Bawaal Review Starring Varun Dhawan Janhvi Kapoor Mukesh Tiwari Manoj Pahwa Directed by Nitesh Tiwari - Entertainment News India Bawaal Review: जाह्नवी कपूर और वरुण धवन ने किया कमाल, जानें कैसी है नितेश तिवारी की 'बवाल', Film-review Hindi News - Hindustan
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Bawaal Review: जाह्नवी कपूर और वरुण धवन ने किया कमाल, जानें कैसी है नितेश तिवारी की 'बवाल'

Bawaal Review: वरुण धवन (Varun Dhawan) और जाह्नवी कपूर (Janhvi Kapoor) स्टारर फिल्म बवाल, अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हो गई है, जिसका निर्देशन नितेश तिवारी ने किया हैं। जानें कैसी है ये फिल्म..

Avinash Singh Pal लाइव हिन्दुस्तान, मुंबईFri, 21 July 2023 06:07 AM
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Bawaal Review: जाह्नवी कपूर और वरुण धवन ने किया कमाल, जानें कैसी है नितेश तिवारी की 'बवाल'

फिल्म: बवाल
निर्देशक: नितेश तिवारी
प्रमुख स्टारकास्ट: वरुण धवन और जाह्नवी कपूर
कहां देखें: अमेजन प्राइम वीडियो

क्या है कहानी: फिल्म की कहानी लखनऊ के रहने वाले अजय दीक्षित (वरुण धवन) से शुरू होती है, जो पेशे से स्कूल में पढ़ाते हैं लेकिन साथ ही दिखावे में मास्टर है और इस ही झूठे दिखावे से उसने पूरे लखनऊ में भौकाल जमाया है। सभी को ऐसा लगता है कि अज्जू भैया किसी भी चीज में पीछे नहीं हैं, उन्हें सब आता है। हालांकि अजय पूरी तरह से खाली है। अब अजय की जिंदगी में होती है निशा (जाह्नवी कपूर) की एंट्री, जो वो सबकुछ है, जो एक लड़की को होना चाहिए या होना चाहती है। निशा खूबसूरत है, काबिल है, देश दुनिया घूमी है, अच्छे परिवार से है और इंडिपेंटेंड है। बस निशा के साथ एक दिक्कत है कि उसे मिर्गी के दौरे पड़ते थे लेकिन बीते 10 सालों से नहीं आए हैं। अपनी बढ़िया सी इमेज चमकाकर, अजय निशा और परिवार का दिल जीत लेता है। लेकिन शादी की रात विदाई से पहले निशा को दौरा पड़ता है और अजय ये सोचकर डर जाता है कि अगर लोगों को पता लग गया तो उसकी इमेज का क्या होगा? इसके बाद से अजय, निशा से दूरी सी रखता, न सही से बात करना और न ही कहीं-कभी बाहर ले जाता। इस बीच अजय की प्रोफेशनल लाइफ में एक दिक्कत आती है और मजबूरी में उसे निशा का सहारा लेना पड़ता है। क्या है मजबूरी, क्या है सहारा और कैसे दोनों वर्ल्ड वॉर 2 के वक्त से जुड़ते हैं। क्या अजय-निशा के बीच सब ठीक होता है और क्या फिल्म मैसेज देती है? ये सब जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।

क्या कुछ है खास और कहां खाई मात: फिल्म का थीम प्यारा है और कैसे आज के वक्त में इमेज के चक्कर में इंसान फंसा हुआ है, इस पर बढ़िया तंज है। फिल्म क्रिएटिव तौर पर अच्छी है और फिल्म के कई डायलॉग्स ऐसे हैं तो जो सोचने पर मजबूर करते हैं। दिखावे की जिंदगी में कौन क्या पा रहा है और कौन क्या खो रहा है, इस सवाल को फिल्म आपके जेहन में छोड़ जाती है। फिल्म का फर्स्ट हाफ काफी प्यारा और आपका पता ही नहीं लगता है कि कब आधी फिल्म निकल गई है, लेकिन दूसरा हिस्सा काफी लंबा और खींचा हुआ महसूस होता है। फिल्म में कई बार जिस तरह से वर्ल्ड वॉर 2 को आज से जोड़ा गया है वो तुक भी सही बनता नहीं दिखता है। जब जब फिल्म वर्ल्ड वॉर 2 के टाइम पर वरुण- जाह्नवी को ले जाती है, तब-तब फिल्म थोड़ी कमतर हो जाती है। फिल्म उस वक्त काफी नकली सा फील देती है और फ्लो टूट जाता है। फिल्म का म्यूजिक और बैकग्राउंड स्कोर भी अच्छा हो सकता था। वहीं राइटिंग, कैमरा और एडिटिंग पर भी गुंजाइश दिखती है। यानी फिल्म तकनीकि तौर पर खरी नहीं उतरती है। 

कैसी है एक्टिंग और निर्देशन: जाह्नवी कपूर का करियर भले ही आलिया भट्ट जैसा न रहा हो लेकिन सारा अली खान और अनन्या पांडे जैसा भी नहीं है। जाह्नवी कपूर, हर फिल्म के साथ धीरे धीरे आगे बढ़ रही हैं और अपनी एक्टिंग से दर्शकों के दिलों में जगह बना रही हैं। इस फिल्म में जाह्नवी ने अच्छा काम किया है और जिस तरह से एक मिडिल क्लास लड़की रहती है, सहती है और फिर आवाज उठाती है। फिल्म में वो लहजा और ठहराव, जाह्नवी में नजर आता है। जाह्नवी ने निशा के किरदार के साथ पूरा इंसाफ किया है। बात अज्जू भैया बने वरुण धवन की करें तो ये उनका बेस्ट परफॉर्मेंस तो नहीं लेकिन बेस्टेस्ट में शामिल जरूर है। फिल्म में जिस फेक अंदाज के साथ नकली इमेज को कैरी करने की जरूरत थी, वरुण वो करते दिखे हैं। वरुण के चेहरे पर दिखता है कि वो सिर्फ दिखावा कर रहे हैं। हालांकि फिल्म के सेकेंड हाफ में वरुण थोड़े फीके से दिखते हैं। फिल्म में मुकेश तिवारी, एमएमएल के किरदार में दिखे हैं और कम डायलॉग्स के बाद भी बढ़िया बॉडी लैंग्वेज और हाव-भाव से वो जादू दिखा जाते हैं। वहीं मनोज पहवा ने भी अच्छा काम किया है। बात एक्टिंग के बाद अब निर्देशन की करें तो नितेश तिवारी का डायरेक्शन इस बार उनके लेवल का नहीं दिखता है। फिल्म थोड़ी तकनीकि तौर पर हल्की दिखती है तो दूसरी ओर क्रिएटिव तौर पर स्ट्रॉन्ग नजर आती है। 

देखें या नहीं: कुल मिलाकर इस फिल्म को परिवार के साथ देखा जा सकता है। नितेश तिवारी की ये फिल्म इतिहास के पन्नों को जोड़ते हुए रिश्तों की सीख देती है। हालांकि ये कहना भी गलत नहीं होगा कि नितेश तिवारी ने अपना एक अलग स्टेंडर्ड बना लिया है और उनकी ये फिल्म उनके ही लेवल को टच नहीं कर पाती है। ऐसे में कोई बड़ी उम्मीद के साथ फिल्म न देखें तो आप इसे एन्जॉय कर पाएंगे।

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