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Hindi News क्रिकेट महिला क्रिकेट खिलाड़ी: भारत की इन सात 'सुपरस्टार' के कड़े संघर्ष की कहानी सुनकर आप भी करेंगे इनको सलाम

महिला क्रिकेट खिलाड़ी: भारत की इन सात 'सुपरस्टार' के कड़े संघर्ष की कहानी सुनकर आप भी करेंगे इनको सलाम

भारतीय महिला क्रिकेट टीम पर आज पूरे देश को गर्व है। आईसीसी महिला वर्ल्ड कप में क्वॉलिफायर टीम

Sushmeeta.semwalलाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीMon, 24 Jul 2017 06:37 PM

भारत की इन सात 'सुपरस्टार' के कड़े संघर्ष की कहानी सुनकर आप भी करेंगे इनको सलाम

भारत की इन सात 'सुपरस्टार' के कड़े संघर्ष की कहानी सुनकर आप भी करेंगे इनको सलाम1 / 8

भारतीय महिला क्रिकेट टीम पर आज पूरे देश को गर्व है। आईसीसी महिला वर्ल्ड कप में क्वॉलिफायर टीम के तौर पर पहुंचने वाली इस टीम ने सबको हैरान करते हुए फाइनल तक का सफर तय किया। क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स मैदान पर भले ही भारतीय महिला क्रिकेटरों को 9 रनों से हार का सामना करना पड़ा, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने पूरे देश को गौरवान्वित किया। मिताली राज की अगुवाई में पूरे टूर्नामेंट में भारतीय टीम का प्रदर्शन शानदार रहा। मिताली एंड कंपनी ने इतिहास रच डाला, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस मुकाम पर पहुंचने से पहले हर खिलाड़ी ने खूब संघर्ष किया है।

 

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मिताली से लेकर राजेश्वरी गायकवाड़ तक, हर किसी ने अपने हिस्से का संघर्ष किया है यहां तक पहुंचने के लिए। मिताली की बात करें तो उन्होंने 2009 में ठान ली थी कि क्रिकेट को अलविदा कह देंगी, लेकिन उनके परिवार के संघर्ष ने उन्हें ऐसा करने से रोका। हरमनप्रीत कौर एक बहुत ही साधारण परिवार से आई हैं और अब बच्चा-बच्चा उनका नाम जानता है।

आगे की स्लाइड में पढ़ें महिला क्रिकेटरों के संघर्ष की ऐसी ही सात दास्तान...

1-मिताली ने डांस छोड़ थामा बल्ला...

1-मिताली ने डांस छोड़ थामा बल्ला...2 / 8

मिताली राज ने 'भरतनाट्यम' सीखा और कई स्टेज शो भी किए हैं। मिताली की मां लीला राज एक अधिकारी थीं और पिता धीरज राज डोराई राज बैंक में नौकरी करने से पहले एयर फोर्स कार्यरत थे। वो खुद भी क्रिकेटर रहे और उन्होंने मिताली को क्रिकेट खेलने के लिए हर संभव कोशिश की। मिताली के पिता ने उनके यात्रा खर्च उठाने के लिए अपने खर्चों में कटौती की। इसी तरह उनकी मां लीला राज ने भी बेटी के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी ताकि जब बेटी प्रैक्टिस से घर लौटे तो वो अपनी बेटी का ख्याल रख सकें। मिताली के रिश्तेदार उनके क्रिकेटर बनने के खिलाफ थे, लेकिन मां-बाप ने हमेशा सपोर्ट किया।

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मिताली ने इस वर्ल्ड कप के दौरान बताया, 'लंबे करियर में हर क्रिकेटर के सामने ऐसा समय आता है जब उसे लगता है कि अब उसे संन्यास ले लेना चाहिए। 2009 में मैंने सोचा था कि मैं क्रिकेट से संन्यास ले लूं लेकिन तब मेरे मां-बाप का संघर्ष मेरे सामने आ गया। उनके संघर्ष से प्रेरणा लेते हुए मैंने खेलना जारी रखा और अब मैं इतनी दूर आ चुकी हूं।'

2- हरमनप्रीत कौर की कहानी भी है संघर्ष से भरी हुई...

2- हरमनप्रीत कौर की कहानी भी है संघर्ष से भरी हुई...3 / 8

वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तूफानी नॉटआउट 171 रनों की पारी खेलने वाली हरमनप्रीत कौर क्रिकेट सीखने के लिए घर से 30 किलोमीटर जाती थीं। हरमनप्रीत के पिता हरमेंद्र सिंह भुल्लर वॉलीबॉल और बास्केटबॉल प्लेयर रहे हैं। पंजाब के मोगा की रहने वाली हरमनप्रीत को क्रिकेट में शुरू से दिलचस्पी रही है। हरमनप्रीत स्कूल में पढ़ाई के दौरान अपने घर से 30 किलोमीटर दूर क्रिकेट की ट्रेनिंग के लिए जाती थीं। हरमप्रीत सिख विरोधी दंगों में मारे गए लोगों के लिए 84 नंबर की जर्सी पहनती हैं।

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3- पिता के कहने पर राजेश्वरी ने थामी थी गेंद

