मनोज तिवारी ने कहा- '2011 WC की वर्ल्ड चैंपियन टीम बनाने में सौरव गांगुली का बड़ा हाथ था'
टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर मनोज तिवारी का मानना है कि 2011 वर्ल्ड कप जीतने में पूर्व कप्तान सौरव गांगुली का अहम योगदान रहा था। 2011 वर्ल्ड कप तक गांगुली इंटरनैशनल क्रिकेट को अलविदा कह चुके थे और...
टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर मनोज तिवारी का मानना है कि 2011 वर्ल्ड कप जीतने में पूर्व कप्तान सौरव गांगुली का अहम योगदान रहा था। 2011 वर्ल्ड कप तक गांगुली इंटरनैशनल क्रिकेट को अलविदा कह चुके थे और महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया ने खिताब अपने नाम किया था। टीम इंडिया के लिए 12 वनडे इंटरनैशनल और तीन टी20 इंटरनैशनल खेल चुके तिवारी ने कहा कि धोनी की कप्तानी में खेलने वाले ज्यादातर क्रिकेटरों ने गांगुली की कप्तानी में खुद को स्थापित किया था। खुद धोनी ने भी गांगुली की कप्तानी में ही टीम इंडिया में जगह बनाई थी।
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युवराज सिंह प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट रहे थे और उन्होंने भी 2000 में गांगुली की कप्तानी में खेलना शुरू किया था। भारत ने 28 साल बाद वर्ल्ड कप अपने नाम किया था। 1983 में कपिल देव की कप्तानी में भारत ने पहली बार वर्ल्ड कप खिताब जीता था। गांगुली की कप्तानी में भारत 2003 वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचा था। स्पोर्ट्सकीड़ा को दिए इंटरव्यू में तिवारी ने कहा, 'सौरव गांगुली ने उस टीम को बनाने में अहम योगदान दिया था। अगर आप गहराई से देखेंगे तो समझ आएगा कि वर्ल्ड कप में जिन खिलाड़ियों ने अच्छा योगदान दिया था, सब ने गांगुली की कप्तानी में खेलना शुरू किया था।'
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34 वर्षीय तिवारी ने कहा कि गांगुली की कप्तानी के दौरान खिलाड़ियों में जरा भी इंसिक्योरिटी नहीं थी। उन्होंने कहा, 'उन्होंने अपनी कप्तानी में सभी युवा क्रिकेटरों को सिक्योर महसूस कराया, चाहे वो सहवाग हों, युवराज सिंह हों, हरभजन सिंह हों, जहीर खान हों, आशीष नेहरा हों या फिर गौतम गंभीर हों। इन सबका अनुभव 2011 वर्ल्ड कप जीतने में अहम रहा था। साथ में धोनी की शानदार कप्तानी।' वानखेड़े स्टेडियम में श्रीलंका के खिलाफ खेले गए फाइनल मैच में गंभीर ने 97 और धोनी ने नॉटआउट 91 रनों की पारी खेली थी।