क्रिकेटर तृषा ने संघर्ष की भट्टी में तपकर लिखी सफलता की कहानी, ट्रेनिंग के लिए पिता को बेचना पड़ा जिम और चार एकड़ जमीन
Gongadi Trisha's Struggle Story: भारतीय टीम आईसीसी अंडर-19 महिला टी20 वर्ल्ड कप चैंपियन बन गई हैं। भारत ने फाइनल में इंग्लैंड को शिकस्त दी। खिताबी मुकाबले में बल्लेबाज तृषा ने अहम पारी खेली।
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भारत ने रविवार को अंडर-19 महिला टी20 विश्व कप के पहले संस्करण का खिताब अपने नाम किया। भारत ने फाइनल में इंग्लैंड को 7 विकेट से रौंदा। भारत को 69 रन का लक्ष्य मिला था। बल्लेबाज गोंगादी तृषा ने खिताबी मुकाबले में 24 रन बनाए। उन्होंने 29 गेंदों की पारी में 3 चौके मारे। उन्होंने तीसरे विकेट के लिए सौम्या तिवारी (नाबाद 24) के साथ 46 रन की साझेदारी की और टीम को चैंपियन बनाने में अहम भूमिका निभाई।
तृषा ने सात साल की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। उन्होंने अपनी आंखों और हाथ के बीच तालमेल से अपने पिता गोंगादी रेड्डी को प्रभावित किया। तृषा ने संघर्ष की भट्टी में तपकर सफलता की कहानी लिखी है। तृषा के पिता ने बेटी का क्रिकेट खेलने का ख्वाब पूरा करने के लिए अपना जिम और जमीन तक बेच डाली थी। रेड्डी ने भारत के चैंपियन बनने के बाद परिवार के शुरुआती संघर्षों के बारे में खुलकर बात की। बता दें कि रेड्डी पूर्व अंडर-16 हॉकी प्लेयर हैं।
रेड्डी ने इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में कहा, ''मैं राज्य की अंडर-16 हॉकी टीम में खेलता था। उसके बाद मैंने अपने फिटनेस बिजनेस और नौकरी पर ध्यान केंद्रित किया। मैं हॉकी के साथ-साथ क्रिकेट भी खेलता था और चाहता था कि मेरी बच्ची क्रिकेट खेले।''
उन्होंने आगे कहा, ''तृषा शुरुआत में भद्राचलम में खेली लेकिन हमने उसके क्रिकेट के ख्वाब को आगे बढ़ाने के लिए सिकंदराबाद शिफ्ट होने का फैसला किया। मुझे अपना जिम एक रिश्तेदार को बाजार दर से 50 प्रतिशत से कम कीमत पर बेचना पड़ा। इसके बाद, मैंने उसकी ट्रेनिंग के लिए अपनी चार एकड़ जमीन भी बेच दी। भारतीय टीम को अंडर-19 विश्व कप चैंपियन बनने के लिए तृषा ने अहम पारी खेली, जो उसके जुनून का इनाम है। इस तरह की जीत के लिए मैं कोई भी नुकसान उठा सकता हूं।''