फोटो गैलरी

Hindi News क्राइम सावधानऑफिस में आपके साथ हों ये बातें तो माना जाएगा 'सेक्सुअल हरैसमेंट'

ऑफिस में आपके साथ हों ये बातें तो माना जाएगा 'सेक्सुअल हरैसमेंट'

दफ्तरों में महिला कर्मचारियों के साथ होने वाली यौन शोषण की घटनाओं को रोकने के लिए कई कठोर कानून मौजूद हैं। लेकिन कई बार महिलाओं से छेड़छाड़ कुछ ऐसे तरीकों से होती है कि उनके मन में एक दुविधा की भावना...

ऑफिस में आपके साथ हों ये बातें तो माना जाएगा 'सेक्सुअल हरैसमेंट'
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीMon, 15 Oct 2018 08:36 PM
ऐप पर पढ़ें

दफ्तरों में महिला कर्मचारियों के साथ होने वाली यौन शोषण की घटनाओं को रोकने के लिए कई कठोर कानून मौजूद हैं। लेकिन कई बार महिलाओं से छेड़छाड़ कुछ ऐसे तरीकों से होती है कि उनके मन में एक दुविधा की भावना रहती है कि वह इसे यौन शोषण मानकर शिकायत करें या नहीं। ऐसी दुविधा को दूर करने के लिए हम यहां कुछ महत्वपूर्व बिन्दुओं पर बात करेंगे जिसमें आप समझ पाएंगे कि दफ्तर में किसी के साथ होने वाला व्यवहार यौन शोषण है या नहीं।

स्थिति 1-
जब कोई आपका सहकर्मी या बॉस किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे वॉट्सएप से आपको मैसेज भेजकर सेक्सुअल फेवर की बात करता है या अश्लील मैसेज, तस्वीर भेजता है या खुद की असहज कर देने वाली तस्वीर भेजता है। लेकिन आप उसे ऐसी हरकतें न करने के लिए बोलते हैं इसके बाद भी वह आप को गंदे मैसेज भेजता है तो क्या यह यौन शोषण माना जाएगा?

इस पर कानून की जानकार शिवांगी प्रसाद कहती हैं कि दफ्तर में किसी कर्मचारी द्वारा दूसरे कर्मचारी के साथ ऐसी हरकत निश्चित रूप से यौन शोषण मानी जाएगी। ये मैसेज चाहे इंटरनेट से भेजे गए हों या कोई तस्वीर हो या ब्लॉग के जरिए ऐसा वार्तालाप किया गया हो। POSH (प्रिवेंशन ऑफ सेक्सुअल हरैसमेंट) कानून और नियम 2013 के अनुसार, ऐसे में मामलों में संस्थान की अंतरिम समिति को (ICC) को शिकायत मिलने पर संस्थान दोषी कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई जैसे प्रमोशन रोकना, नौकरी से निकालना, चेतावनी देकर कुछ सुविधाएं बंद करना आदि कर सकता है। संस्थान की ICC झूठी शिकायत देने वाली वाले कर्मचारी पर भी एक्शन लेने की शक्ति रखती है। शिकायत झूठी साबित होने पर शिकायत करने वाले के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है।

स्थिति 2- 
आपत्तिजनक मैसेज का विरोध करने के बाद यदि ऐसी वार्तालाप मौखिक रूप से होती है तो आप कैसे साबित करेंग कि आपका यौन शोषण हुआ है? कानूनी रूप से यहां क्या सबूत होगा?

ऐसी स्थिति में माना जाता है कि जब आपके पास कोई तथ्यात्मक डॉकुमेंटेड सबूत नहीं है तो आप मौखिक वार्तालाप की घटना को क्रमवार लिखित शिकायत में बताएंगे। इस शिकायत में कुछ साथियों को भी गवाह बनाएंगे जिनके सामने ऐसी घटना हुई है। गवाह उस किसी भी व्यक्ति को बना सकते हैँ जिसने आपके साथ हुई वार्तालाप या घटना को देखा हो। इसके अलावा आप सीसीटीवी फुटेज का सहारा भी ले सकते हैं। शिकायत होने के बाद यदि कोई भी गवाह या सबूत नहीं होता तो भी संस्थान की जांच टीम की विवेक पर यह निर्भर करता समय और परिस्थिति को देखते हुए निर्णय ले कि छेड़छाड़ की घटना हुई है या नहीं।


स्थिति 3- 
अगर आपके साथ कोई अभद्र घटना कुछ साल पहले हुई है और आरोपी कर्मचारी अब कंपनी छोड़ चुका है साथ ही आप भी कंपनी छोड़ चुके हैं तो क्या अभी भी उसके खिलाफ सेक्सुअल हरैसमेंट की शिकायत दर्ज कराई जा सकती है? क्या इस पर संस्थान कर्मचारी के खिलाफ कोई एक्शन ले सकता है क्या?

कानूने अनुसार, किसी संस्‍थान में यदि आपके साथ कोई अप्रिय घटना होती है तो आप घटना के तीन माह के भीतर ही शिकायत दर्ज करा सकते हैं। हालांकि संस्थान की आंतरिक समिति आपको शिकायत देने के लिए और समय भी दे सकती है। लेकिन यदि आपने संस्थान छोड़ देते हैं तो आपको एक समय सीमा में ही शिकायत देनी होती है। मामला कई साल पुराना होने पर संस्थान मामले की जांच नहीं कर सकता। मामला ज्यादा पुराना हो तो आप संस्थान की बजाए पुलिस में जरूर शिकायत दर्ज करा सकते हैं। 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें