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गठबंधन के बाद भी कांग्रेस ने नहीं किया सीटों का बंटवारा, क्या सीट शेयरिंग में कोई पेच फंसा है?

पांच प्रदेशों के विधानसभा चुनाव का ऐलान हो चुका है। सियासी पार्टियां पूरी तैयारी के साथ चुनावी रण में उतरने के लिए तैयार हैं, पर कांग्रेस ने चुनाव से संबंधित समितियों के गठन के अलावा कोई तैयारी नहीं...

Bihar assembly elections, Congress, Sonia Gandhi, Rahul Gandhi, Bihar assembly elections 2020
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विशेष संवाददाता,नई दिल्लीSat, 27 Feb 2021 06:34 AM
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पांच प्रदेशों के विधानसभा चुनाव का ऐलान हो चुका है। सियासी पार्टियां पूरी तैयारी के साथ चुनावी रण में उतरने के लिए तैयार हैं, पर कांग्रेस ने चुनाव से संबंधित समितियों के गठन के अलावा कोई तैयारी नहीं की है। पार्टी को इन सभी राज्यों में गठबंधन में चुनाव लड़ना है। इसके बावजूद किसी भी राज्य में सीट बंटवारा नहीं हुआ है। पार्टी को अब आनन-फानन में तैयारियों को अंतिम रुप देना होगा।

असम में भाजपा की सरकार है। कांग्रेस, यूडीएफ, लेफ्ट और दूसरे दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। पार्टी ने कुछ दिन पहले ही गठबंधन का ऐलान किया था, ताकि एकजुट होकर भाजपा को सत्ता से बेदखल किया जाए। पर सहयोगियों के साथ सीट बंटवारा तो दूर पार्टी ने अभी बातचीत भी शुरू नहीं हुई है। एआईसीसी की तरफ से असम की जिम्मेदारी संभाल रहे एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कांग्रेस जल्द सहयोगियों के साथ गठबंधन पर चर्चा करेगी। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और लेफ्ट में सीट बंटवारे को लेकर कई दौर की बातचीत हो चुकी है, पर अभी भी कुछ सीट पर झगड़ा बरकरार है। चुनावी मुद्दे और न्यूनतम साझा कार्यक्रम को लेकर दोनों पार्टियों के बीच अभी कोई चर्चा नहीं हुई है।

तमिलनाडु और पुडुचेरी में कांग्रेस डीएमके के साथ चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। डीएमके के साथ शुक्रवार को ही सीट बंटवारे को लेकर पहले दौर की चर्चा हुई है। केरल में भी यूडीएफ के दूसरे घटकदलों के साथ सीट बंटवारा नहीं हुआ है। कांग्रेस की यह स्थिति तब है जब हर चुनाव के बाद पार्टी चुनाव से दो माह पहले चुनाव घोषणा पत्र और उम्मीदवार घोषित करने का वादा करती है। 

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हम अपनी पुरानी गलतियों से सबक नहीं लेते हैं। हमें फरवरी के पहले सप्ताह में ही गठबंधन के सहयोगियों के साथ सीट बंटवारा कर लेना चाहिए था। इससे टिकट बंटवारे में आसानी होती। पार्टी उन्हीं सीट पर ध्यान केंद्रित करती। अब वक्त कम है ऐसे में घटकदलों का दबाव बढ़ेगा और सीट बंटवारे में गलतियां होगी। सीट तय होने के बाद उम्मीदवारों का चयन की प्रक्रिया शुरू होगी। जाहिर है इससे उम्मीदवारों को पूरा वक्त नहीं मिल पाएगा।

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