Hindi Newsक्राइम न्यूज़Sonbhadra firing: police was informed two hours ago but reached on the spot after the shoot out done narrate the victims to SIT

सोनभद्र गोलीबारी: दो घंटे पहले दी जानकारी, लाशें गिरने पर आई पुलिस

वारदात के करीब दो घंटे पहले हमलोगों ने पुलिस को सूचना दे दी थी, लेकिन जब हमारे लोगों की लाशें गिर गई, तब पुलिस मौके पर पहुंची। इतना ही नहीं साहब! गोली से घायल हमारे लोगों को भी प्रधान यज्ञदत्त के लोग...

सोनभद्र गोलीबारी: दो घंटे पहले दी जानकारी, लाशें गिरने पर आई पुलिस
हिन्दुस्तान संवाद घोरावल (सोनभद्र)Wed, 7 Aug 2019 04:30 PM
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वारदात के करीब दो घंटे पहले हमलोगों ने पुलिस को सूचना दे दी थी, लेकिन जब हमारे लोगों की लाशें गिर गई, तब पुलिस मौके पर पहुंची। इतना ही नहीं साहब! गोली से घायल हमारे लोगों को भी प्रधान यज्ञदत्त के लोग लाठी डंडों से पीटते रहे, हमलोग चीखते रहे पर कोई बचाने नहीं आया।' बुधवार को ये बातें उभ्भा हत्याकांड के पीड़ितों ने एसआईटी के सामने कहीं। 

उभ्भा हत्याकांड की जांच करने डीआईजी के नेतृत्व में एसआईटी बुधवार सुबह 11 बजे गांव पहुंची। टीम ने गोलीकांड में मारे गए लोगों के आश्रितों और घायलों को अलग-अलग बुलाकर उनसे बातें कीं। एसआईटी के सामने पीड़ित ग्रामीणों में रामराज, कैलाश, बसंतलाल, रामलाल, छोटेलाल, रामदुलारे, रामपति आदि ने अपने बयान दर्ज कराए। 

पौने दस बजे पुलिस को दी सूचना :  पीड़ित रामराज ने एसआईटी को बताया कि 17 जुलाई की सुबह करीब पौने दस बजे पुलिस को सूचना दे दी गई थी। पुलिस को बताया गया था कि जमीन पर कब्जे को लेकर मूर्तिया ग्राम पंचायत के प्रधान और सपही गांव निवासी यज्ञदत्त कुछ करने वाले हैं। लेकिन पुलिस समय पर नहीं आई। जब गोलियां चल गई, हमारे लोग मारे गए, इसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची।  पीड़ित रामलाल ने बताया कि गोली लगने के बाद भी यज्ञदत्त के लोग हमारे लोगों को लाठी-डंडों से पीटते रहे। हम लोग बचाव में चीखते रहे, चिल्लाते रहे। लेकिन, किसी ने न सुनी। घटनास्थल पर मौजूद बसंतलाल और कैलाश ने बताया कि किस तरह यज्ञदत्त और उसके साथियों ने खेतों में ट्रैक्टर उतारे। हमारे विरोध के बाद कैसे हमें दौड़ा-दौड़ा कर पीटा।   गौरतलब है कि 17 जुलाई को उभ्भा गांव में भूमि पर कब्जे को लेकर हुए गोलीकांड में 10 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि कई लोग घायल हो गए थे। 

...तो हमारे पति जिंदा  होते
गोलीकांड में मारे गए राजेश की पत्नी प्रतिभा और अशोक की पत्नी सीता के आंखें उस समय नम हो गईं, जब एसआईटी की महिला सदस्य उनसे घटना के बारे में पूछ रहीं थी। गमगीन आंखों से दोनों ने बताया कि पति की मौत के बाद तो हम अकेले हो गए। जमीन को लेकर अधिकारियों ने हम लोगों की बातें सुनी होती तो आज हमारे पति हमारे साथ होते। 

रजिस्ट्री का भी किया था विरोध
पीड़ित रामराज ने एसआईटी को बताया कि जब अक्तूबर 2017 में जमीन की रजिस्ट्री हुई तो उसके विरोध में हम ग्रामीणों ने आपत्ति दाखिल की थी। हमने दाखिल-खारिज रोकने के लिए आपत्ति भी दर्ज कराई थी। लेकिन, हमारी नहीं सुनी गई। एआरओ ने हमारी आपत्ति खरिज कर दी।  उसके बाद हम बड़े साहब (डीएम) के पास भी गए। वहां भी हमारी सुनवाई न हुई। अगर, समय रहते सुनवाई हो जाती तो 17 जुलाई वाला हादसा न होता। 

पूछताछ के बिंदु
एसआईटी की टीम ने पीड़ितों से वर्ष 1955 में आदर्श कृषि सोसायटी का गठन, गठन के बाद भूमि पर कब्जा और खेती, 1977 में सोसायटी के विघटन के बाद जमीन पर खेती तथा आशा मिश्रा एवं विनीता शर्मा के नाम सोसायटी की जमीन की अमल दरामद, प्रधान एवं उसके परिजनों के नाम जमीन की रजिस्ट्री तथा नामान्तरण के संबंध में उनसे पूछताछ की। बयान दर्ज करने के बाद उभ्भा गांव से लौटते समय एसआईटी के सदस्य घोरावल कोतवाली पहुंचे। यहां पर उभ्भा काण्ड और उभ्भा से जुड़े पहले से दर्ज मुकदमों आदि से जुड़ी विभिन्न पत्रावलियों का निरीक्षण किया गया। 
 

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