पटना सुसाइड : चंद्रविला' से डोली की जगह निकली डॉ. स्निग्धा की अर्थी
एक बजकर 20 मिनट। मकान नंबर ए 28, चंद्रविला, पश्चिमी पटेलनगर, स्नेही पथ। रविवार को मनहूस खबर सुन सजावट उतार दी गई थी। लेकिन वहां हलवाई बैठे थे। कुर्सियां और सजावट के सामान भी एक तरफ रखे थे। ये सब बता...
एक बजकर 20 मिनट। मकान नंबर ए 28, चंद्रविला, पश्चिमी पटेलनगर, स्नेही पथ। रविवार को मनहूस खबर सुन सजावट उतार दी गई थी। लेकिन वहां हलवाई बैठे थे। कुर्सियां और सजावट के सामान भी एक तरफ रखे थे। ये सब बता रहे थे कि सोमवार को यहां शहनाई बजने वाली थी। लेकिन किसे पता था कि रविवार सुबह ही चंद्रविला पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ेगा।
स्निग्धा की मौत की मनहूस खबर सुन शादी की खुशी गम में बदल गई। दोपहर करीब सवा एक बजे एम्बुलेंस से डॉक्टर स्निग्धा का शव लाया गया। परिवारवाले शव उतारकर अंदर बरामदे में ले गये। डॉक्टर स्निग्धा के आईएएस जीजा धर्मेंद्र कुमार बाहर खड़े थे। डॉक्टर का शव घर में पहुंचते ही कोहराम मच गया। मां चंद्रप्रभा की हालत खराब थी। जहां से स्निग्धा की डोली उठनी थी वहीं से अर्थी उठने की तैयारी की जाने लगी। बेटी के शव को देख पिता फफक कर रो पड़े। पास खड़े उनके दोस्त और करीबी किसी तरह उन्हें संभाल रहे थे। रिटायर आईजी के बंगले के सामने आईएएस और आईपीएस अफसरों की भीड़ जुटी थी।
कल तक इसी जगह शहनाई की धुन बज रही थी। छत पर टेंट लगा था। स्नेही पथ में बांस-बल्ले लगे थे और झालर लगा था। फूलों से मकान सज रहा था। लेकिन जैसे ही होने वाली दुल्हन की मौत की खबर मिली आनन-फानन में सारी चीजें हटा दी गयीं।
डॉक्टर स्निग्धा के चचेरे भाई ने उन्हें मुखाग्नि दी। रिटायर आईजी उमाशंकर सुधांशु को दो बेटियां ही हैं। बड़ी बेटी इंजीनियर हैं। दोनों बेटियों का नाम उन्होंने घर के बाहर भी लिखवा रखा है।
मौत से चंद घंटे पहले स्निग्धा ने किया था डांस
मौत को गले लगाने से चंद घंटे पहले ही स्निग्धा ने मेहंदी की रस्म में डांस भी किया था। घर में नाच-गाना चल रहा था। खुशियों के माहौल के बीच दुखों का पहाड़ घरवालों पर टूट पड़ा।