निर्भया केस बरसी: रोशनी से नहाए इस बस स्टैंड का अतीत अंधेरा भरा है
रोशनी से नहाए इस बैस स्टैंड का अतीत अंधेरा भरा है। अंधेरा ऐसा डरावना जिसके बारे में सुनकर भी लोगों के रोंगटे खड़े हो जाएं। आज से 6 साल पहले इसी जगह पर निर्भया बस के इंतजार में खड़ी थी। पिछले छह सालों...
रोशनी से नहाए इस बैस स्टैंड का अतीत अंधेरा भरा है। अंधेरा ऐसा डरावना जिसके बारे में सुनकर भी लोगों के रोंगटे खड़े हो जाएं। आज से 6 साल पहले इसी जगह पर निर्भया बस के इंतजार में खड़ी थी। पिछले छह सालों में यानी 16 दिसंबर 2012 बसे अब तक यहां काफी कुछ बदल चुका है। इस जगह पर अब मुनिरका मेट्रो स्टेशन शुरू हो चुका है जो अपनी चकाचौंध से लोगों आकर्षित कर रहा है।
गुरुवार की शाम 9:15pm बजे 23 साल की एक युवती जिसका नाम सवित्री है वसंतकुंज बी-ब्लॉक की एक दुकान के बाहर खड़ी थी। सवित्री के मन में बार-बार उस काली रात के बारे में खयाल आ रहा था जिस दिन निर्भया दरिंदगों का शिकार हुई क्योंकि वह निर्भया अपने घर के लिए बस के इंतजार में जहां खड़ी थी वह इस बस स्टैंड से महज 100 मीटर की दूरी पर है। सवित्री का कहना है कि 16 दिसंबर 2012 की रात को जो हुआ और उसके बारे में उसने खबरें पढ़ीं वो कभी दिमाग से नहीं निकलेगा।
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मेडिकल की छात्रा निर्भया अपने घर पालम जाने के लिए यहां से एक ऑफ ड्यूटी चार्टेड बस पर चढ़ी थी। और यही कदम की उसका काल बन गया था। पहले उसके साथ दरिंदगी/बलात्कार किया गया, उसके शरीर को छत विछत किया और फिर घटना के कुछ दिन बाद उसकी मौत हो गई।
हिन्दुस्तान टाइम्स के अनुसार, दिल्ली पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि वह और ब्वॉयफ्रेंड साकेत के एक मॉल से एक फिल्म देख कर लौटे थे। वे शायद साकेत से मुनिरका तक के लिए ही ऑटो कर पाए थे और इससे आगे बस से जाने को तय किया था। जांच करने वाली टीमों ने इस बात को साबित कि है दोनों ने प्राइवेट बस लेने से पहले कई मिनट तक डीटीसी बस का इंतजार किया था।
इस बस स्टॉप पर काफी अंधेरा था और इसी को देखते हुए आरोपियों ने अपनी खाली बस यहां पर रोकी, और सवारियों को आवाज दी। छात्रा के पास कोई विकल्प न होने के कारण वह अपने दोस्त के साथ इस बस पर चढ़ गई और यह सवारी उसकी आखिरी सवारी साबित हुई।
सवित्री का कहना है कि घटना के 6 साल गुजर चुके हैं। उसके पास कोई दूसरा ऑप्शन नहीं है इसलिए उसे हमेशा यहां से बस लेनी पड़ती है। सवित्री ने कहा, 'मेरे अंदर का डर और गुस्सा नहीं जा रहा। इस घटना को याद कर मेरा मन खराब हो जाता है।'
जिस बस स्टैंड पर निर्भया कांड हुआ था उसी बस स्टैंड पर खड़े होकर बसों का इंतजार करना आसान काम नहीं है। उस दिन की डराने वाली घटना हमेशा याद आ जाती है। लेकिन एक बाद अच्छी हुई कि अब उसे बस का इंतजार करने की बजाए मेट्रो से यात्रा करने की सुविधा मिल गई है। निर्भया जिस बस स्टैंड से बस आखिरी बस पर चढ़ी थी उससे 50 मीटर से कम दूरी पर ही मेट्रोस्टेशन बन गया है।