3- पिता के कहने पर राजेश्वरी ने थामी थी गेंद4 / 8

भारतीय महिला क्रिकेट टीम में दाहिने हाथ से लेग ब्रेक करने वाली गेंदबाज राजेश्वरी गायकवाड़ का पहला प्यार क्रिकेट नहीं था। वो भाला और डिस्कस थ्रो के साथ वॉलीबॉल की अच्छी खिलाड़ी थी लेकिन उन्होंने अपने पिता के कहने पर बाकी खेल छोड़कर अपना ध्यान क्रिकेट पर फोकस किया। राजेश्वरी गायकवाड़ की एक बहन रामेश्वरी स्टेट लेवल की क्रिकेट है और साथ ही भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा भी रह चुकी है। वहीं बड़ी बहन भुवनेश्वरी हॉकी प्लेयर है। राजेश्वरी के पिता सरकारी स्कूल में हेडमास्टर थे और उन्हें क्रिकेट से बहुत लगाव था। शुरुआती दिनों में घर खर्च के साथ क्रिकेट कोचिंग की फीस देना गायकवाड़ परिवार के लिए काफी मुश्किल रहा। राजेश्वर की पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन अगर आज वो जिंदा होते तो उन्हें अपनी बेटी पर सबसे ज्यादा गर्व होता।

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4- झूलन गोस्वामी ने घरवालों की मर्जी के खिलाफ थामे रखा क्रिकेट का हाथ

4- झूलन गोस्वामी ने घरवालों की मर्जी के खिलाफ थामे रखा क्रिकेट का हाथ5 / 8

झूलन को अपने करियर की शुरुआत में काफी संघर्ष करना पड़ा। दुनिया की सबसे ज्यादा वनडे विकेट लेने वाली महिला क्रिकेटर झूलन के परिवार के खिलाफ जाकर क्रिकेट का साथ नहीं छोड़ा। उनके मां-बाप को नहीं लगता था कि बेटी के लिए क्रिकेट एक अच्छा करियर है। वो चाहते थे कि बेटी क्रिकेट छोड़कर पढ़ाई पर ध्यान लगाए, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। वो 80 किमी. दूर कोलकाता में ट्रेनिंग के लिए गईं। प्रैक्टिस के लिए समय पर पहुंचने के लिए झूलन सुबह साढ़े चार बजे उठ जाती थीं और लोकल ट्रेन से ट्रेनिंग के लिए जाती थीं।

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5- घर परिवार छोड़कर अकेले रही हैं वेदा

5- घर परिवार छोड़कर अकेले रही हैं वेदा6 / 8

फाइनल मैच में वेदा कृष्णमूर्ति का विकेट सबसे बड़ा टर्निंग प्वॉइंट रहा। वेदा ने भी इस मुकाम तक पहुंचने के लिए बहुत संघर्ष किया है। वेदा जब 11 साल की थीं तो उनका परिवार कुद्दूर से बेंगलुरु शिफ्ट हो गया था। उसे क्रिकेट खेलने के लिए परिवार से दूर रहना पड़ा। 9 महीने करीब वेदा अकेले बेंगलुरु में रहीं और उसके बाद उनकी बहन उनके पास चली गईं। वेदा की बहन ने एक इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने वेदा को कड़ी मेहनत करते हुए देखा है।

6- ड्राइवर की बेटी ने फाइनल में भी खेली धांसू पारी

6- ड्राइवर की बेटी ने फाइनल में भी खेली धांसू पारी7 / 8

पूनम राउत ने फाइनल में 86 रनों की शानदार पारी खेली और भारत को जीत की आस दिलाई। पूनम के पिता मुंबई में एक प्राइवेट कंपनी में ड्राइवर की नौकरी कर चुके हैं। एक समय था जब मुंबई के प्रभादेवी में उनका परिवार एक चॉल में रहता था। उस समय पूनम क्रिकेट खेलना चाहती थीं लेकिन पैसों की कमी को देखते हुए उन्होंने कभी बड़े सपने नहीं देखे। हालांकि उनके पिता जो कभी क्रिकेटर बनना चाहते थे, वो अपनी बेटी को निराश नहीं देख पा रहे थे। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो करीब 18 साल पहले पूनम के पिता जिनके लिए काम करते थे उन्होंने करीब 10,000 रुपये दिए और इससे उन्होंने अपनी बेटी के लिए क्रिकेट के लिए जरूरी सामान खरीदा और पूनम का दाखिला क्रिकेट अकादमी में कराया।

7- सांगली से मुंबई जाती थीं 

7- सांगली से मुंबई जाती थीं 8 / 8

भारतीय महिला क्रिकेट टीम की सलामी बैटर स्मृति मंधाना क्रिकेट के लिए सांगली से मुंबई ट्रैवल करती थीं। वो छह साल की थीं, जब से क्रिकेट खेलना शुरू किया। स्मृति क्रिकेट के साथ पढ़ाई में काफी अच्छी रही। उन्हें क्रिकेट के चक्कर में अपनी 12th बोर्ड की परीक्षा भी छोड़नी पड़ी थी।