव ने जो कमाल इस फिल्म में किया है, वो सर्कस की जान है। संजय मिश्रा जब भी स्क्रीन पर आते हैं, हंसाकर जाते हैं। वहीं नागमणि के किरदार में वृजेश का अंदाज काफी फनी दिखता है। इनके अलावा सिद्धार्थ जाधव ने दिल जीतने वाले काम किया है, और बहुत अच्छा परफॉर्म किया है। जॉनी लीवर की एंट्री फिल्म में लेट होती है,लेकिन उन्हें देखकर कह सकते हैं कि सब्र का फल मीठा होता है। इन चार के अलावा मुकेश तिवारी, विजय पाटकर, सुलभा आर्या, अनिल चरणजीत, अश्विनी कलेसकर, मुर्ली शर्मा, टीकू तलसानिया, राधिका बंगिया, बृजेन्द्र काला, सौरभ गोखले, आशीष वारंग, उमाकांत पाटिल और उदय टिकेकर आदि का भी काम बढ़िया है। बात एक्टिंग के बाद निर्देशन की करें तो कुछ नया करने की कोशिश में रोहित शेट्टी फीके साबित हुए हैं।
देखें या नहीं: सर्कस, रोहित शेट्टी टाइप्स टिपिकल मसाला फिल्म नहीं है, हालांकि ये प्योर फैमिली फिल्म है। रोहित ने फिल्म में वो सबकुछ किया है, जो किसी भी फिल्म को एंटरटेनिंग बनाता है, लेकिन फिल्म की कमजोर स्क्रिप्ट ही इसकी सबसे बड़ी खामी साबित होती है। कुल मिलाकर इस फिल्म को थिएटर की बजाय परिवार के साथ ओटीटी पर देखना ज्यादा बेहतर ऑप्शन होगा।